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GORAKHPUR: गुड़गांव स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र प्रद्युम्न की हत्या के बाद स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। प्रद्युम्न की हत्या का आरोप एक कंडक्टर पर है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोमवार को शहर में लाडलों की सुरक्षा इंतजाम की पड़ताल की। यह बात सामने आई कि लाडलों को घर से स्कूल ले जाने के लिए लोग स्कूल बस से अधिक लोकल ऑटो पसंद करते हैं। स्कूल बस कुछ महंगा पड़ने के कारण अभिभावक अपने लाडलों को ऑटो से स्कूल तो भेज देते हैं लेकिन इसके पहले कभी ऑटो वाले का वेरिफिकेशन नहीं कराते। वहीं इन ऑटो ड्राइवर का स्कूल में भी बेरोकटोक एंट्री हो जाती है। कोई हादसा होने की स्थिति में इनका कोई डिटेल उपलब्ध नहीं रहने के कारण इन तक पहुंचना भी मुश्किल होगा।
लापरवाह हैं अधिकतर पैरेंट्स
ज्यादातर पैरेंट्स अपने लाडले को स्कूल ले जाने व लाने के लिए ऑटो यूज करते हैं। लेकिन न तो इन ऑटो वालों से कभी कोई आईडी प्रूफ लेते हैं और न ही उसका वेरिफिकेशन पुलिस से करवाते हैं। उसके बारे में कोई खास डिटेल भी पैरेंट्स के पास नहीं होती। ऐसी स्थिति में कोई भी घटना होने पर ऑटो वाले को ढूंढना पुलिस वाले के लिए मुश्किल होगा।
बेपरवाह हैं ऑटो वाले
अपने लाडलों को पैरेंट्स जिन ऑटो वालों के साथ भेज देते हैं, वे उनकी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह लापरवाह दिखते हैं। सिविल लाइंस में सैकड़ों की संख्या में खड़े ऑटो वाले बच्चों को आराम से बैठाने की जगह ठूंसते नजर आए। शाहपुर, बशारतपुर व धर्मपुर स्थित स्कूलों में भी ऑटो वाले बच्चों को असुरक्षित तरीके से बैठाते नजर आए।
स्कूल प्रबंधन भी सतर्क नहीं
लाडलों की सुरक्षा को लेकर खुद पैरेंट्स लापरवाह हैं तो स्कूल वाले भी सतर्क नहीं हैं। स्कूलों के गेट पर सिक्योरिटी गार्ड तो तैनात है लेकिन वह दिखावे का है। छुट्टी होने पर अवैध ऑटो वाले बेधड़क स्कूल में एंट्री लेते हैं और गार्ड उन्हें नहीं रोकते। ऐसे में यदि वह ऑटो वाले किसी और बच्चे को भी लेते जाएं या कोई हादसा हो जाए तो स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी होगी लेकिन वह बेपरवाह बना हुआ है।
आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस नहीं करती कार्रवाई
आरटीओ ने पहले ही ऑटो व खुले वाहन को स्कूली वाहन बनाने से मना किया है। कुछ ऑटो वालों का चालान भी कट चुका है लेकिन फिर आरटीओ चुप बैठ जाता है। अवैध ऑटो वालों के खिलाफ टाइम टू टाइम आरटीओ एनफोर्समेंट की टीम को खिलाफ कार्रवाई करने का नियम है वह नहीं करती। वहीं एसपी ट्रैफिक के नेतृत्व में काम करने वाली ट्रैफिक पुलिस भी इन ऑटो वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है।
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पैरेंट्स यह करें
- स्कूल बस या वैन से ही अपने बच्चे को स्कूल भेजें।
- कोशिश करें कि खुद ही अपने बच्चे को स्कूल पिक एंड ड्रॉप करें।
- यदि किसी प्राइवेट वाहन से भेजते हैं तो ड्राइवर के बारे में पूरी तहकीकात कर लें।
- यदि कॉलोनी के बच्चों को ढ़ोने के लिए प्राइवेट वाहन हायर करते हैं तो उसका वेरिफिकेशन पुलिस से जरूर कराएं।
सिटी में स्कूलों की संख्या
- सीबीएसई बोर्ड से संबंद्ध स्कूल - 54
- इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या - 8,55,654
- स्कूल खुलने का समय - सुबह 7.20 से
- स्कूल की छुट्टी होने का समय - दोपहर 1.30 बजे
बोले स्कूल वाले
पैरेंट्स या तो खुद अपने बच्चे को स्कूल पिक एंड ड्रॉप करें या फिर स्कूल के ही वाहन से बच्चों को छोड़ें।
- डॉ। राहुल राय, डायरेक्टर, लिटिल स्टार एकेडमी
अपने लाडले को लेकर पैरेंट्स को अवेयर होना होगा। स्कूली ऑटो या बस से ही अपने लाडले को स्कूल भेजें। अवैध ढंग से संचालित ऑटो से बच्चे को कदापि नहीं भेंजे।
- डेविड, प्रिंसिपल, सेंट जूड्स
कॉलिंग
स्कूल में प्रद्युम्न की हत्या की घटना बेहद निदंनीय है। इससे हम लोगों की चिंता बढ़ गई है। मैं तो खुद ही अपने बच्चों को पिक एंड ड्राप करना पसंद करता हूं।
- मनोज द्विवेदी, सर्विस मैन
स्कूल में एंट्री लेने वाले किसी भी शख्स की पूरी जांच होनी चाहिए। ड्राइवर व कंडक्टर पर भी पूरी निगरानी होनी चाहिए।
- मीना, टीचर
रेयान इंटरनेशनल में जो घटना हुई वह दर्दनाक थी। सोचकर मन सिहर उठता है। स्कूल प्रशासन को सुरक्षा इंतजाम बढ़ाना चाहिए।
अनिल सिंह, प्रोफेशनल
स्कूल में अवैध संचालित स्कूली ऑटो की एंट्री पर बैन लगानी होगी। पुलिस को भी इनका वेरिफिकेशन करना होगा।
शालू श्रीवास्तव, सर्विस मैन
पैरेंट्स को अपने बच्चों को ऑटो से नहीं भेजना चाहिए। पैरेंट्स को खुद अवेयर करना होगा। हम भी इन ऑटो वालों के खिलाफ धर-पकड़ अभियान चलाएंगे।
आदित्य वर्मा, एसपी ट्रैफिक