-प्रेटनेंट लेडी के मौत का कारण हैमरेज व एनिमिया

-233 प्रेग्नेंट लेडी की मौत, 201 की हुई अब तक आडिट

GORAKHPUR: सीएम सिटी में प्रेग्नेंट लेडी के लिए यूं तो तमाम योजनाएं हैं। वहीं इसके प्रचार प्रसार में भी करोड़ो रुपए पानी के तरह बहा दिए जाते हैं। बावजूद इसके हर वर्ष सैकड़ो प्रेग्नेंट लेडी सुरक्षित देखभाल के अभाव में दम तोड़ देती हैं। जबकि स्वास्थ्य महकमा ये कह कर पल्ला झाड़ लेता है कि इतनी सभंावित मौतें तो होती ही हैं। वास्तविकता ये है कि अगर आशा और एएनएम सही ढंग से अपनी ड्यूटी निभाएं तो इन मौतों को रोका जा सकता है।

मौत की आडिट में हुआ खुलासा

प्रसव में पल्विस से नवजात का आसानी से न निकल पाना (आव्सट्रेक्टेड लेवर) भी एक बहुत बड़ा कारण मौत का है। खतरनाक संक्रमण (सेप्सिस)में भी अधिकांश प्रेग्नेंट लेडी की जान जा रही है। यह खुलासा जिले के स्वास्थ्य विभाग के मैटर्नल डेथ आडिट में हुआ है। मैटर्नल डेथ रिव्यू कमेटी द्वारा प्रेग्नेंट लेडी की मौत की वजह जानने के लिए किए गए आडिट में सामने आया कि 56 की मौत प्रसव पूर्व या प्रसव के बाद हुई। जिसका कारण अधिक ब्लड स्त्राव हैमरेज है। वहीं 46 प्रसूताओं की मौत आव्सट्रेक्टेड लेवर के कारण हुई है। जबकि इस वजह से हुई मौतों को कम किया जा सकता था। क्योंकि सामान्य प्रसव के बजाय अगर ऐसे मामलों में समय से (सीजेरियन)प्रसव की सुविधा मिल जाए तो सुरक्षित प्रसव संभव है। 39 महिलाओं की मौत का कारण ही नहीं पता चल सका है। जबकि 38 की मौत संक्रमण (सेप्सिस) के कारण हई है। 20 की मौत गर्भवस्था के दौरान हाइपरटेंसिव डिसआर्डर के कारण हुई है। जबकि दो की मौत गर्भपात एवार्शन से हुई है।

मैटर्नल डेथ रेशियों

एक लाख जीवित जन्म के आधार पर मैटर्नल डेथ रेशियो मातृ-मृत्यु यानी एमडीआर तय किया जाता है। गोरखपुर मंडल में संभावित मैटर्नल डेथ 366 और जिले की 302 है। स्वास्थ्य विभाग को आशा या अन्य स्रोतों से अभी तक 233 प्रेग्नेंट लेडी के मौत की जानकारी मिली है। इनमे से 201 मामलों की मैटर्नल डेथ आडिट रिव्यू कमेटी द्वारा की गई है। शेष मामलों की आडिट अभी जारी है।

सुरक्षित प्रसव कराना आशा की जिम्मेदारी

एक आशा को एक हजार आबादी वाले एरियाज की जिम्मेदारी है। वहीं एक एएनएम के अंडर में पांच आशाएं। इन पर प्रेग्नेंट लेडी के पहले दिन से लगायत प्रसव होने तक की जिम्मेदारी रहती है। जिले में एएनएम और आशाओं की ड्यूटी प्रग्नेंट लेडी की निगरानी करना और उन्हें जागरूक करना होता है। लेकिन प्रसूताओं की मौत इस तरफ इशारा करती है कि ये जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी किस तरह निभा रहें हैं।

फैक्ट फिगर

गोरखपुर मंडल में संभावित मैटर्नल डेथ---366

सिर्फ जिले में प्रेग्नेंट लेडी की मौत अब तक--233

कमेटी द्वारा मैटर्नल डेथ की आडिट--201

मौतों का कारण

हैमरेज --56

संक्रमण --38

गर्भवस्था के दौरान--46

गर्भवस्था के दौरान हाइपरटेंसिव डिसआर्डर के कारण -20

कोट

मैटर्नल डेथ आडिट के माध्यम से प्रसूताओं के मौत के कारणों की जानकारी ली जा रही है। इससे भविष्य में उन कारणों पर फोकस कर मौतों को रोका जा सकेगा। साथ ही एनीमिया की शिकार गर्भवतियों की विशेष व्यवस्था की जा रही है। जिससे प्रसव के समय कोई परेशानी न हो।

डॉ। नंद कुमार, एसीएमओ व नोडल मैटर्नल हेल्थ

ज्यादातर हैमरेज, संक्रमण और एनिमिया की वजह से प्रेग्नेंट की मौत होती है। मौत को रोकने के लिए सरकार की ओर से आडिट कराई जा रही है। साथ ही एएनएम और आशाओं को भी इसकी जिम्मेदारी दी गई है। एरियाज में महिलाओं को जागरूक करने के लिए टीमें काम कर रही है। अगर एएनएम और आशाएं इसमें लापरवाही करती पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ