-मलेरिया और वायरल में हो जाती है प्लेटलेट्स डाउन

-एक जैसे लक्षण के चलते मलेरिया को डेंगू मान रहे मरीज

Meerut। बरसात का मौसम आते ही वायरल और मलेरिया जैसे बुखार लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। मेडिकल और जिला अस्पताल के अलावा प्राइवेट अस्पतालों में बुखार से पीडि़त मरीजों की लंबी कतार है। लेकिन बुखार में डाउन हो रही प्लेटलेट्स से डेंगू का माहौल बनाया जा रहा है। प्लेटलेट्स के इस खेल में कुछ प्राइवेट संस्थान बरसात आते ही अपना बिजनेस बढ़ाने में जुटे हैं। जबकि मेरठ में डेंगू का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

ये है प्लेटलेट्स का खेल

दरअसल, वायरल व मलेरिया आदि बुखार में प्लेटलेट्स का डाउन होना सामान्य बात है। यहां तक कि बुखार की दवाई खाने से भी प्लेटलेट्स का लेवल डाउन होता है। ऐसे में कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल्स मरीज को प्लेटलेट्स का खौफ दिखा कर डेंगू का माहौल बनाते हैं, जिसके चक्कर में आकर मरीज और परिजनों में डेंगू का डर व्याप्त हो जाता है। जबकि वास्तव में बुखार में प्लेटलेट्स का डाउन होना सामान्य बात है।

क्या है वायरल

वायरस के संक्रमण से होने वाले बुखार को वायरल फीवर कहते हैं। आम लोगों में वायरल फीवर के बारे में गलतफहमी है। जैसे जिस फीवर में सर्दी-जुकाम के लक्षणों के साथ तेज बुखार हो, उस स्थिति को ही लोग वायरल व डेंगू मान बैठते हैं।

वायरल के लक्षण

-तेज बुखार

-सिरदर्द

-जोड़ों में दर्द

-थकान और गले में दर्द

-बदन दर्द

-खासी व जुकाम

-नाक बहना

-जोड़ों में दर्द और सूजन

-आँखें लाल होना

-लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना

-भूख न लगना

ऐसे करें इलाज

वायरल फीवर में एंटीबॉयटिक्स दवाओं की कोई भूमिका नहीं होती। बावजूद इसके अगर वायरल के अलावा अलग से कोई वैक्टीरियल इंफेक्शन हो, तब एंटीबॉयटिक्स दे सकते हैं। जैसे वायरल फीवर से पीडि़त किसी शख्स को पीला बलगम निकल रहा हो, तो इस स्थिति में एंटीबॉयटिक्स दी जा सकती हैं। अमूमन वाइरल फीवर 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है। इसके बावजूद इस रोग का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। जैसे बुखार अगर ज्यादा बढ़ रहा है, तो इस स्थिति में पैरासीटामॉल की टैबलेट्स दी जाती हैं।

डेंगू और मलेरिया

असल में ये दोनों ही बीमारियां मच्छर के काटने से होती हैं। मलेरिया मादा ऐनाफ्लीज और डेंगू ऐडिस के काटने से फैलता है। इन दोनों ही वायरल के लक्षण एक जैसे ही हैं। लेकिन दोनों बुखार का फीवर पैटर्न बिल्कुल अलग है। ऐसे में कुछ मरीज मलेरिया को ही डेंगू मान बैठते हैं। जिससे बेवजह पैनिक क्रिएट होता है।

डेंगू के लक्षण

-अचानक तेज बुखार आना।

-लंबे समय तक बुखार रहना (करीब सात दिन)।

-सिर दर्द।

-मसल्स व बॉडी पेन।

-हाथ-पैरों में रैशेज पड़ना।

-जी मिचलाना, उल्टी आना।

-भूख न लगना।

- आंखों में दर्द रहना।

मलेरिया के लक्षण

-ये बुखार चढ़ता-उतरता रहता है।

-ठंड लगना और ठंड से बुखार चढ़ना।

-एनिमिया।

-जोड़ों में दर्द।

-उल्टी आना।

-दर्द और ऐंठन।

-पसीना आना।

-मलेरिया बुखार 10-15 दिन रहता है।

मलेरिया और डेंगू दोनों बीमारी मच्छर के काटने से होती है। दोनों के लक्षण भी संभवत एक से ही हैं। ऐसे में मलेरिया की जांच करा लेनी चाहिए। जांच से स्थिति स्पष्ट हो जाती है।

-धीरेन्द्र सिंह, डिप्टी सीएमओ मेरठ