कालिंदीपुरम योजना में आवंटित प्लाट पर कब्जा नहीं दिला सका ADA

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम के अध्यक्ष व मेंबर ने दिया आदेश

ALLAHABAD: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम के अध्यक्ष सुखलाल व सदस्य सुमन पाण्डेय ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व सचिव पर ग्राहक की सेवा में कमी करने व उपेक्षात्मक रवैया अपनाये जाने पर याची गोपालदास गुप्ता निवासी ऊंचा मंडी की अर्जी को स्वीकार करते हुए एडीए के विरुद्ध दस हजार रुपए जुर्माना किया है।

आवंटित प्लाट पर नहीं मिला कब्जा

फोरम को याची ने बताया कि उसने 27 वर्ष पूर्व 1990-91 में कालिन्दीपुरम् आवासीय योजना के लिए प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर प्लाट बुक करवाया था। एडीए ने याची को प्लाट एफ 40 वर्गमीटर एलाट किया। उसके बाद इसे निरस्त करते हुए प्लाट ईडब्लूएस 374 एलाट किया। याची ने प्लाट के बाबत मांगी गई धनराशि किश्तों में जमा कर दिया। उसके बाद प्लाट पर कब्जा व बैनामा के लिए विभाग में निवेदन किया था। इसके साथ ही बताया कि अन्य लोगों को कब्जा और बैनामा किया जा चुका है। वे अपना मकान बनवाकर निवास कर रहे हैं। याची लगातार विभाग से संपर्क बनाए रखा, कई प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन उसे यह कहकर टरकाया जाता था कि अभी काश्तकारों से विवाद चल रहा है। विकास कार्य नहीं किया जा सका है। इसलिए कब्जा व बैनामा की कार्यवाही नहीं हो सकती है। इलाहाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं देने व हीला हवाली से क्षुब्ध होकर याची ने अपने अधिक्ता के जरिए नोटिस भेजा। तब पुन: जवाब आया कि काश्तकारों का विवाद चल रहा है, अतएव कार्यवाही संभव नहीं है।

फोरम का खटखटाया दरवाजा

इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की बेरुखी व मकान की हसरत पूरी न होने से क्षुब्ध याची ने फोरम का दरवाजा खटखटाया और विकल्प में याचना किया कि उसे उसको आवंटित प्लाट दिया जाए। अथवा किसी अन्य योजना में उतने ही मूल्य का प्लाट दिया जाए अथवा बाजार मूल्य के अनुसार उसकी जमा धनराशि ब्याज सहित वापस किया जाए। फोरम ने एडीए को नाटिस जारी किया। एडीए ने हाजिर होकर जवाब पेश किया कि काश्तकारों के विरोध के कारण स्थल पर विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। याची को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जा रहा है। याची ने अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य यह मुकदमा दाखिल किया है। वह चाहे तो जमाधन वापस ले सकता है, सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। मुकदमा खारिज किया जाए। उभयपक्ष के तर्क सुनने के बारे फोरम ने अपने निष्कर्ष में पाया कि लंबे समय पहले याची को एडीए ने प्लाट आवंटित किया, कब्जा न पाने के कारण वह मकान नहीं बना सका। ऐसी स्थिति में ग्राहक की सेवा में कमी की गई है। फोरम ने अपने निर्णय में एडीए के विरुद्ध दस हजार रुपए जुर्माना करते हुए, तीन हजार रुपए मुकदमा खर्च तथा एडीए को आदेशित किया कि याची को दो माह के अंदर आवंटित प्लाट पर कब्जा दे अथवा किसी अन्य योजना में उतनी ही लागत का प्लाट दे। अन्यथा जमा धनराशि पन्द्रह प्रतिशत ब्याज की दर से वापस करे तथा दस हजार रुपए क्षतिपूर्ति व तीन हजार रुपए मुकदमा खर्च भी दे।