- जगह-जगह सबमर्सिबल लगाकर हो रहे इस अवैध कारोबार से जल स्तर में गिरावट तेज
- अन्य राज्यों में तो पानी की चोरी को अपराध माना गया है, लेकिन यूपी में ऐसी कोई धारा नहीं
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LUCKNOW: रिंग रोड पर रहने वाले अनुज शुक्ला अब यहां प्लॉट खरीदकर पछता रहे हैं। यहां पानी का प्रेशर इतना कम आता है कि घर की चुनाई संभव ही नहीं। कभी-कभी पानी न आने से यहां लगे हैंडपम्प से ही लोग अपने घरों में पानी भर रहे हैं। अब मुसीबत यह है कि मकान बनवाने के लिए वे करें क्या? सबमर्सिबल पम्प लगाना इतना महंगा है कि उनके बजट से बाहर की बात है। मजबूरी में उन्हें ब्लैक में पानी के प्राइवेट टैंकर किराए पर लेने पड़ रहे हैं। आस-पास के लोगों के लिए यहां लगे हैंडपम्प ही एकमात्र सहारा हैं।
कई राज्यों में पानी की रिबोरिंग पर रोक
केरल, हैदराबाद, गुजरात और मध्य प्रदेश में पानी के लिए रिबोरिंग पर भले ही सरकार ने रोक लगा दी हो, लेकिन लखनऊ में तो खुलेआम पानी बेचने का धंधा जोर पकड़ता जा रहा है। सबमर्सिबल पम्प और जेट पम्प के जरिए जमीन के नीचे से पानी की चोरी की जा रही है। महंगे दामों में पानी की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। शादी-ब्याह हो या फिर मकान बनवाना हो। लोग जल संस्थान के टैंकर की जगह प्राइवेट टैंकर वालों से पानी खरीद रहे हैं। वह भी काफी महंगी दरों पर, लेकिन इस अपराध को रोकने में जल संस्थान और नगर निगम लाचार दिख रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अन्य राज्यों में तो पानी की चोरी को अपराध माना गया है, लेकिन यूपी में ऐसी कोई धारा नहीं है जिसके तहत कठोर पनिशमेंट का प्रोवीजन हो।
ढेर सारी हैं फारमेलिटी
रिंग रोड पर ही मकान बनवा रहे विनोद यादव का कहना है कि सीधी सी बात है कि वाटर सप्लाई से यदि आपने पानी का कनेक्शन लिया तो जल संस्थान ढेर सारी फॉरमेलिटीज करवाता है, लेकिन पानी के इन सौदागरों को किसी से लाइसेंस लेने की कोई जरूरत नहीं। बस ट्यूब वेल, जेट पम्प या सबमर्सिबल पम्प लगाया, टैंकर खरीदे और शुरू हो गया पानी का धंधा। वह भी बेरोकटोक। गर्मी में तो पानी बेचने वालों की और भी चांदी हो जाती है। इस समय जल संस्थान का गला सूखने लगता है। पाइप लाइंस बेकार हो जाती हैं। यदि जल संस्थान इस इलाके में पानी की उचित व्यवस्था करा दे तो कोई परेशानी ही नहीं होगी।
एक लाख रुपए महीने का कारोबार
पानी के एक कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस समय प्रतिदिन एक लाख रुपए से अधिक का पानी का कारोबार हो रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ-साथ यह धंधा और परवान चढ़ेगा। आउट स्कल्ट्स में लोगों को अपने मकान बनवाने हैं और वहां पानी की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में अब धंधा और ज्यादा चमकने की उम्मीद है। औसतन क्0 टैंकर का ऑर्डर मिल रहा है। एक हजार से दो हजार लीटर की कैपेसिटी वाले टैंकर की कीमत एक हजार रुपये तक है। गर्मी बढ़ने से पानी के दामों में भी इजाफा होगा। मई-जून में इसकी कीमत बढ़कर क्भ्00 रुपये प्रति टैंकर हो जाएगी।
गर्मी बढ़ते ही सूखने लगेगी पाइप लाइन
लखनऊ की आबादी की तुलना में शहर को मिलने वाला पानी काफी कम है। इस समय ब्80 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है। इतना ही नहीं इस पानी में से भी करीब फ्भ् प्रतिशत पानी पाइप लाइनों में होने वाले रिसाव के कारण बर्बाद हो रहा है।
गंभीर समस्या हो सकती है पानी की
क्99क् में लखनऊ की पॉपुलेशन क्म्.क्9 लाख थी। ख्0क्ब् तक यह करीब ब्भ् लाख पहुंच गई। ऐसे में पेयजल की समस्या एक गंभीर चुनौती होगी। क्99क् से ख्0क्क् के बीच भूजल स्तर की औसत गिरावट क्0.70 मीटर से ख्फ्.भ्0 मीटर पहुंच गई है। ग्राउंड वाटर लेवल गिरने से धरती खोखली होती जा रही है। नलकूप, हैंडपम्प, जेट पम्प से भूगर्भ जल के दोहन होने से ग्राउंड वाटर में भ्0 सेमी से क्भ्0 सेमी प्रति वर्ष की दर से गिरावट हो रही है। गर्मी बढ़ने पर यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर हो जाएगी।
हर दिन कम मिल रहा ख्8 एमएलडी पानी
कुल ब्ख्क् एलएलडी (मिलियन लीटर डेली) पानी की आपूर्ति शहर की प्यास बुझाने में नाकाफी है। मानक के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति को क्फ्7 लीटर पानी की जरूरत होती है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में ब्ब्9 एमएलडी पानी की सप्लाई होनी चाहिए। इस नजरिए से रोज ख्8 एमएलडी पानी की कमी महसूस हो रही है।
क्म्फ्0 हैंडपंप हैं खराब
शहर में कुल 8भ्फ्फ् हैंडपंप लगे हैं। इसमें क्म्फ्0 खराब हैं। क्00 नलकूप दम तोड़ चुके हैं। चार मिनी नलकूप और आठ इंदारा कुंआ से पानी नहीं मिल रहा है।
इस तरह बचा सकते हैं पानी
छत के वर्षा जल का स्टोरेज- छोटे बड़े सभी मकानों की छत के पानी का भवन स्वामी द्वारा भूजल रिचार्ज करने की बाध्यता।
अन्य क्षेत्रों के वर्षा जल का संग्रहण- सड़क, मैदान, खेत एवं अन्य खुली जगहों का वर्षा जल सुरक्षित विधियों से भूजल रिचार्ज करना
सीवेज जल से सिंचाई- शहर के लगभग फ्70 से ब्00 एमएलडी सीवेज जल का सिंचाई और भूजल रिचार्ज के लिए उपयोग करना
बाढ़ जल का रिचार्ज- गोमती नदी के बाढ़ जल का गहरे भूजल स्तर वाले पश्चिमी परिक्षेत्र में भूजल का रिचार्ज
गहरे नलकूपों के निर्माण पर लगे रोक
पर्यावरण प्रेमी डा.प्रशांत नाटू का कहना है कि क्रिटिकल एवं सेमीक्रिटिकल ग्राउंड वाटर लेवल वाले क्षेत्रों में गहरे नलकूपों के निर्माण पर रोक लगानी चाहिए। उथले नलकूप, जेटपम्प, सबमर्सिबल पम्प के निर्माण पर नियंत्रण की जरूरत है।
नहीं लागू है कानून
अन्य राज्यों की तरह यहां सबमर्सिबल के संबंध में कोई भी स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है। यही वजह है कि पानी का दोहन किया जा रहा है, लेकिन यह गंभीर मामला है और सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
डॉ। दिनेश शर्मा
मेयर
पीने को भी नहीं मिलेगा पानी
वर्तमान में राजधानी को पीने के लिए हर रोज करीब म्000 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। ख्0भ्0 में यह मांग तीन गुना हो जाएगी। यह आंकड़े मिनिस्ट्री ऑफ वाटर रिसोर्सेज के वैज्ञानिकों ने तैयार किए हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर यही स्थिति रही तो राजधानी में पीने के लिए भी पानी नहीं उपलब्ध होगा। शहर क्षेत्रफल के साथ आबादी में भी तेजी से बढ़ रहा है। इसने पानी की आपूर्ति की मांग को भी उसी अनुपात में बढ़ा दिया। ऐसे में वर्तमान में भ्क्भ्0 लाख लीटर पानी की हर रोज मांग होती है। इसमें ख्0ब्0 लाख लीटर नदी और फ्क्क्0 लाख लीटर ग्राउंट वाटर से पूरा किया जाता है। हर साल औसतन 0.भ्म् मीटर भूजल स्तर नीचे गिर रहा है।
जलकल- फ्
इंदारा कुंआ- फ्भ्
मिनी नलकूप- भ्0
नलकूप - म्0भ्
वाटर लेवल डेप्थ (मीटर में)- गिरावट
गोमतीनगर-क्.म्9
इंदिरानगर- क्.क्0
विकासनगर-क्.क्फ्
अलीगंज स्कीम- 0.7क्
जानकीपुरम- 0.म्भ्
महानगर- 0.9भ्
निरालानगर- 0.79
न्यू हैदराबाद- 0.97
लविवि- 0.80
हजरतगंज नरही- क्.0म्
आरबी कालोनी- 0.8क्
अमीनाबाद- 0.8क्
कैंट- क्.0क्
दिलकुशा- 0.भ्म्
गुलिस्ता कालोनी- 0.म्9
चारबाग- 0.8क्