श्रीप्रकाश जायसवाल ने हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि मनमोहन सिंह कभी भी राजनेता नहीं थे और गठबंधन की राजनीति को नहीं समझ पाने का का ख़ामियाजा भुगत रहे हैं.

इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख की किताबों में भी उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए जा चुके हैं.

ऐसे में उनके मंत्रिमंडल के एक सहयोगी का ये बयान उन्हें और अधिक असहज करने वाला है.

कीमत

दरअसल श्रीप्रकाश जायसवाल से पूछा गया था कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मनमोहन सिंह पार्टी के लिए रैलियां क्यों नहीं कर रहे हैं?

इस सवाल के जवाब में कोयला मंत्री ने कहा, "वो कभी भी राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे. उन्होंने कभी भी राजनीति में हिस्सा नहीं लिया. वो अचानक प्रधानमंत्री बन गए और उन्होंने कुछ अच्छा काम कर दिखाया खासकर अपने प्रथम कार्यकाल में."

'प्रधानमंत्री नहीं समझ सके....'

यूपीए-दो के बारे में जायसवाल ने आगे कहा, "आप जानते हैं कि यह एक गठबंधन सरकार थी. एक गठबंधन सरकार को चलाना मुश्किल होता है. चूंकि वो राजनीति में नहीं थे, इसलिए इसका ख़ामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ रहा है."

जायसवाल ने प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह की क्षमताओं पर कहा, "वे वर्तमान दौर के राजनीतिक दांव-पेंच को समझते थे, लेकिन उन्होंने इसका पलटवार करने की कोशिश नहीं की. ये उनका स्वभाव नहीं था."

उन्होंने कहा कि डॉक्टर मनमोहन सिंह जैसा योग्य व्यक्ति और अर्थशास्त्री मिलना मुश्किल है.

मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी पहले ही प्रधानमंत्री की क्षमताओं पर सवाल उठाती रही है.

संजय बारू ने कहा है कि मनमोहन सिंह ने ख़ुद उनसे स्वीकार किया था कि कांग्रेस अध्यक्ष के पास सत्ता का केंद्र है और उनकी सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है.

हालांकि बारू की बातों का प्रधानमंत्री कार्यालय और खुद मनमोहन सिंह की बेटी खंडन कर चुके हैं.

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