गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन के सातवें दिन यूपीए सरकार झुक गई है.प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोलकाता में कहा है कि वह लोकपाल के किसी भी संस्करण पर बातचीत के लिए तैयार हैं, चाहे वो जनलोकपाल बिल ही क्यों न हो. उन्होंने कहा कि सभी सम्बंधित पक्षों को अपने सांसदों और विधेयक पर विचार कर रही स्थाई समिति को अपने विचारों से अवगत कराना चाहिए.

कोलकाता में भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाने का प्रावधान है लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं कर सकता. अन्ना आंदोलन के अज़ब गज़ब फोटो देखने के लिए क्लिक करें उन्होंने कहा, "हम सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं. एक संस्थान के रूप में लोकपाल की स्थापना से निश्चित तौर पर सहायता मिलेगी लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं हो सकता."

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम इन सभी मुद्दों पर तर्कसंगत बहस करने के लिए तैयार हैं.’’ 'भ्रष्टाचार का कोई इकलौता समाधान नहीं' स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने अपने भाषण में कहा था कि ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है, जो समस्या का समाधान एक झटके में कर दे. इसका कोई इकलौता समाधान नहीं है. हमें विभिन्न मोर्चों’ पर कदम उठाने की जरूरत है.’’

रामलीला मैदान में पिछले सात दिनों से अनशन कर रहे अन्ना हजारे को मिले अपार जनसमर्थन से सरकार बुरी तरह हिल चुकी है. शायद इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टीम अन्ना से सुलह की ओर ख़ुद एक क़दम बढ़ाया है. अब इस पर टीम अन्ना की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है. हालांकि अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने पीएम के पहले दिए प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था जिसमें मनमोहन सिंह ने इसी तरह की बात की थी. इस पर केजरीवाल ने सरकार से पूछा था, "सरकार कहां बात करना चाहती है, किससे बात करना चाहती है ये तो हमें पता ही नहीं है."

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