-बांग्लादेश द्वारा बनारसी साड़ी के बौद्धिक संपदा अधिकार उल्लंघन का मामला

-रजिस्टर्ड प्रोपराइटर्स ने पीएम सहित अन्य मंत्रालयों को लेटर भेज की कार्रवाई की मांग

VARANASI

बनारसी साड़ी की साख पर बट्टा लगाने का मामला अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय में जा पहुंचा है। बांग्लादेश द्वारा बनारसी साड़ी के बौद्धिक संपदा अधिकार उल्लंघन के मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है कि अब इसे विश्व पटल पर उठाने की रणनीति बननी शुरू हो गई है। इसके लिए सभी रजिस्टर्ड प्रोपराइटर्स ने सोमवार को संयुक्त याचिका तैयार कर विदेश मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, जीआई रजिस्ट्री आदि को भेजा। साथ ही पीएम के संसदीय कार्यालय में भी लेटर सौंपा। जिला उद्योग केंद्र लहरतारा में मीडिया से मुखातिब प्रोपराइटर व संयुक्त आयुक्त उद्योग (वाराणसी मंडल) उमेश सिंह ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस मामले में तत्काल उचित कार्रवाई हो, ताकि बुनकरों का हित सुरक्षित हो सके।

गुवाहटी में पकड़ा गया था खेल

जीआई एक्सपर्ट व प्रोपराइटर डॉ। रजनीकांत ने बताया कि फरवरी 2018 में गुवाहाटी में लगे अंतरराष्ट्रीय ट्रेड फेयर में बांग्लादेश के 16 स्टॉल लगे थे, जिन पर बनारसी जामदारी साड़ी के नाम पर सिल्क उत्पाद धड़ल्ले से बेचे जा रहे थे। बांग्लादेश के एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में 8 फरवरी 2018 को खबर में भी उल्लेख किया गया है। जिसके मुताबिक बांग्लादेश के रंगपुर स्थित विभिन्न गांवों में बनारसी साड़ी का निर्माण तेजी से हो रहा है। कहा कि बनारसी साड़ी का जीआई पंजीयन हो चुका है और यह भारत की बौद्धिक संपदा है। इसका निर्माण बनारसी साड़ी के नाम पर देश-विदेश के किसी भी हिस्से से नहीं किया जा सकता। ऐसा करना विश्व व्यापार संगठन के ट्रिप्स (ट्रेड-रिलेटेड ऑस्पेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स) एग्रीमेंट का उल्लंघन है।