हिंदूओ का प्रभाव ज्यादा
जकार्ता (पीटीआई)।
इंडोनेशिया में पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस महोत्सव की खास बात ये है कि इसे रामायण-महाभारत की थीम पर आयोजित है और पतंगों को उसी अंदाज में डिजायन भी किया गया है। बता दें कि इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुल देश है लेकिन बावजूद इसके वहां हिंदूओ का प्रभाव ज्यादा है। अगर भारत और इंडोनेशिया की संस्कृति को देखें तो आपको वहां कई समानताएं नजर आएंगी। आइये उनके बारे में विस्तार से चर्चा करें।

रामायण-महाभारत की थीम पर आयोजित पतंग महोत्सव
पहली बार इंडोनेशिया के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति के साथ मिलकर बुधवार को राजधानी जकार्ता में 'पतंग महोत्सव' का उद्घाटन किया। इस पतंग प्रदर्शनी की खास बात ये है कि इसे रामायण-महाभारत की थीम पर आयोजित किया गया और पतंगों को उसी अंदाज में डिजायन भी किया गया। बता दें कि रामायण का विषय पतंग महोत्सव में इंडोनेशियाई आयोजकों द्वारा डिजाइन किया गया जबकि महाभारत का विषय भारतीयों द्वारा चुना गया।

मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग महोत्सव का आयोजन
भारत और इंडोनेशिया दोनों ही जगहों पर पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इंडोनेशिया में बुधवार को किया गया जबकि भारत में इसका आयोजन मकर संक्रांति के अवसर पर यानी कि 14 जनवरी को किया जाता है। दोनों ही जगहों पर इस त्योहार को खास तरीके से मनाया जाता है।

रामलीला और कृष्णलीला जैसे कार्यक्रमों का आयोजन
इंडोनेशिया के लोग भी भारत की तरह रामायण और महाभारत के प्रति ज्यादा श्रध्दाभाव रखते हैं। वहां लोग रामलीला और कृष्णलीला जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं। हालांकि दोनों जगहों के रामायण और महाभारत की कथाओं में मामूली फर्क जरूर है। इतना ही नहीं इंडोनेशिया का एक द्वीप बाली का नाम तो हिंदू बहुल होने के चलते ही रख दिया गया है। इसके अलावा बता दें कि इंडोनेशिया के राष्ट्रीय एयरलाइन्स का नाम भी 'गरूड़ एयरलाइन्स' हिदुओं के पौराणिक कथाओं से प्रभावित होकर ही रखा गया है। हिंदूओ में माना जाता है कि गरूड़ भगवान विष्णु का वाहन है।

कई मंदिरें भी मौजूद
भारत और इंडोनेशिया दोनों ही जगहों पर कई देवी देवताओं के मंदिर हैं। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि वहां के कुछ ही मंदिरों में पूजा पाठ होती है बाकी के मंदिरों को पर्यटन स्थलों के रूप में देखा जाता है।     

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