बिचौलियों के बिना मकान दिलाना लक्ष्य

नई दिल्ली (पीटीआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि 2022 तक हर भारतीय के पास अपना पक्का मकान हो। उस समय देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। इसके साथ ही सरकार आवासीय क्षेत्र को भ्रष्टाचार और बिचौलिया मुक्त बनाने में जुटी है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लोगों को बिना परेशानी के अपना घर मिल सके। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से ग्रामीण और शहरी इलाकों में वहन योग्य लागत पर गरीबों के लिए तेजी से मकान बनना सुनिश्चित हो रहा है।

लाभार्थियों को पीएम ने किया संबोधित

प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के लाभार्थियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'हम आवासीय क्षेत्र को भ्रष्टाचार और बिचौलिया मुक्त बनाने पर काम कर रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि लाभार्थियों को बिना किसी दिक्कत के अपना मकान मिल सके।' प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आवासीय क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीकों से लैस किया जा रहा है। इससे शहरों और गांवों में गरीबों के लिए वहन करने योग्य मकान तेजी से बन पा रहे हैं।

पीएमएवाई से पैदा हो रहे हैं रोजगार के मौके

मोदी ने कहा कि महिलाओं, दिव्यांगों, एससी/एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मकान मिल सके, इस पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'पीएमएवाई हमारे नागरिकों के सम्मान से जुड़ा है। योजना के कारण लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। इसी के साथ ही हम बेहतर गुणवत्ता वाले मकानों का तेजी से निर्माण करने के लिए कौशल विकास पर भी काम कर रहे हैं।' प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी को मकान मुहैया कराने की दिशा में पिछले चार वर्षो में सरकार ने मिशन मोड रुख अपना है। पीएमएवाई के तहत सरकार ग्रामीण इलाकों में तीन करोड़ और शहरी इलाकों में एक करोड़ मकान बनवाना चाहती है।

47 लाख से ज्यादा मकान बनाने को मंजूरी

अभी तक सरकार ने शहरी इलाकों में 47 लाख से ज्यादा मकान बनाने की मंजूरी दी है। यह पिछली सरकार के 10 साल के कार्यकाल में दी गई मंजूरी की तुलना में यह चार गुना ज्यादा है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में एक करोड़ से अधिक मकान बनाने की मंजूरी दी गई है। पूर्व की सरकार ने चार साल की अवधि में 25 लाख मकानों की मंजूरी दी थी। मकान के आकार को 20 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 25 वर्गमीटर किया गया है। इसके साथ ही योजना के लिए वित्तीय सहायता के रूप में पूर्व के 70,000 से 75,000 रुपये आवंटन को बढ़ाकर 1,25,000 रुपये किया गया है।

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