-7 साल बाद पटना में होगा विश्व का सबसे अधिक बेड वाला हॉस्पिटल, अभी बेलग्रेड के पास है यह तमगा

ड्डह्लठ्ठड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

क्कन्ञ्जहृन्: स्टैचू ऑफ यूनिटी के बाद अब दुनिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बनाने की तैयारी चल रही है। सात वर्ष में पीएमसीएच व‌र्ल्ड का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बन जाएगा। फिलहाल 1700 बेड वाला पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) फ्यूचर में 5,462 बेड वाला हॉस्पिटल बन

जाएगा। पीएमसीएच के विस्तारीकरण की योजना को शनिवार को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस योजना पर 5,540 करोड़, सात लाख रुपए खर्च होंगे। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सूचना भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में इस प्रोजेक्ट की विस्तार से जानकारी दी।

बेलग्रेड में सबसे बड़ा हॉस्पिटल

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि वर्तमान में बेलग्रेड स्थित 3500 बेड का अस्पताल व‌र्ल्ड का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है। पीएमसीएच बनने के बाद यहां एमबीबीएस की 150 सीटें बढ़कर 250 हो जाएंगी। पीएमसीएच कैंपस में 450 बेड का धर्मशाला, 72.44 लाख वर्गफीट में ग्रीन बिल्डिंग, 3,435 वाहनों के लिए मल्टीलेवल कार पार्किग का निर्माण भी किया जाएगा। मेडिकल गैस पाइप लाइन संयंत्र भी लगाए जाएंगे।

क्विक पैनल की नजर से

कैबिनेट की मंजूरी के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने डॉक्टरों का तुरंत एक पैनल बनाया। डॉक्टरों के पैनल ने इस प्रोजेक्ट की सफलता और असफलता दोनों पर फोकस किया है। पैनल में पटना मेडिकल कॉलेज के डॉ अभिजीत, डॉ अनिल के साथ शहर के प्रमुख चिकित्सक डॉ मनोज कुमार, डा राणा एसपी सिंह के साथ डॉ संजीव कुमार को शामिल किया गया।

हड़ताल वाला अस्पताल

पीएमसीएच डॉक्टरों की हड़ताल और मरीजों की मौत को लेकर काफी बदनाम रहा है। जब भी कोई घटना होती है डॉक्टरों की हड़ताल हो जाती है। हर साल 3-4 बार हड़ताल हो जाती है। जब यहां हड़ताल होती है तो मरीजों में त्राहि त्राहि मच जाता है। इस साल भी हड़ताल में कई मरीजों की जान चली गई।

पांच बड़ी चुनौतियां

1. पीएमसीएच के स्ट्रक्चर को लेकर प्लानिंग की बड़ी समस्या आएगी।

2. टुकड़ों में बनी बिल्डिगों को तोड़कर नए भवन को बनाना थोड़ा मुश्किल होगा।

3. कैसे खत्म होगा जाम का झाम।

4. 7 साल तक अस्पताल के भवन निर्माण व व्यवस्था संचालन बनेगी चुनौती।

5. डॉक्टरों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम।

पांच सुविधा आसान करेगी राह

1. पीएमसीएच का लंबा-चौड़ा एरिया।

2. आस पास का माहौल और कनेक्टिविटी की सुविधा।

3. पटना मेडिकल कॉलेज की पुरानी साख।

4. पटना मेडिकल कॉलेज में लगाए गए आधुनिक संसाधन।

5. डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की बड़ी टीम के साथ रिसर्च टीम का होना।