- मदरसों में कोई ड्रेस कोड नहीं होगा लागू

- मंत्री मोहसिन रजा ने कराई सरकार की किरकिरी, अब भी बयान पर कायम

- मुख्तार नकवी और दिनेश शर्मा ने की मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण से बात

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रुष्टयहृह्रङ्ख : प्रदेश के मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने के विवादित मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक्टिव होते ही मंगलवार देर रात राज्य सरकार सक्रिय हो गई। बयान उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा का था, लेकिन उसे बदलवाने के लिए मोहसिन के सीनियर मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी को जगाकर उनसे नुकसान की भरपाई करने के लिए नया बयान जारी करने को कहा गया। इससे यह साफ हो गया कि उत्तर प्रदेश के मदरसों के छात्र पहले की तरह ही कुर्ता पायजामा पहनते रहेंगे, कोई नया ड्रेस कोड लागू होने नहीं जा रहा।

फोन आते ही शुरू हुआ डैमेज कंट्रोल

मंगलवार को मदरसा छात्रों के लिये ड्रेस कोड लागू करने पर उभरे विवाद से यह भी साफ हो गया कि दोनों मंत्रियों में आपसी तालमेल बिल्कुल नहीं है और मोहसिन रजा ने सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी। मदरसों में ड्रेस कोड वाला मोहसिन रजा का बयान मंगलवार दोपहर करीब बारह बजे वायरल हुआ था, लेकिन डैमेज कंट्रोल की कोशिश रात साढ़े नौ बजे लक्ष्मीनारायण चौधरी को पीएमओ का फोन आने के बाद शुरू हुई। इसके बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने उन्हें फोन किया। कुछ देर बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन गया और आखिर में उप मुख्यमंत्री डा। दिनेश शर्मा ने भी फोन किया। सबका एक ही कहना था कि इस गैर जिम्मेदार बयान का तत्काल खंडन किया जाना चाहिए। तब जाकर देर रात चौधरी ने ट्वीट किया कि मदरसों में ड्रेस कोड का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

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'हर शख्स को खाने-पीने व पहनने की स्वतंत्रता'

बुधवार को मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने कहा कि वे मंत्री मोहसिन रजा के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि देश में हर व्यक्ति को खाने-पीने व पहनने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता है। कहा कि यह बयान राज्यमंत्री ने क्यों दिया, इसके बारे में वही बता सकते हैं।

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मोहसिन अपने बयान पर कायम

बुधवार को दिन भर मोहसिन रजा का फोन उठा नहीं। शाम को बात हुई तो वह मदरसों में ड्रेस कोड लागू किए जाने संबंधी अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने कहा कि चौधरी साहब ने जो बोला है, उस पर वह टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने फिर कहा कि वह मदरसों के छात्रों को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं और इसीलिए ड्रेस कोड लागू करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए यह प्रस्ताव देंगे, लेकिन उस पर अंतिम निर्णय करना सरकार का काम है।