RANCHI: झारखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सभी जिलों की बाल कल्याण समिति अध्यक्षों एवं सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई धांधली मामले में पीएमओ ने जांच का आदेश दिया है। जांच का आदेश नेशनल हेल्थ मिशन की डायरेक्टर विदुषी चतुर्वेदी को मिला है। कहा गया है कि इस मामले की जांच कर पूरी रिपोर्ट पीएमओ कार्यालय को भेजें। गौरतलब हो कि पांच सितंबर को आरटीआई एक्टिविस्ट ने इन नियुक्ति प्रक्रियाओं को निरस्त करते हुए पदाधिकारियों को निलंबित करते हुए दस्तावेजों की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। इस संबंध में राष्ट्रपति सचिवालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, महिला एवं बाल विकास मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से ऑनलाइन शिकायत की गई थी।

क्या है मामला

आरोप लगाया है कि महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा सुनियोजित षड्यंत्र के तहत रांची, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, दुमका, गुमला, साहेबगंज, पश्चिमी सिंहभूम इत्यादि सभी जिलों में सीडब्ल्यूसी के अध्यक्षों एवं सदस्यों की नियुक्ति अवैद्य तरीके रिश्वत (करीब 50,000 से 1,50,000 रुपए तक) लेकर की गई है, जो भारतीय संविधान का उल्लंघन है। सभी जिलों में सीडब्ल्यूसी के अध्यक्षों एवं सदस्यों की नियुक्ति करने हेतु सात सदस्यों की चयन समिति बनाने का प्रावधान है। मगर विभागीय अधिकारियों द्वारा मनमानी करते हुए नियमों के विरुद्ध तीन सदस्यों की चयन समिति बनाकर सभी सीडब्ल्यूसी में नियुक्तियां की गई हैं।

रांची समेत कई जिलों में अवैध नियुक्ति

आवेदन में कहा गया है कि रांची की रूपा कुमारी, तनुश्री सरकार, कौशल किशोर, श्रीकांत कुमार, प्रतिमा कुमारी, खूंटी जिला के विरेश्वर विंघिया, बैधनाथ कुमार, रश्मि कुमारी, बसंती कुमारी मुंडा, लीना केरकेट्टा, बोकारो के विजय कुमार सिंह, सुधीर कुमार सिंह, सुनीता सिन्हा, गुमला के शम्भु सिंह, सुषमा देवी, संजय भगत, जमशेदपुर की पुष्पा रानी तिर्की, लखी दास, आलोक भास्कर, रंजीत प्रसाद सिन्हा का शैक्षणिक प्रमाणपत्र, अनुभव प्रमाणपत्र, चरित्र प्रमाणपत्र, पृष्ठभूमि इत्यादि जांच कराए बिना ही सीडब्ल्यूसी में पदभार दिया गया है। इनके अलावा पश्चिमी सिंहभूम, दुमका, धनबाद, साहेबगंज समेत अन्य सभी जिलों में भी इसी तरह से अवैद्य नियुक्तियां की गई हैं।