-हवा में प्रदूषण की मात्रा है 'वेरी हाई'
- एनजीटी के मानकों की हो रही अनदेखी
Meerut । डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से भारत में बढ़ रहे प्रदूषित शहरों को लेकर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। पॉल्यूशन के स्तर को लेकर मेरठ की भी स्थिति चिंताजनक है। शहर में बढ़ रहे कंक्रीट के जंगल और घटती हरियाली ने जहां आम लोगों के लिए सांसों का संकट पैदा कर दिया है। तो वहीं एनजीटी के मानकों की अनदेखी के कारण शहर में भी पॉल्यूशन लेवल में तेजी आ रही है।
बिगड़ेंगे हालात
मेरठ में भी प्रदूषण की गंभीर स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आंकड़ों के मुताबिक यहां भी पॉल्यूशन की स्थिति खतरे के निशान को पार कर चुकी है। शहर की आवोहवा में प्रदूषण का लेवल 'वेरी हाई' है।
व्यवस्थाओं पर भारी लापरवाही
मेरठ में प्रदूषण नियंत्रण के लिए लापरवाही सबसे बड़ा कारण है। हालत यह है कि गत दिनों मेरठ में 3 प्रदूषण मापन के लिए केंद्रों की स्थापना मार्च 2018 तक होनी थी। लेकिन अभी तक नहीं हो सकी। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी आरके त्यागी ने बताया कि मेरठ में प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन का अनुपालन किया जा रहा है। 3 प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों की स्थापना सीपीसीबी के निर्देशन में हाेनी है।
भयावह हो रहे आंकड़े
मेरठ:-
पीएम 10-129
पीएम 2.5-69
पीएम 10 पॉल्यूशन लेवल-वेरी हाई
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पॉल्यूशन इन
मेरठ
एयर पॉल्यूशन-74.11 हाई
ड्रिकिंग वाटर पॉल्यूशन-65.22 हाई
कूड़ा कुप्रबंधन से प्रदूषण-85.11 वेरी हाई
गंदगी और प्रबंधन में लापरवाही-73.86 हाई
न्वाइज एंड लाइट पॉल्यूशन-62.50 हाई
वाटर पॉल्यूशन-85 वेरी हाई