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-पब्लिक और मातहतों के बीच छवि बदलने में जुटे पुलिस अफसर

-चौकीदारों को फिर से किया गया तैयार, बीट पर होने लगी मॉनिटरिंग

-दिवाली मलिन बस्ती-अनाथ आश्रम में मनाई, भैया दूज पर पहुंचे बहनों को भरोसा दिलाने

ajeet.singh@inext.co.in

ALLAHABAD: मित्र पुलिस का राग तो इस विभाग में अक्सर सुनाई देता है। लेकिन जमीनी स्तर पर पुलिस और पब्लिक के बीच जबर्दस्त खाई देखने को मलती है। नतीजा यह होता है कि टेक्नोलॉजी के मामले में स्ट्रांग होने के बावजूद पुलिस मामले सुलझा नहीं पाती। कई बड़े केसेस में क्लू होते हुए भी पब्लिक से कोई पुलिस की मदद के लिए आगे नहीं आता। पिछले कुछ दिनों में अपने शहर में भी ऐसा देखने में आया है जब कई बड़ी घटनाओं में पुलिस नाकाम रही है। इन सब को देखते हुए इन दिनों इलाहाबाद पुलिस अपनी छवि चमकाने और लोगों से दूरी मिटाने के मिशन पर लगी हुई है। इसके तहत अधिकारी और मातहत विभिन्न आयोजनों के जरिए लोगों से जुड़ रहे हैं।

इसलिए आई यह नौबत

केस-1

बहुचर्चित डॉ। एके बंसल हत्याकांड का आज तक खुलासा नहीं हो सका है। डॉ। बंसल को बदमाशों ने दिन-दहाड़े क्लीनिक में घुसकर गोलीबारी से मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस आज तक हत्यारों तक पहुंचना तो दूर, सुराग तक नहीं लगा सकी है। महीनों तक दर्जनों लोगों से पूछताछ के बावजूद लोगों को आशंका सताने लगी है कि कहीं यह हत्याकांड पहेली बनकर न रह जाए।

केस-2

करीब छह साल पहले सिविल लाइंस स्थित एमजी मार्ग के निकट डी-डामाज शोरूम में असलहों से लैस बदमाश दिनदहाड़े शोरूम में घुस आए। पहले मालिक की हत्या की और फिर करीब पांच करोड़ रुपए के जेवरात लूट लिए। इस घटना में भी पुलिस न तो लुटेरों का कुछ पता लगा पाई और न ही हत्यारों तक पहुंच सकी। शुरू में पुलिस ने काफी हाथ पैर मारा, लेकिन हाथ खाली रहे।

केस-3

14 अक्टूबर 2011 को ममफोर्डगंज में एचडीएफसी बैंक के एटीएम में रुपए पहुंचाने आए सिक्योरिटी गार्ड भागीरथी तिवारी और सत्य प्रकाश दुबे को गोली मारकर बाइक सवार बदमाशों ने 44 लाख रुपए लूट लिए। दोनों गार्ड्स की मौत हो गई थी। हमले में कस्टोडियन हेड मुकेश भी जख्मी हो गया था। मुकेश और ड्राइवर रुपेंद्र से मिले हुलिए के आधार पर पुलिस ने दो बदमाशों के स्कैच जारी किए थे। घटना का खुलासा करने के बजाए पुलिस ने फाइल बंद कर दी।

और ऐसे चमका रहे इमेज

केस-1

त्योहारों पर आम पब्लिक के बीच

कभी पुलिस छुट्टी मिलने पर फैमिली के साथ त्योहार का लुत्फ उठाती थी। इस बार पुलिस का अंदाज बदला नजर आया। दीवाली के मौके पर एडीजी, आईजी व एसएसपी समेत अन्य अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों के बीच त्योहार को लोगों के साथ एंज्वॉय किया और उनके साथ खुशियां भी बांटीं। साथ ही लोगों को भरोसा भी दिलाया कि पुलिस हर पल आपके साथ है।

केस-2

भाई दूज पर लगवाया टीका

दीवाली के ठीक दो दिन बाद पुलिस ने अनाथालय में रह रही बच्चियों के साथ भाई दूज मनाया। टीका लगवाया और फिर सुरक्षा व देखभाल का वजन दिया। वहीं बच्ची और युवतियां भी पुलिस भाई को अपने बीच पाकर बेहद खुश थीं।

केस-3

पब्लिक की सुरक्षा के लिए कमिटेड

पुलिस ने अपनी मॉनिटरिंग सिस्टम में भी बदलाव किया है। आम पब्लिक की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकीदारों के साथ मिलकर काम कर रही है। पुलिस ने अपने-अपने क्षेत्रों के चौकीदारों को फिर से मुस्तैद रहने के लिए कहा है। इसके साथ ही बीट सिपाही को भी अपने अपने कार्य में कुशलता लगाने के लिए कहा गया है ताकि आम पब्लिक असुरक्षा की भावना से उबर सकें।

केस-4

व्यापारियों से पूछा जाम का हल

सिर्फ इतना ही नहीं, पुलिस व्यापारियों के साथ मिलकर भी कई पहल कर रही है। जाम की समस्या खत्म करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने व्यापारियों को बुलाकर पूछा था कि आखिर में शहर में जाम की समस्या का हल कैसे निकाला जाए?

नेटवर्क मजबूत करने की पहल

-आज पुलिस के पास तमाम टेक्नोलॉजी है, लेकिन केसेज सुलझा पाने का औसत कम होता जा रहा है।

-कभी सिर्फ मुखबिरों और लोगों के साथ अपने कनेक्शन से पुलिस बड़े-बड़े मामलों को खोल दिया करती थी।

-माना जाता है कि लोगों में पुलिस की कम हुई विश्वसनीयता ने पुलिस की वर्कआउट स्पीड कम कर दी है।

बढ़ते वर्क लोड के कारण जनता से दूरियां बढ़ी थीं। पब्लिक के सहयोग से हम अपराध और अपराधियों पर काफी हद तक अंकुश लगा सकते है। पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वह पब्लिक के साथ अच्छे से पेश आए ताकि मौका पड़ने पर पब्लिक का सहयोग मिल सके।

आनंद कुलकर्णी एसएसपी