- आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद ब्लैक फिल्म को लेकर चल रहा है जबरदस्त अभियान, लेकिन इस कैंपेन को मुंह चिढ़ा रहे हैं ब्लैक फिल्म बेचने वाले दुकानदार

- सिटी के कई ऑटो पा‌र्ट्स मार्केट में खुलेआम बिक रही है ब्लैक फिल्म, नहीं है कोई रोकने-टोकने वाला

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सिटी में इन दिनों एक अभियान चल रहा है। ये अभियान चुनावों की घोषणा के बाद नेताओं और उनके समर्थकों पर नकेल कसने के लिए है। ताकि चुनावों के दौरान ब्लैक फिल्म की आड़ में रुपये, शराब या प्रचार सामग्री इधर-उधर न हो सके। इसके लिए हर चौराहों पर फोर व्हीलर्स से काली फिल्म उतारी जा रही है। ट्रैफिक पुलिस पेपर चेक करने के साथ इस कार्रवाई में जोर शोर से जुटी है लेकिन इसका असर कहीं नजर नहीं आ रहा। जानते हैं क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि चौराहों और सड़क पर ब्लैक फिल्म के खिलाफ सख्ती करने वाली ट्रैफिक पुलिस इसकी ब्रिकी को नहीं रोक सकी है। जिसका नतीजा ये है कि सिटी में धड़ल्ले से काली फिल्म लगी गाडि़या अब भी फर्राटा भर रही हैं। सिटी में शॉपकीपर्स बेखौफ होकर नियमों को ठेंगा दिखाते हुए ब्लैक फिल्म न सिर्फ रखे हैं बल्कि इसे बेच भी रहे हैं और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है।

क्योंकि इन पर नहीं है कोई ध्यान

आचार संहिता का चाबुक चलने के बाद चुनाव आयोग के डर से सड़क पर ट्रैफिक पुलिस उतरकर ब्लैक फिल्म उतारने में जुटी तो है लेकिन ये प्रयास पूरी तरह से फेल है क्योंकि एक तरफ गाडि़यों से ब्लैक फिल्म उतरने का काम हो रहा है तो दूसरी ओर नेता जी अपने समर्थकों को गाड़ी लेकर नदेसर, मिंट हाउस और चौकाघाट के किसी भी ऑटो मार्केट में भेजकर फिर से गाड़ी पर ब्लैक फिल्म लगवाकर निश्चिंत हो जा रहे हैं। इसके बाद भी पुलिस प्रशासन का पूरा ध्यान पूरी तरह से ब्लैक फिल्म उतारने पर है न कि इसकी ब्रिकी रोककर इसे पूरी तरह से रोकने पर। जबकि नियम के मुताबिक हर थानेदार को अपने क्षेत्र में ब्लैक फिल्म की ब्रिकी को रोकने और इसे बेचने वाले दुकानदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कर आदेश एसएसपी नितिन तिवारी दे चुके हैं।

हर मार्केट में हैं ब्रिकी जारी

- आचार संहिता लागू होने के बाद 450 से ज्यादा गाडि़यों से हटी ब्लैक फिल्म

- हर थानेदार को डेली 10 गाडि़यों से ब्लैक फिल्म हटाने का टारगेट दिया गया है

- ट्रैफिक पुलिस का हर टीएसआई भी डेली 10-15 गाडि़यों से काली फिल्म हटा रहा हैं

- अब तक करीब एक लाख रुपये वसूल चुकी है ट्रैफिक पुलिस

- इसके बाद भी गाडि़यां ब्लैक फिल्म लगाकर दौड़ रही हैं

- ऐसा इसलिए क्योंकि नदेसर, कैंट, लक्सा, महमूरगंज, मिंट हाउस पर ऑटो पा‌र्ट्स शॉप्स में बेखौफ बेची जा रही हैं ब्लैक फिल्म

- 500 से 1000 रुपये में आसानी से लगवाई जा सकती हैं ब्लैक फिल्म

नियम भी हैं लेकिन

- फोर व्हीलर्स पर किसी तरह की काली फिल्म या अन्य कोई पदार्थ चिपकाने की मनाही है।

- सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक गोयनका बनाम यूनियन बैंक और एक अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया था।

- इसके तहत ब्लैक फिल्म के खिलाफ सीएमवीआर यानि सेन्ट्रल मोटर व्हेकिल रेग्यूलेशन की धाराओं में कार्रवाई का नियम है

- इसमें चालान काटकर जुर्माना वसूलने के साथ ही काली फिल्म उतारने की प्रक्रिया भी शामिल है।

जरूरी है काली फिल्म पर रोक

- व्हीकल के विंडो और साइड ग्लासेज पर काली फिल्म लगी होने से बाहर से भीतर देख पाना मुश्किल होता है

- जबकि व्हीकल में मौजूद लोग बिना किसी प्रॉब्लम के बाहर देख सकते हैं।

- काली फिल्म लगने से फायदा क्रिमिनल उठाते हैं

- काली फिल्म लगे होने से रात में व्हीकल का अंदाजा नहीं लगने से एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ गई।

- चुनावों के दौरान ब्लैक फिल्म लगी गाड़ी का यूज प्रचार सामग्री, रुपये, शराब और कई दूसरी चीजें इधर उधर पहुंचाने में होता है

ब्लैक फिल्म लगाकर चलने वालों के साथ इसे बेचने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। ऑटो पा‌र्ट्स शॉप की औचक जांच होगी और अगर ब्लैक फिल्म मिली तो फिर शॉपकीपर के खिलाफ एक्शन लिया जायेगा।

नितिन तिवारी, एसएसपी