मेरठ और आगरा दोनों जगह पर उद्धार अधिकारी ने दाखिल किया था एक जैसा एफिडेविट

पूर्व डीपीओ के खिलाफ शासन स्तर और कार्रवाई प्रस्तावित, जिला प्रशासन ने प्रकरण को लिया संज्ञान

Meerut. हाईकोर्ट के आदेश अनसुना कर मेरठ के कबाड़ी बाजार के संबंध में पूर्व डीपीओ और तत्कालीन सीओ ने एफिडेविट दाखिल किया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इस प्रकरण पर पहले दिन से ही मेरठ पुलिस-प्रशासन की मंशा साफ नहीं थी. एक ओर अधिकारी कबाड़ी बाजार में अवैध देह व्यापार से इनकार कर रहे थे तो वहीं ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ रहे थे. आलम यह है कि मेरठ के कबाड़ी बाजार और आगरा के कश्मीरी बाजार दोनों ही रेड लाइट एरिया में उद्धार अधिकारी द्वारा एक जैसा एफीडेविट दाखिल किया गया.

गले की फांस बना हलफनामा

मेरठ के रेड लाइट एरिया कबाड़ी बाजार में संचालित देह व्यापार के विरोध में दाखिल एक जनहित याचिका (पीआईएल) में जनवरी 2019 को एक काउंटर के जबाव में दाखिल किया, जिसमें लिखा है कि 'कबाड़ी बाजार में देह व्यापार नहीं हो रहा है.' यह एफीडेविट तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता और सीओ संजीव देशवाल की ओर से दाखिल किया गया था. इसके अलावा मेरठ के उद्धार अधिकारी मिंदर सिंह द्वारा भी एक एफिडेविट दाखिल किया गया था, जिसमें कबाड़ी बाजार रेड लाइट एरिया में देह व्यापार से साफ इनकार करते हुए कहा कि यहां रह रहीं युवतियों रोजगार से जोड़ने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. इतना ही नहीं उद्धार अधिकारी ने आगरा के रेड लाइट एरिया, कश्मीरी बाजार के संबंध में दाखिल एफिडेविट में भी यही बात दोहराई.

नहीं दिखा देह व्यापार

जिलाधिकारी, जिला प्रोवेशन अधिकारी, जिला उद्धार अधिकारी की ओर से दाखिल काउंटर एफीडेविट में 'प्वाइंट 35' में तत्कालीन डीपीओ एसके गुप्ता और सीओ संजीव देशवाल ने पीआईएल को झूठा और तथ्यहीन करार देते हुए कहा कि 'मेरठ के कबाड़ी बाजार में कोई कोठा संचालित नहीं हो रहा है.' गौरतलब है कि पीआईएल में मेरठ के डीएम-एसएसपी समेत 12 अधिकारियों को पार्टी बनाया गया है. हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल को सुनवाई के दौरान पूर्व डीपीओ, सीओ और उद्धार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं तो वहीं सरकार से पूछा है कि आखिर किन परिस्थितियों में उद्धार अधिकारी को मेरठ के साथ-साथ मंडल मुख्यालय आगरा का चार्ज दिया गया है?

मेरठ में चले ऑपरेशन मुक्ति-सुनील चौधरी

आंदोलन और जनहित याचिका के सहारे प्रयागराज में देह व्यापार के खिलाफ बड़ा अभियान चलाने वाले अधिवक्ता सुनील चौधरी ने मांग की है कि मेरठ में 'ऑपरेशन मुक्ति' का संचालन किया जाए. पुलिस-प्रशासन अधिकारी मेरठ के 75 कोठों में देह व्यापार के धंधे में लिप्त 400 से अधिक युवतियों और महिलाओं को रेस्क्यू करें और उन्हें रोजगार से जोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल करे. गौरतलब है कि प्रयागराज के बाद मेरठ में अवैध कारोबार के खिलाफ अधिवक्ता ने पीआईएल दाखिल की, जिसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अवैध कारोबार को बंद कराने के आदेश दिए. अधिवक्ता ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि प्रयागराज, मेरठ के बाद दिल्ली, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, अलीगढ़, हरदोई, सहारनपुर आदि शहरों में संचालित देह व्यापार के अवैध कारोबार को अभियान चलाकर बंद कराया जाएगा.

मेरठ में कबाड़ी बाजार में संचालित कोठों को बंद करा दिया गया है. चरणबद्ध तरीके से देह व्यापार में लिप्त महिलाओं के पुनर्वास का प्रयास किया जा रहा है तो वहीं पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि दोबारा कोठों का संचालन यहां न होने पाए.

नितिन तिवारी, एसएसपी, मेरठ