- 40 लाख रुपये का किया गबन, 24 लाख लुटने से बचे

- पुलिस ने बैंक कर्मी समेत पांच को पकड़ा

- एक ही फोटो पर खोले कई अकाउंट, सिलिकॉन से बनाया फिंगर प्रिंट

आगरा। साइबर क्राइम सेल टीम के हाथ ऐसा गैंग लगा है जो केंद्र द्वारा मदरसे के बच्चों का दिए जाने वाले वजीफे हड़प रहा था। पुलिस की पड़ताल में 40 लाख के गबन का खुलासा हुआ। शातिर फिर से जालसाजी करते की साइबर टीम के हाथ लग गए। टीम ने इनके पास से जालसाजी का करने का सामान बरामद किया है।

इन लोगों को पुलिस ने पकड़ा

पुलिस के मुताबिक पकड़े गए शातिरों के नाम नितिन चौहान पुत्र रघुवीर सिंह चौहान निवासी टेढ़ी बगिया (एसबीआई ग्राहक सेवा केंद्र संचालक)़ राकेश कुमार पुत्र स्व। राम स्वरूप निवासी हरसनपुर, खंदौली (पोस्टमैन), रविंद्र शर्मा पुत्र राजेंद्र शर्मा निवासी न्यू जनता कॉलोनी, मुस्तफा क्वार्टर (बैंक ऑफ इंडिया, ग्राहक सेवा केंद्र संचालक), उमाकांत पुत्र स्व। फौरन सिंह निवासी नंद लालपुर, हाथरस रोड (बैंक कर्मी), आदित्य प्रताप सिंह पुत्र शैलेंद्र कुमार निवासी टेढ़ी बगिया (ग्राहक सेवा केंद्र संचालक पड़ोसी) बताए गए हैं।

उठा रहे सरकारी योजना का लाभ

एसपी क्राइम मनोज सोनकर ने प्रेसवार्ता में बताया कि ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) संचालक नितिन फर्जी मदरसा संचालकों से मोटा कमीशन लेकर एसबीआई फाउंड्री नगर में मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए केंद्र सरकार से आई हुई स्कॉलरशिप फर्जी मदरसा संचालकों को दिलाने के लिए एक ही फोटो से करीब 5 से 7 फर्जी खाते अलग-अलग नाम व पतों पर खोल देता था। इस तरह वर्ष 2016-2017 में करीब 1 हजार फर्जी खाते मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के नाम पर बिना आधार कार्ड, फिंगरप्रिंट के तहत खोले गए।

40 लाख की रकम पार की

शातिरों ने फर्जी अकाउंट खोल कर 2017 फरवरी-मार्च में सभी बच्चों का वजीफे का 40 लाख रुपया अवैध तरीके से फर्जी मदरसा संचालकों ने निकाल लिया। इसके बाद 2017-2018 में फर्जी खातों पर आधार कार्ड अपडेट न होने के चलते खाते बंद कर दिए गए। आरोपी नितिन ने पूछताछ में बताया कि रविंद्र ने मोहम्मद इलियास और मोहम्मद सफी से मुलाकात कराई थी। उन लोगों ने एक ही फोटो से अलग-अलग खाते खुलवाए। अकाउंट खुलवाने के लिए नितिन ने एक सिलीकॉन से बने फिंगरप्रिंट का यूज किया। सभी फर्जी अकाउंट खोलने के लिए सीएसपी संचालक नितिन, मो। इलियास, मो। शफी व रविंद्र शर्मा की फिंगरप्रिंट लगाई गई।

लुटने से बचाए 24 लाख रुपये

वर्ष 2017-2018 में मदरसों के नाम पर जो स्कॉलरशिप फर्जी तरीके से पूर्व में ली गई वह खाता बंद होने के चलते नहीं मिल पाई लेकिन सितम्बर में हाईकोर्ट द्वारा आधार कार्ड पर आए निर्णय के बाद बिना आधार के नितिन ने फर्जी मदरसा संचालकों से मोटा कमीशन लेकर 600 बच्चों के नाम पर फर्जी खाते खोल दिए। इन खातों में वर्ष 2018-2019 की वजीफा राशि फरवरी 2019 में करीब 24 लाख रुपये आनी थी। साइबर टीम ने 24 लाख रुपये का गबन होने से रोक लिया।

इस तरह से करते हैं काम

मुख्य आरोपी नितिन की नजर उन खातों पर रहती थी जिनसे लम्बे समय से लेन-देन नहीं हुआ है। एसबीआई फाउंड्री नगर शाखा में तत्कालीन बैंक मैनेजर पंकज कुलश्रेष्ठ की सहमति से सीएसपी संचालक नितिन बैंक कर्मी उमाकांत की आईडी का गलत तरीके से यूज कर रहा था। खातें में फर्जी तरीके से मोबाइल नंबर बदल देता था जिससे खाताधारक को निकासी की कोई सूचना न मिल सके। खातों पर नए एटीएम एप्लाई कर पोस्टमैन राकेश की मदद से नए एटीएम को लेकर गोपनीय पिन बनाकर एटीएम से निकासी पड़ोसी आदित्य से कराता था। काम पूरा होने के बाद एसबीआई ग्राहक सेवा केंद्र संचालक बैंककर्मी की आईडी फिर से यूज कर खाते पर पहले के मोबाइल नंबर को अपडेट कर देता था। इससे बैंक को भी कोई जानकारी नहीं हो पाती।