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PATNA : मारोमारोवो रहे ग्रामीण एसपी। इन्हेंभी मत छोड़ना। वहीं दूर से आवाज आई मैं डीएसपी हूंतुम्हारा अफसर हूं। मुझे तो छोड़ दो। शायद ऐसा पहली बार हो रहा था जब पुलिस वाले खुद अपने अफसरों को पीटने और गाडि़यों को फोड़ने में लगे थे। मामला था ट्रेनी लेडी कांस्टेबल की मौत का। ट्रेनिंग ले रही एक लेडी कांस्टेबल लंबे समय से बीमार थी। उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी। बीमारी में काम करने के कारण शुक्रवार सुबह उसकी मौत हो गई। उसकी मौत का गुस्सा रंगरूटों में ऐसा उबला कि 5 घंटे तक पुलिस लाइन जंग का मैदान बन गया।

जो आया उसे पीटा

पुलिस- हंगामा सुनते ही पुलिस के जवान और आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। नए रंगरूटों ने उन्हें भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।

मीडिया- जैसे ही कुछ मीडिया पर्सन ने मौके की तस्वीरें लेनी शुरू की तो रंगरूटों ने उन पर लाठियां भांजना शुरू कर दी।

आम आदमी- जब मौके पर खड़े आम आदमियों ने समझाने की कोशिश की तो गुस्सा उन पर फूट पड़ा। रंगरूटों ने उन्हें दौड़ाकर पीटा।

आक्रोश की आंधी

-सुबह 6 बजे अस्पताल में सविता की मौत हो गई।

-सुबह 7 बजे अस्पताल परिसर में भीड़ इकट्ठा हो गई।

-सुबह 8 बजे लोग बॉडी लेकर पुलिस लाइन पहुंचे।

-सुबह 9 बजे आला अधिकारी समझाने के लिए मौके पर पहुंचे।

-सुबह 10 बजे भीड़ काफी उग्र हो गई।

-सुबह 11 बजे पुलिस के अंदर वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी।

-सुबह 11.15 बजे कई राउंड फायरिंग हुई।

-सुबह11.20 बजे डीएसपी लाइन मसलाउद्दिन पहुंचे तो आरक्षियों ने दौड़ा दिया और जमकर पीटा।

-11.30 बजे एसपी सिटी और एसपी ग्रामीण पहुंचे तो इन्हें भी घायल कर दिया।

-दोपहर 12.15 बजे एसएसपी मनु आरक्षियों से मिलकर स्थिति की जानकारी ली।

मुंशी से छुट्टी लेने पर मांगता था वीडियो और फोटो

सविता मेरी सबसे करीबी दोस्त थी। हम दोनों पहले से एक-दूसरे को नहीं जानते थे। ट्रेनिंग में आने के बाद उससे मुलाकात हुई। कम समय में ही हम लोग अच्छे दोस्त बन गए। वह अपनी हर खुशी और गम मुझे बताती थी। चार दिन पहले भी उसका मेरे पास फोन आया था। उसने कहा-यार, तबियत बहुत खराब है। काम करने की हिम्मत नहीं हो रही। मैंने उससे कहा कि छुट्टी ले लो। वो बोली, तुम्हें तो पुलिस लाइन की हालत पता ही है। यहां जब भी कोई छुट्टी मांगता है तो मुन्ना मुंशी उससे पहले उसका वीडियो और फोटो मांगते है। तुम्हें तो याद ही होगा एक महीने पहले भी मुझे टाइफाइड हो गया था। तब भी जब मैं छुट्टी मांगने गई तो उसने मुझसे कहा था पहले अपना वीडियो और फोटो दो, तब छुट्टी के बारे में सोचना। तबियत इतनी खराब थी कि मुझे मजबूरी में अपना वीडियो बनाना पड़ा। तब कहीं उसका दिल पसीजा और छुट्टी दी। तब मैंने कहा कि सीनियर्स से शिकायत करो तो वह बोली, किससे क्या कहूं। कौन नहीं जानता कि हम लोगों से 12 से 16 घंटे तक ड्यूटी कराई जाती है। आला अधिकारी हमें नौकर से कम नहीं समझते। जब देखो तब ऑर्डर दे दिया जाता है। जानवरों से भी बदतर जिंदगी हो गई है। यह कहकर उसका गला भर आया था। तब मैंने उसे बहुत समझाया था, लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरी दोस्त से आखिरी बार बात हो रही है। पुलिस लाइन में न तो छुट्टी का कोई नियम है और न ड्यूटी का।