शपथ पत्र में झूठ उजागर होने पर ट्रैनिग पर लगी रोक

किसी पर मारपीट तो किसी पर जानलेवा हमले के मिले मुकदमे

शपथ पत्र में जानकारी न देने पर भर्ती निरस्त होने की कगार पर

आगरा। तीन साल पहले शुरू हुई सिपाही भर्ती परीक्षा में अब प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसमें ट्रेनिंग पर जाने से पहले 15 सिपाहियों की नौकरी शपथ पत्र के झूठ पर फंस गई है। इन अभ्यर्थियों के खिलाफ गांव की रंजिश में छोटी धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनको फिलहाल ट्रेनिंग में शामिल होने से रोक दिया गया है। ऐसे सभी अभ्यर्थियों ने एडीजी अजय आनंद से मिल कर मामले का संज्ञान दिया है।

मेडिकल में पास हो गए सभी

मामला वर्ष 2015 में बिना लिखित परीक्षा के भर्ती हुए सिपाहियों से संबंधित है। दौड़ के बाद उत्तीर्ण हुए एक हजार अभ्यर्थियों को मेडिकल और प्रमाण पत्रों की जांच के लिए आगरा भेजा गया था। मेडिकल में ये सभी पास हो गए। मगर, 21 अभ्यर्थियों की नियुक्ति फंस गई। पुलिस वेरीफिकेशन हुआ तो इनके खिलाफ संबंधित थानों में मुकदमे दर्ज मिले।

रंजिश में कराए मुकदमें दर्ज

ये सभी अभ्यर्थी पिछले दिनों एसएसपी से मिले और बताया कि उनके खिलाफ रंजिश में मुकदमे दर्ज कराए गए थे। कोर्ट से वे दोष मुक्त हो गए थे। इसीलिए शपथ पत्र में उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया। इस तरह के 14 अभ्यर्थियों ने दोबारा शपथ पत्र दे दिए। इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग पर भेज दिया गया। मगर, सात ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनकी भर्ती निरस्त होने की कगार पर है।

भर्ती निरस्त की भेजी गई रिपोर्ट

इसी तरह हाथरस में आठ अभ्यर्थी ऐसे थे, जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज पाए गए और शपथ पत्र में उन्होंने यह तथ्य छिपाया था। नियमानुसार एसपी हाथरस ने इनकी भर्ती निरस्त करने की रिपोर्ट भर्ती बोर्ड को भेज दी है। इस तरह आगरा और हाथरस के 15 अभ्यर्थियों की भर्ती निरस्त होने की कगार पर है। ये सभी पिछले दिनों एडीजी अजय आनंद से मिले। एडीजी ने पहले एसपी हाथरस और एसएसपी आगरा से बात की फिर भर्ती बोर्ड के अधिकारियों से बात की। उन्होंने भर्ती बोर्ड से इन अभ्यर्थियों की भर्ती पर निर्णय लेने को स्पष्ट निर्देश देने को कहा है।

कई अभ्यर्थियों को नहीं मामले की जानकारी

जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ थानों में मारपीट जैसी छोटी धाराओं में मुकदमे दर्ज मिले हैं उनमें से कई ने अनभिज्ञता जताई। उनका कहना है कि उन्हें मुकदमे की जानकारी नहीं थी, इसीलिए उन्होंने शपथ पत्र में इसका जिक्र नहीं किया। कुछ अभ्यर्थियों का कहना था कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमें में पुलिस एफआर लगा चुकी है, इसीलिए उन्होंने इसका जिक्र शपथ पत्र में नहीं किया।