Sunday night पड़ी थी raid

संडे की रात सीता किरण होटल में एसपी सिटी त्रिवेणी सिंह ने छापेमारी कर उदयपुर से ऑपरेट होनी वाली फर्जी भविष्य कोऑपरेटिव सोसायटी का खुलासा किया था। जांच मे सामने आया था कि बिना आरबीआई लाइसेंस के सोसायटी बैकिंग कर रही थी। उन्होंने मौके से तीन लोगों को पकड़ा था। मंडे को केस में इंस्पेक्टर देवेश सिंह को बैंक एकांउट सीज कराने का आदेश दिया। एसएचओ ने इसकी जिम्मेदारी एसएसआई संजीव तोमर को सौंप दी। मौके से कई डॉक्यूमेंट्स भी उन्होंने कलेक्ट किए थे।

मंडे से ही मैनेजमेंट स्टार्ट

सुबह होते ही केस में खेल स्टार्ट हो गया। मंडे को समय रहने के बावजूद भी सोसायटी का आईसीआईसीआई बैंक के अकाउंट को सीज नहीं कराया गया। रात में एसपी सिटी को सोसायटी ऑपरेट करने वालों ने पचास लाख रुपये का ऑफर दिया। बात नहीं बनी तो सीनियर अधिकारियों की सिफारिश से सभी रात में ही एसएसपी से भी मिले। यहां भी नतीजा फेवर में न होने के बाद इन लोगों ने थाने के लेवल पर सेटिंग स्टार्ट की।

छोडऩे के लिए पचास लाख

सोर्सेस के अनुसार, सोसायटी के लोग पचास लाख का ऑफर सिर्फ इतने ही काम के दे रहे थे कि केस अननोन लोगों के खिलाफ रजिस्टर किया जाए और तीसरे आरोपी विनीत को कोतवाली से छोड़ दिया गया। अफसरों के बाद कोतवाल व एसएसआई से संपर्क साधा गया तो इनकी उम्मीद बढ़ी। सेटिंग का आलम यह कि कोतवाली में छापेमारी के 24 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई वो भी सिर्फ आलोक व सुधीर के नाम। यही नहीं ट्यूजडे नाइट तीसरे आरोपी को भी छोड़ दिया गया।

अहम डाक्यूमेंट्स किए गायब

पुलिस की हीलाहवाली का फायदा उठाते हुए कंपनी के लोगों ने उदयपुर के अकाउंट से ड्राफ्ट के माध्यम से 1 करोड़ रुपये निकाल लिए। इसके अलावा 15 लाख रुपये कैश भी निकाल लिए। यही नहीं मौके से मिले सोसायटी के डॉक्यूमेंट गायब कर दिए गए। केस डायरी में सिर्फ आरोपियों के पास से मात्र एक घड़ी, मोबाइल और 320 रुपये की बरामदगी ही दिखाई गई। पुलिस के पास से जो अकाउंट का स्टेटमेंट मिला है उसमें दो दिन में ही पांच-पांच लाख तक का डिपॉजिट देश के अलग-अलग हिस्सों से हुआ है। रुपये जमा होने के बाद तुरंत निकाल भी लिया जाता था।  

GD में भी खेल

देर रात तीसरे आरोपी को थाने से छोडऩे के बारे में पता चला तो एसपी सिटी ने एसएसपी को अवगत कराया। इसके बाद लेट नाइट ही एसएसआई को इंस्पेक्टर की रिपोर्ट पर सस्पेंड कर दिया गया। इंस्पेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एसएसआई ने उन्हें बिना बताए ही आरोपियों को छोड़ दिया। यही नहीं जीडी में देखने पर पता चला कि एसएसआई ने अरेस्टिंग में कोतवाल का नाम दिखा दिया और खुद की भी रवानगी कर दी जबकि वह कहीं गए       ही नहीं ।

लाखों की डील करने की बात सामने आयी है। कोतवाल की भूमिका संदिग्ध लगने पर लाइन हाजिर कर दिया गया है। इस तरह से लापरवाही बरतने वाले आईओज व थाना प्रभारियों के खिलाफ इसी तरह से एक्शन लिया जाएगा।

-आकाश कुलहरि, एसएसपी

मेरे द्वारा डाक्यूमेंट उपलब्ध कराने व अरेस्टिंग करने के वाबजूद आईओ ने इतना बड़ा खेल किया। सोसायटी के मेन संचालक को गिरफ्तार करने के लिए जल्द ही टीम उदयपुर रवाना हो जाएगी। एसएसआई से सभी केस की विवेचनाएं भी वापस ली जाएंगी।

- त्रिवेणी सिंह, एसपी सिटी