- महिला अपराधों के मामले में जांच की बात कह लौटा दी जाती हैं पीडि़त महिलाएं

- राज्य महिला आयोग ने ही उठाए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल, जताई नाराजगी

- सभी कप्तानों को पत्र जारी कर दिये आदेश, पहले एफआईआर बाद में करें जांच

देहरादून।

राज्य में लगातार बढ़ रहे महिला अपराधों पर तो पुलिस लगाम नहीं लगा पा रही, पीडि़त महिलाओं की सुनवाई करने से भी कन्नी काट रही है। पुलिस के इस कारनामे पर राज्य महिला आयोग ने सवाल उठाए हैं। आयोग द्वारा सभी जिलों के कप्तानों को पत्र जारी कर आदेश दिए हैं कि पीडि़त महिला की तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए, उन्हें जांच का हवाला देकर भरमाया न जाए। हिदायत भी दी कि अगर ऐसा कोई मामला आयोग के पास आया तो जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आयोग को मिली लगातार शिकायत

उत्तराखंड पुलिस क्राइम कंट्रोल के लगातार दावे करती है, लेकिन राज्य महिला आयोग ने पुलिसिंग को ही कटघरे में खड़ा कर उसकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। आयोग के अनुसार पिछले दिनों आए केसों के आधार पर स्टडी कराई तो पाया गया कि पीडि़त महिलाओं की थाना-चौकियों में सुनवाई ही नहीं हो रही है। जब वे न्याय के लिए पुलिस के चक्कर काट-काट कर थक जाती हैं तो हारकर महिला आयोग का दरवाजा खटखटाती हैं। महिलाएं आयोग के समक्ष भी शिकायत करती हैं कि पुलिस उन्हें जांच का हवाला दे देती है और केस दर्ज नहीं करती।

जांच बाद में, पहले केस दर्ज करो

लगातार आ रही शिकायतों को देखते हुए महिला आयोग ने पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने कहा कि महिलाएं चौकी-थानों में भटकती रह जाती हैं, लेकिन पुलिस उनकी सुनवाई नहीं करती। ये गंभीर मसला है, ऐसे में पीडि़त महिलाओं को न्याय कैसे मिलेगा। उन्होंने सभी जिलों के एसपी-एसएसपी को इस संबंध में पत्र जारी किया है। जिसमें साफ आदेश दिये गए हैं कि पीडि़त महिलाओं की एफआईआर तत्काल दर्ज की जाए, इसके बाद मामले की जांच की जाए। पीडि़तों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए और सुनवाई की जाए।

पुलिस से उठ रहा विश्वास

महिला आयोग ने पाया कि महिला अपराधों के कई मामलों में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। इस लापरवाही के कारण कई महिलाएं बाद में बड़े हादसे तक का शिकार हो गईं। इसके बावजूद भी पुलिस ने ठोस कदम नहीं उठाए। आयोग की अध्यक्ष का कहना है कि पुलिस के ढुलमुल रवैये की वजह से युवतियां, महिलाएं थानों में जाने में हिचकिचाती हैं। यहां तक कि वह ये भी कहती हैं कि सुनवाई तो होगी नहीं, दिक्कत और बढ़ जाएगी। ऐसे में पुलिस से महिलाओं का विश्वास उठता जा रहा है।

फैक्ट्रियों में हो सुरक्षा समिति

महिला आयोग की ओर से इंडस्ट्रियल एरिया में समिति गठित करने के भी निर्देश दिए गए। फैक्ट्रियों को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि समय-समय पर इन महिला सुरक्षा समितियों की बैठक हो और इसमें महिला संबंधी मामलों पर चर्चा की जाए।

जहां थाने नहीं वहां जागरूकता अभियान

आयोग ने कहा कि जहां थाने-चौकियां नहीं हैं। खासतौर से पहाड़ी जिलों में, वहां महिलाओं से जुड़े कानूनों को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। महिलाओं को बताया जाए कि उन्हें अपनी समस्या कहां और कैसे रखनी है।

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इन मामलों में नहीं हुई सुनवाई

दो माह भटकी, केस नहीं किया दर्ज

दो माह से एससपी कार्यालय और फिर लक्खीबाग चौकी के चक्कर काटने वाली महिला को उसका तलाकशुदा पति लगातार जान से मारने की धमकी दे रहा था। यही नहीं उसने महिला को पेट्रोल छिड़ककर जलाने की भी कोशिश की, महिला किसी तरह बच गई तो उसने उसके टूव्हीलर को आग लगा दी। पुलिस के चक्कर काटने के बाद भी दो माह तक महिला का केस दर्ज नहीं किया गया।

युगल की मौत का केस भी नहीं दर्ज

राजपुर रोड पर हुए कशिश-कृष्णा मर्डर मिस्ट्री में भी अब तक पुलिस द्वारा कोई केस दर्ज नहीं किया गया है। जबकि कशिश की मां ने कृष्णा के रिश्तेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को पत्र दिया है। लेकिन करीब एक माह बीत जाने के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है और जांच की बात कर रही है।

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आए दिन युवतियों और महिलाओं के साथ अपराध हो रहे हैं लेकिन पुलिस इसको गंभीरता से नहीं ले रही है। यही वजह है कि आयोग की ओर से प्राथमिकता से पहले रिपोर्ट दर्ज करने और फिर मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। फैक्ट्रियों में भी महिला संबंधी सुरक्षा समिति बनाने के आदेश दिए गए हैं।

- विजया बड़थ्वाल, अध्यक्ष, महिला आयोग

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राज्य में सिर्फ दो महिला थाने

राज्य गठन के बाद महिलाओं की समस्याओं को कितनी तवज्जों दी गई है। इसका पता इस बात से ही लग जाता है कि राज्य में सिर्फ दो महिला थाने हैं। इनमें से एक अल्मोड़ा और एक पौड़ी में है। जबकि हर जिले में महिलाओं की सुनवाई के लिए महिला थाने होने चाहिए।