LUCKNOW (25 Oct): उड़ान सीरियल की कविता चौधरी शायद आप को याद हो। इस महिला पुलिस अफसर के संघर्ष की कहानी तो सबको पसंद थी। नारी के सशक्तिकरण पर चर्चा में कई बार उनके फाइटर प्लेन से लेकर मेट्रो ट्रेन का संचालन करने वाली महिलाओं के उदाहरण दिए जाते हैं। असल जिंदगी में उन्हें समाज की अहम जिम्मेदारी सौंपने के मामले में आज भी उन पर भरोसा क्यों नहीं किया जाता है? नवरात्र में देवी पूजन किया जाता है और महिलाओं को आदी अवतार कहा जाता है, लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट इस मामले में कुछ अलग है। महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती तो की जाती है, लेकिन उन्हें थाने और चौकी की जिम्मेदारी देने में अफसर कतराते हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल महिला थाने को छोड़ दिया जाए तो महिला इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर किसी थाने और चौकी में तैनात नहीं हैं और न ही पुलिस की स्पेशल विंग में उन्हें जगह दी गई है।

 

हाई लाइटर प्वाइंट और आंकड़े

 

प्रदेश भर में महिला थाने - 43

सूबे में महिला कांस्टेबल - 12,665

महिला सब इंस्पेक्टर - 456

प्रदेश के थाने में तैनात मेल प्रभारी - 1500

 

लखनऊ में महिला पुलिस फोर्स

महिला कांस्टेबल - 700

महिला सब इंस्पेक्टर - 50

इंस्पेक्टर - 03

 

केवल महिला थाने की जिम्मेदारी

लखनऊ में कुल 43 थाने हैं, लेकिन मात्र एक महिला थाने की जिम्मेदारी ही महिला सब इंस्पेक्टर को सौंपी गई है। वह भी मानक के चलते। बाकी 42 थाने में न तो महिला थाना प्रभारी हैं और न ही चौकी इंचार्ज। कुछ वर्ष पूर्व तक मात्र दो महिलाओं को बीट चौकी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन वर्तमान में एक भी महिला इंस्पेक्टर और महिला सब इंस्पेक्टर को थाने और चौकी में तैनात नहीं किया गया।

 

थानेदार में तैनात नहीं चौकी की जिम्मेदारी नहीं

पुरुष पुलिस कर्मी की अपेक्षा महिला पुलिस कर्मियों की संख्या भले ही बहुत कम है। इसके बावजूद डिपार्टमेंट में महिला पुलिस कर्मियों को अहम थाने और चौकी का जिम्मा नहीं सौंपा जाता है। महिला पुलिस की खानापूर्ति के लिए हर थाने में महिला कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर तैनात हैं। हालांकि महिला कांस्टेबल को 'सेल' और कंप्यूटर कक्ष ड्यूटी तक ही सीमित रखा जाता है।

 

स्पेशल विंग में भी जगह नहीं

पुलिस की स्पेशल विंग क्राइम ब्रांच, एसटीएफ जैसे अहम विंग में भी महिला इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर को जगह नहीं मिलती है। महिला इंस्पेक्टर को धरना प्रदर्शन और महिला संबंधित मामले में ही लगाया जाता है। जबकि क्राइम कंट्रोल की वर्किग में उन्हें नहीं लगाया जाता है।

 

क्यों नहीं जताया जाता है भरोसा

महिला पुलिस कर्मियों पर डिपार्टमेंट पुलिस की वर्किग स्टाइल के चलते कम भरोसा जताया जाता है। रात और दिन की वर्किग और कई बड़े चैलेंज को पूरा करने के लिए डिपार्टमेंट पुरुष पुलिस कर्मियों पर ही भरोसा जताता है।