पुलिस पर 80 लाख की उधारी

पुलिस डिपार्टमेंट पर पेट्रोल और डीजल के मद में 80 लाख रुपए की उधारी हो गई। पुलिस लाइन का पेट्रोल पंप के बंद होने के बाद से डिपार्टमेंट ने सिटी के डिफरेंट पेट्रोल पंप से कांट्रेक्ट किया और उनसे पेट्रोल और डीजल लेना शुरू किया, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी डिपार्टमेंट अभी तक उधारी नहीं चुका सका है। अब यह रकम 80 लाख रुपए तक पहुंच गई और पेट्रोल पंपवालों ने पुलिस को तेल देने से मना कर दिया है। उधर डिपार्टमेंट ग्रांट न होने का रोना रो रहा है।

उधारी की मेन कारण

सरकारी पेट्रोल पंप में डीजल महंगा है, जबकि प्राइवेट पंप में उससे कम कीमत पर उपलब्ध है। इसी वजह से पिछले साल अप्रैल से पुलिस लाइन का पेट्रोल पंप बंद कर दिया गया। कारण है कि ऑयल कॉर्पोरेशन गवर्नमेंट सेक्टर में सप्लाई होने वाले डीजल पर सब्सीडी नहीं देता है। जबकि प्राइवेट सेक्टर को सब्सिडी दी जाती है।

पीएचक्यू से ग्र्रांट का इंतजार

एक साल से उधार ले रहे पेट्रोल और डीजल का भुगतान करने की बारी आई तो डिपार्टमेंट बजट न होने का रोना रोने लगा। पेट्रोल पंप से पेट्रोल और डीजल न मिलने के बाद डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। ट्यूजडे को आनन-फानन में बिल तैयार करने के आदेश दिए गए और एमटी (मोटर ट्रैवल्स) बैरक में तैनात कर्मचारी रात भर बिल तैयार करते रहे। ताकि उसे इलाहाबाद स्थित पीएचक्यू (पुलिस हेड क्वार्टर) भेजा जाए और वहां से ग्र्रांट पास हो सके। ग्र्रांट आने के बाद ही पुरानी उधारी चुकाई जा सकेगी।

एक महीने में मात्र 6 लाख का ग्र्रांट

पीएचक्यू से जनवरी में केवल 6 लाख 46 हजार रुपए की ग्र्रांट आई थी। जिसे व्हीकल्स के मेंनटेनस पर ही खर्च कर दिया गया और बाकी फ्यूल के भुगतान पर। वह रकम कुछ?दिन की उधारी चुकाने के लिए ही थी। रूरल एरिया में तैनात थाने स्तर पर (अपने-अपने एरिया में) पेट्रोल पंप से कांट्रैक्ट किया गया था, वहीं सिटी में धर्मशाला समेत कई पेट्रोल पंप से कांट्रेक्ट किया गया था। सिटी एक पेट्रोल पंप का पुलिस डिपार्टमेंट पर 45 लाख रुपए का उधार है।

थम गई पुलिस की रफ्तार

फ्यूल न मिलने से पिछले तीन दिन से पुलिस की रफ्तार थम गई है। पुलिस की बहुत कम गाडिय़ां रोड पर दौड़ रही है। अफसरों और थाने की गाडिय़ों को जैसे-तैसे पेट्रोल और डीजल मिल रहा है। जिन गाडिय़ों को रोजाना बीस लीटर तेल की जरूरत है, उन्हें दस लीटर से ही काम चलाना पड़ रहा है। सिटी की सुरक्षा व्यवस्था के लिए चलाई गई हॉक की रफ्तार तो बिल्कुल थम गई। चालीस हॉक बाइक में केवल 16 बाइक ही रोड पर दौड़ रही है।

पंप नहीं ड्रम से मिल रहा ईधन

पुलिस डिपार्टमेंट की व्हीकल को पेट्रोल पंप से नहीं बल्कि पिछले तीन दिनों से ड्रम से फ्यूल लेना पड़ रहा है। जिन-जिन पेट्रोल पंप से डिपार्टमेंट का कांट्रैक्ट था उन पेट्रोल पंप ने फ्यूल देने से इंकार कर दिया। बुधवार को किसी तरह एक ड्रम फ्यूल की व्यवस्था की गई, जिससे एसएसपी समेत अधिकारियों की गाड़ी में दस-दस लीटर डीजल की दिया गया। वहीं 15 हॉक बाइक को ही पेट्रोल मिल सका। उन्हें बाइक से पेट्रोलिंग करने की जगह चौराहे पर गाड़ी खड़ी करके ड्यूटी करनी पड़ रही है।

खपत से कम है बजट

गोरखपुर पुलिस की गाडिय़ों में हर महीने लगभग 6699 लीटर पेट्रोल और 16599 लीटर डीजल की खपत होती है। जबकि शासन से मिलने वाली ग्र्रांट खपत से काफी कम होती है। बिना सब्सिडी के डीजल के और प्राइवेट पेट्रोल पंप के एक टैैंकर डीजल में एक लाख बीस हजार रुपए का अंतर आता है। इसलिए भी सरकारी पंप से डीजल लेने की जगह पुलिस प्राइवेट पेट्रोल पंप से डीजल खरीद रही ताकि हर महीने लाखों रूपए की बचत हो सके और उसका अतिरिक्त तेल मिल सके।

क्राइम कंट्रोल पर दिखा रहा असर

डिपार्टमेंट की कई गाड़ी के पहिए थमने के चलते क्राइम कंट्रोल पर इसका असर भी नजर आ रहा है। डिपार्टमेंट के जिम्मेदार अफसर भी मान रहे हंै कि बिना गाड़ी के रोड पर कैसे दौड़ सकते है और बिना रोड पर रहे क्राइम कैसे कंट्रोल होगा। डिपार्टमेंट इस समय बड़े संकट से गुजर रहा है। एक तरह क्राइम ग्र्राफ दिन पर दिन बढ़ रहा और दूसरी तरह पेट्रोलिंग न होने से चोर भी इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं।

report by : mayank.srivastava@inext.co.in