- 9 माह की ट्रेनिंग में सिपाहियों को नहीं दी जाती है रिवाल्वर व पिस्टल चलाने की ट्रेनिंग
- बिना स्पेशल ट्रेनिंग के 40 फीसदी कांस्टेबल को ईशू की गई पिस्टल
-ट्रेनिंग में केवल पांच तरह की राइफल चलाने की ही दी जाती है ट्रेनिंग
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LUCKNOW: राजधानी में पुलिस विभाग ने नौसिखियों के हाथों में रिवाल्वर और पिस्टल थमा रखी है। जो कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। इसका खुलासा विवेक तिवारी हत्याकांड की हो रही मजिस्ट्रेटियल जांच में हुआ है। दरअसल, पुलिस विभाग ने सुरक्षा व आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सिपाहियों को रिवाल्वर व पिस्टल तो दे रखी है, लेकिन उन्हे ट्रेनिंग के दौरान इसकी ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। इतना ही नहीं ट्रेनिंग में इसकी रिवाल्वर व पिस्टल की ट्रेनिंग देना का प्रावधान ही नहीं हैं। सिपाहियों को नौ माह की ट्रेनिंग में पांच तरह के राइफल की ही ट्रेनिंग दी जाती है।
5 असलहों की ट्रेनिंग
पुलिस विभाग में नौकरी के लिए रिटर्न एग्जाम देकर आने वाले सिपाहियों को पुलिस लाइन में एक साल की ट्रेनिंग देना का नियम है। वहीं वर्तमान समय में उन्हें मात्र 9 माह की ट्रेनिंग के बाद ही लाइन में तैनाती दे दी जाती है। इस दौरान उन्हें पांच तरह के राइफल चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें पिस्टल व रिवाल्वर शामिल नहीं है जबकि तैनाती के बाद उन्हें रिवाल्वर और पिस्टल थमा दी जाती है। इसके अलावा उन्हें हैंड ग्रेनेड की भी ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन उनके हाथ में हैंड ग्रेनेड नहीं दिये जाते हैं।
इन हथियारों की ट्रेनिंग
- थ्री नॉट थ्री राइफल
- एसएलआर राइफल
- इंसास राइफल
- .22 एमएल राइफल
- टियर गन
वीआईपी सिक्योरिटी में भी खतरा
राजधानी में करीब 1065 पुलिसकर्मियों को वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया गया है। अपनी सुविधा के अनुसार सिपाहियों ने छोटे आर्म्स (पिस्टल व रिवाल्वर) ईशू करा रखे हैं, जोकि नियम के खिलाफ है। वहीं बिना ट्रेनिंग के उन्हें छोटे आर्म्स देने से कभी वीआईपी सुरक्षा में बड़ी चूक हो सकती है।
बनी स्टेट्स सिंबल
पुलिस विभाग से जुड़े कई ऐसे सेल हैं, जिसमें तैनात सिपाहियों ने 9 एमएम की सरकारी पिस्टल ईशू करा रखी है। सेल में तैनात होने के चलते उन पर वर्दी पहनने की भी पाबंदी नहीं है। सिविल ड्रेस में पिस्टल लगाकर चलने वाले पुलिस कर्मी कई बार शो ऑफ करते नजर आएं हैं। लोगों को डराने के लिए भी इसका प्रदर्शन करते हैं। इसको लेकर कई बार लोगों ने एसएसपी से शिकायत भी की है।
फैक्ट फाइल
- 5506 पुलिसकर्मी उपलब्ध
- 7276 पुलिसकर्मियों का नियतन
- 1770 पद खाली
- 40 फीसद को दी गई है रिवाल्वर, पिस्टल
लाइन में सिविल पुलिस
इंस्पेक्टर - 60
सब इंस्पेक्टर - 74
हेड कांस्टेबल - 146
कांस्टेबल - 361
लाइन में रिजर्व आर्म्स पुलिस
सब इंस्पेक्टर - 02
हेड कांस्टेबल - 12
कांस्टेबल - 60
वीआईपी ड्यूटी में पुलिस कर्मी
- 715 पुलिसकर्मी गनर ड्यूटी में
- 350 पुलिसकर्मी अन्य प्रमुख अधिकारियों की सुरक्षा में
लाइन में मौजूद है पुलिस फोर्स
पुलिस लाइन में वर्तमान में 641 कांस्टेबल हैं। सिविल और आर्म्स पुलिस में अब कोई अंतर नहीं है, जरूरत पड़ने पर दोनों फोर्स को लॉ एंड आर्डर के लिए यूज किया जाता है। ऐसी परिस्थिति में उन्हें भी रिवाल्वर और पिस्टल ही उपलब्ध कराई जाती है।
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विवेक तिवारी हत्याकांड की जांच में खुलासा
विवेक तिवारी हत्याकांड की मजिस्ट्रेटियल जांच कर रहे एसीएम-4 ने डीएम को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह साफ कहा है कि आरोपी बर्खास्त सिपाही को पिस्टल की ट्रेनिंग नहीं दी गई थी। ऐसे में रिवाल्वर और पिस्टल उन्हीं पुलिसकर्मियों को दी जाएं जिन्हें इसकी ट्रेनिंग दी गई हो। जांच में उल्लेख किया गया है कि प्रशांत ने गोली अनावश्यक रूप से चलाई थी। प्रशांत को विभाग द्वारा घटना स्थल पर किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी नहीं दी गई थी। साथ ही वहां पर कोई भी ऐसे हालात नहीं थे जिससे गोली चलानी पड़े। यदि प्रशांत को घटना स्थल पर इसकी आवश्यकता समझ में आई थी तो उसे पहले थाना स्तर या कंट्रोल रूम में संपर्क करना चाहिये था। पर, उसने ऐसा न करके सीधे गोली चला दी। ऐसे में यह साफ होता है कि दोषियों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन भली प्रकार से नहीं किया गया।
कोट
विवेक मर्डर केस की अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। जहां तक कांस्टेबल के पिस्टल ट्रेनिंग की बात है। उन्हें किस आर्म्स से ट्रेनिंग की जाएगी यह डिसाइड ट्रेनिंग निदेशालय करता है। लखनऊ में भी कांस्टेबल पिस्टल यूज कर रहे उनकी स्पेशल ट्रेनिंग कराई जाएगी। एटीएस से मिलकर उनकी ट्रेनिंग का प्रोग्राम तैयार किया जा रहा है।
- कलानिधि नैथानी, एसएसपी लखनऊ