- घटना की शिकायत करने पर पीडि़त और परिवार को हड़काया

- एटीएम चेंजकर शातिरों ने निकाले 45 हजार रुपये

आगरा। आला अधिकारी कितने ही निर्देश क्यों न दें, लेकिन थाना-चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों के व्यवहार में बदलाव नहीं आ रहा। थाने पहुंचने वाले पीडि़तों को पुलिसकर्मियों से दुत्कार ही मिलती है। शिकायत दर्ज कराने के लिए भटकना पड़ता है। थाना सिकंदरा क्षेत्र में ऐसा ही मामला सामने आया। जहां एटीएम फ्रॉड का शिकार युवक शिकायत करने थाने पहुंचा, तो उसे पुलिसकर्मियों ने फटकार लगा भगा दिया।

बहन की शादी के लिए जमा किया था रुपया

राधा नगर, सिकंदरा निवासी निखिल पुत्र अशोक कुमार इंटर का छात्र है। 21 जुलाई को उसने बैंक में 45 हजार रुपया जमा कराए। घर में बहन की शादी होनी है। परिवार धीरे-धीरे कर रुपये जमा कर रहा है। बैंक में रुपये जमा कराने के बाद वह कामायनी हॉस्पिटल के पास बने केनरा बैंक के एटीएम में बैलेंस चेक करने गया। केबिन में पहले से एक युवक था।

जबरन छीन लिया कार्ड

निखिल ने बैलेंस चेक कर कार्ड हाथ में पकड़ लिया। पीछे खड़े युवक ने उससे बोला कि बैलेंस नहीं निकल रहा है तो वह निकाल देगा। निखिल ने मना कर दिया लेकिन युवक ने हाथ से कार्ड छीन लिया। निखिल ने मना किया कि उसे रुपये नहीं निकालने तो कार्ड वापस दे दिया। निखिल घर पर आ गया। इसके बाद उसके अकाउंट से कई बार में 45 हजार रुपये निकल गए।

पुलिस ने दिखाया बाहर का रास्ता

पीडि़त अपने माता-पिता के साथ थाना सिकंदरा पहुंचा तो पुलिस ने शिकायत लेने की जगह उसे ही हड़का दिया। पीडि़त का आरोप है कि शिकायत करने पर पुलिस ने उनसे कहा कि रुपया क्या पुलिस ने निकाला है या हमने चोरी किया है। क्यों आया है यहां पर। इस पर पीडि़त ने फिर से शिकायत दर्ज करने को कहा तो फिर से उसे हड़का दिया।

दहशत में नहीं गया पुलिस के पास

पीडि़त पुलिस से इतना डर गया कि वह फिर से पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका। परिवार गए हुए रुपयों को लेकर बहुत परेशान है चूंकि रुपया बेटी की शादी के लिए जोड़ा गया था। पीडि़त निखिल का कहना है कि वह इस मामले में अब उच्चाधिकारियों से शिकायत करेगा।

धूमिल होती पुलिस की छवि

कई बार पुलिस अधिकारी पीडि़तों से अच्छे व्यवहार की बात करते हैं। अधीनस्थों को भी यही निर्देश दिए जाते हैं लेकिन लेकिन अधीनस्थ अपनी हरकतों से पूरे महकमें का चेहरा बिगाड़ने में लगे हुए हैं। थानों में हेल्प डेस्क इसी लिए लगाई गई थी कि पीडि़त की सुनवाई हो साथ ही सॉफ्टवेयर के माध्यम से हर शिकायत को दर्ज करने की कवायद शुरु हुई थी जिससे पीडि़त को चक्कर न लगाना पड़े लेकिन अब ये सभी सुविधाएं मात्र दिखावे की हैं। पुलिस कर्मी इसे व्यवहार में शामिल नहीं कर रहे।

शिकायत दर्ज न होने पर बढ़ते हैं मामले

पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज न होने पर बदमाशों के हौंसले बढ़ जाते हैं। शिकायत न होने पर थाना क्षेत्र का क्राइम ग्राफ कम हो जाता है। जबकि उस थाना क्षेत्रों में बदमाशों की चहल कदमी रहती है। इस तरह पुलिस की ढिलाई और लापरवाही से बदमाश पकड़ में नहीं आते और नई वारदात को अंजाम दे देते हैं।