आगरा। जनपद में विधानसभा चुनाव 2017 की घोषणा होते ही सियायतदां एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद भी सियासी नुमाइंदों को आदर्श आचार संहिता की कोई परवाह नहीं है। कारण साफ है, चुनाव आयोग की सख्ती पर पुलिस आदर्श आचार संहिता का मुकदमा तो दर्ज करती है, लेकिन बाद में कार्रवाई भूल जाती है।

लचर पैरवी से होते हैं राजनीतिक प्रतिनिधियों के हौंसले बुलंद

आदर्श आचार संहिता में दो प्रकार के मुकदमे दर्ज होते हैं, एक तो पोलिंग के दौरान संवेदनशील मारपीट बलवा के मामले दूसरे मामलों में सीमा से ज्यादा खर्च के मुकदमे होते हैं। ज्यादातर मामलों में चुनाव के बाद फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती है। या फिर महीनों तक इनकी जांच अधर में लटकी रहती है। लम्बा समय होने के बाद साक्ष्य अपने आप खत्म हो जाते हैं। मुकदमे तो नेताओं के लिए औपचारिकता भर रह गए हैं।

जिले में आचार संहिता उल्लघंन के 7 मामले हो चुके हैं दर्ज

एसपी प्रोटोकॉल विद्यासागर मिश्र ने बताया कि अभी तक जिले में आदर्श आचार संहिता के 7 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। जिले में आदर्श आचार संहिता चार जनवरी 2017 को लागू हुई थी। इसमें राजनीतिक प्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।

एसएसपी डॉ। प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि आदर्श आचार संहिता के मामलों में फाइनल रिपोर्ट नहीं लगाई जाती है। इनमें चार्जशीट दाखिल की जाती है। गत विधानसभा चुनाव 2012 और लोकसभा चुनाव 2014 के कुल मिलाकर चार-पांच मामले थे। सभी में चार्जशीट दाखिल की गई है। जो खर्च के मामले होते हैं, उन्हें चुनाव आयोग खुद देखता है। आदर्श आचार संहिता के मामलों में गिरफ्तारी तो होती नहीं है। ये कहना गलत है कि इन मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती है।