मामा इंटर कॉलेज चलाते हैं। वहींसे इंटर करके उसने इस साल बीएससी में एडमिशन लिया था। उसके जीवन में वो मनहूस घड़ी 21 जुलाई को आई, जब दोपहर के समय वो घर से निकला। कुछ देर बाद उसी के फोन से उसके दोस्त राजा ने मधु को फोन करके कहा कि हम लोग अभी घर के आसपास साथ में ही हैं। ये कॉल क्यों की गई? इसका जवाब अभी मिलना बाकी है। मां ने यह मान लिया कि बेटा यह बताना चाहता है कि चिंता न करो, मैं आसपास ही हूं। अगली कॉल खुद शिवम ने की, जिस पर उसने मां को बताया कि वो टेंपो से नौबस्ता जा रहा है जहां से किसी से कुछ पैसे लेकर आना है। शिवम ने ये भी बताया कि गांव का ही अमृतलाल उसके साथ है। शिवम के इस फोन तक मां चैन से थी मगर आने वाला समय बेहद भयानक होने वाला था।

पुलिस को मिला पहला मौका

अमृतलाल जब घर पहुंचा तो उसने शिवम के घरवालों को बताया कि टेंपो खराब हो गया था इसलिए शिवम रास्ते में ही उतर गया था और वो दूसरी सवारी से आगे चला गया था। राजा या किसी और दोस्त का जिक्र यहां नहीं किया गया। उसी रात 8.57 बजे शिवम के फोन से उसके मामा के फोन पर कॉल आई। कॉलर ने कहा कि शिवम की मां से बात कराओ। मां फोन पर आई तो दूसरी तरफ से शिवम की आवाज सुनाई दी, मां मुझे बचा लो इसके बाद फोन कट गया। शिवम की मां और मामा अगले दिन यानि 22 जुलाई को थाने पहुंचे। आदत के मुताबिक पुलिस ने उनसे कहा कि मामला गुमशुदगी का मानकर रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। घरवालों ने कहा कि फोन पर शिवम ने अपनी जान खतरे में बताई है तो गुमशुदगी क्यों दर्ज होगी? किसी तरह फोन-वोन करवाए तो पुलिस ने किडनैपिंग का मामला दर्ज किया। फोन नंबर्स सर्विलांस पर लगा दिए गए। रिपोर्ट दोपहर 11.44 बजे दर्ज हुई थी और शाम चार बजे किडनैपर्स का फोन फिर आया। इस बार उन्होंने मामा के बजाय मां के नंबर पर फोन करके 15 लाख रुपये फिरौती मांगी। उन्होंने यह भी कहा कि पैसा लेकर रमईपुर पहुंच जाओ। घर में जो कैश था वो लेकर मां और मामा किडनैपर्स के बताए स्पॉट पर पहुंचे मगर वहां कोई नहींमिला।

दूसरा मौका

किडनैपर्स ने 23 जुलाई की शाम सात बजे से लेकर सवा नौ बजे तक शिवम की मां के नंबर पर तीन बार फोन किया। उन्होंने कहा कि अगले दिन फोन करके पैसा पहुंचाने की जगह बताएंगे। उस दिन पैसा लेने क्यों नहींपहुंचे, यह बात अब तक क्लीयर नहींहुई है.

तीसरा मौका

किडनैपर्स ने शिवम के फोन से उसकी मां को आखिरी कॉल 24 जुलाई की दोपहर 12.30 बजे की। उन्होंने कहा कि बस आज का दिन तुम्हारा है। यह भी नहीं कहा कि अगला फोन कब करेंगे। इसके बाद फोन स्विच ऑफ कर दिया गया.

मगर मिली तो मौत की खबर

24 जुलाई के बाद घरवालों के पास कोई फोन नहींआया। वेडनेसडे को आई तो शिवम की लाश मिलने की खबर। पता चला नौबस्ता हाइवे पर किसी लडक़े की डेडबॉडी बोरे में लिपटी हुई बरामद हुई है। हुलिया काफी कुछ शिवम के जैसा ही है। आनन-फानन में शिवम के मामा पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे। पुलिस ने उनसे पहचान कराई। चेहरा तो पहचानने ही लायक नहींथा। चप्पल, टीशर्ट, हाथ का कलावा और बाजूबंद देखकर मामा ने कहा कि वो शिवम ही था। इसके बाद भी पुलिस ने कहा कि लगता है तुम श्योर नहीं हो। पुलिस ने फिर भी मां के आने का इंतजार किया। शिवम की मां जब पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंची तो बेहाल थीं। जो डेडबॉडी उन्हें दिखाई गई उसकी रंगत, टीशर्ट और कलावा देखकर उन्होंने भी कहा कि वो शिवम था। फिर कुछ देर बाद बोलीं, मेरे बेटे के बाल बहुत छोटे थे। इसके बाल लंबे हैं, ये मेरा बेटा नहीं है। शिवम मुझे छोडक़र नहीं जा सकता है। ये शायद एक मां का दिल था सचाई मानना नहींचाहता था। मगर, कुछ ही देर बाद मधु बिलख पड़ीं। शायद अब दिल ने भी मान लिया था कि बेटा चला गया। इसके बाद तो उनकी हालत और बिगड़ गई। कभी बेहोश होतींतो कभी होश में आकर चीखें मारकर रोतीं। फिर बेटे की लाश के पास खड़े होकर उन्होंने कहा-मेरा बेटा पुलिस ऑफिसर बनना चाहता था। अगर पुलिस समय रहते बेटे की तलाश के लिए कुछ करती तो आज मेरा   बेटा जिंदा होता। पुलिस का रवैया कभी भी ऐसा नहीं लगा कि वो शिवम को वाकई ढूंढना चाहती है। पुलिस ने मार दिया मेरे शिवम को.