RANCHI : निलय एजूकेशन ट्रस्ट के ओनर कम प्रिंसिपल भीम सिंह मुंडा की किडनैपिंग का मामला गहराता जा रहा है। उनका अपहरण हुआ है या इसके पीछे कुछ वजह है, इसपर सस्पेंस बना हुआ है। किडनैपर्स ने भीम सिंह मुंडा को किस मकसद से किडनैप किया और कहां लेकर गए हैं, रांची पुलिस की टीम छानबीन कर रही है।

32 करोड़ का सर्टिफिकेट केस

जानकारी के मुताबिक, निलय एजूकेशन ट्रस्ट ने इंस्टीट्यूट खोलने के लिए जमीन मॉरगेज रखकर रांची स्थित हुडको से 60 करोड़ रुपए लोन लिए हैं। ट्रस्ट की ओर से लोन की किश्त समय पर नहीं जमा किया जा रहा था। इस बाबत हुडको की ओर से कई बार नोटिस भी भेजी गई, पर उसका रिस्पांस ट्रस्ट की ओर से नहीं मिला। हुडको के मैनेजर ने आखिरकार ट्रस्ट के खिलाफ कोर्ट में 32 करोड़ रुपए का सर्टिफिकेट केस दर्ज करा दिया। अब ट्रस्ट की प्रॉपर्टी नीलाम होने की कगार पर है। इस सिलसिले में रिपोर्ट नीलाम पदाधिकारी को भी भेजी जा चुकी है। बुढ़मू थाना को भी इसकी जानकारी है। यह भी बात सामने आई है कि निलय एजूकेशन ट्रस्ट ने जिस मद में लोन लिए हैं, उस लिहाज से इंस्टीट्यूट का कंस्ट्रक्शन नहीं कराया गया।

बचने के लिए नाटक तो नहीं!

इस मामले में आशंका यह भी जताई जा रही है कि कहीं सर्टिफिकेट केस से बचने के लिए तो भीम मुंडा अपने अपहरण का नाटक तो नहीं रचा है। वैसे एसएसपी प्रभात कुमार का कहना है कि मामले की छानबीन पुलिस कर रही है। जबतक भीम सिंह मुंडा की बरामदगी नहीं हो जाती, कुछ भी कहना मुश्किल है। सोर्सेज के मुताबिक, निलय एजूकेशन ट्रस्ट को इंस्टीट्यूट खोलने के लिए गांव के ही कुछ लोगों ने जमीन मुहैय्या कराई थी। जमीन उपलब्ध करानेवालों में बुढ़मू के रामजी भगत, योगेंद्र जायसवाल और सुदर्शन प्रसाद के अलावा आधी जमीन आदिवासियों की है। जमीन के एवज में ट्रस्ट की ओर से जो चेक दिया गया, वह बैंक में बाउंस कर गया। ऐसे में जमीन को लेकर ट्रस्ट और ग्रामीणों के बीच विवाद पैदा हो गया। इस बाबत कई बार पंचायत भी बैठी, पर मामला सॉल्व नहीं हो सका।

इंस्टीट्यूट से निष्कासित छात्रों ने तो नहीं किया है अपहरण !

भीम मुंडा किडनैपिंग केस की जांच पुलिस इस एंगल से भी कर रही है कि कहीं इसमें उन स्टूडेंट्स का तो हाथ नहीं है, जिन्हें इंस्टीट्यूट से निष्कासित किया गया था। गौरतलब है कि इंस्टीट्यूट के बीटेक थर्ड सेमेस्टर के स्टूडेंट्स ने एडमिट कार्ड इश्यू नहीं किए जाने के विरोध में जमकर हंगामा किया था। यह घटना एक जनवरी 2014 की थी। स्टूडेंट्स ने इंस्टीट्यूट कैंपस में रखी एक स्कॉर्पियो को आग लगा दी थी। इस बाबत निलय एजूकेशन ट्रस्ट के डायरेक्टर भीम मुंडा ने बुढ़मू थाना में 20 नामजद व 15 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इतना ही नहीं इंस्टीट्यूट कैंपस में हंगामा करने के आरोप में पांच स्टूडेंट्स को निष्कासित भी कर दिया गया था। ये सभी स्टूडेंट्स रांची के बाहर के थे। ऐसे में कहीं बदला लेने की नीयत से तो निष्कासित किए गए स्टूडेंट्स ने ट्रस्ट के डायरेक्टर को किडनैप तो नहीं कर लिया, पुलिस को यह भी शक है।

इंस्टीट्यूट की लापता टीचर वापस लौटी घर

मंगलवार को जिस वक्त ट्रस्ट के डायरेक्टर भीम मुंडा का अपहरण अपराधियों ने किया, गाड़ी में इंस्टीट्यूट की टीचर सिम्मी सिन्हा भी बैठी हुई थीं। इस घटना के बाद वह लापता हो गई थी, पर उसका अब पता चल चुका है। भीम मुंडा के किडनैपिंग के बाद वह वापस इंस्टीट्यूट लौट गई थीं। इसके बाद कुछ दोस्तों ने उसे बाइक से घर पहुंचा दिया था। पुलिस सिम्मी सिन्हा से भी भीम मुंडा किडनैपिंग केस को लेकर पूछताछ की।

स्कॉर्पियो से आए थे किडनैपर्स

निलय एजूकेशन ट्रस्ट के ओनर कम डायरेक्टर भीम सिंह मुंडा का बुढ़मू के इटहे नदी के पास से उस वक्त अपहरण कर लिया गया, जब वे कडरु ओवरब्रिज के पास स्थित अपने घर लौट रहे थे। सोमवार की रात आठ बजे के करीब की यह घटना है। छह से साथ की संख्या में किडनैपर्स स्कॉर्पियो पर सवार होकर आए थे। किडनैपर्स आ‌र्म्स के साथ आए थे। गौरतलब है कि भीम सिंह मुंडा के साथ सफारी गाड़ी में इंस्टीट्यूट की फैकल्टी मेंबर सिम्मी सिन्हा और ड्राइवर मो साहिल भी साथ थे।