- समय से डाटा उपलब्ध नहीं करा रहे पुलिस स्टेशन

- पांच से छह माह बाद भी एसओ नहीं दिखाते रुचि

GORAKHPUR: उत्तर प्रदेश पुलिस ने गूगल की मदद से अपराधियों को पकड़ने की योजना बनाई थी। करीब तीन साल पूर्व क्राइम मैपिंग के जरिए बदमाशों पर शिकंजा का अभियान जोर-शोर से शुरू किया गया। लेकिन धीरे-धीरे यह योजना हवा-हवाई हो गई। आलम यह है कि जिले में क्राइम मैपिंग के लिए थानों से डाटा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। 26 थाना क्षेत्रों में शहर के सबसे प्रमुख कैंट थाना से करीब सात माह से अपराध का कोई आंकड़ा क्राइम मैपिंग के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में किसी तरह के लापरवाही की जानकारी नहीं है। यदि कोई जिम्मेदार पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

एक अप्रैल 2016 को शुरू हुई थी योजना

अपराधियों के हाईटेक होने पर पुलिस ने भी दो कदम आगे बढ़ाने का फैसला लिया था। अप्रैल 2016 में बड़े जोर-शोर से क्राइम मैपिंग की योजना शुरू की गई। एडीजी क्राइम को इसका नोडल अफसर बनाया गया। तत्कालीन आईजी टेक्निकल आशुतोष पांडेय ने तीन साल तक अपराध का डाटा जुटाकर फीडिंग की योजना बनाई। उनका कहना था कि क्राइम मैपिंग के जरिए होने वाले अपराध का समय और स्थान गूगल पर अपलोड किया जाएगा। इससे उन जगहों को चिन्हित करने में मदद मिलेगी जहां पर सर्वाधिक क्राइम होते हैं। क्राइम मैपिंग के जरिए पब्लिक भी अपने क्षेत्र की आपराधिक गतिविधियों के बारे में जानकारी पा सकेगी। उन जगहों पर पुलिस की गश्त बढ़ाने के साथ ही क्राइम कंट्रोल में मदद मिल सकेगी। डाटा उपलब्ध होने से हर पुलिस कर्मचारी अपने क्षेत्र के बारे में आसानी से जानकारी पा सकेगा। शुरूआती दौर में यह योजना तेजी से चली। लेकिन गवर्नमेंट बदलने के साथ जिले में योजना हवा में लापता हो गई।

क्या होता फायदा

क्राइम मैपिंग से अपराध के बारे में पूरी जानकारी मिलती है।

किस एरिया में किस तरह के अपराध होते इसका डाटा बेस तैयार किया जाता है।

क्राइम होने का समय, दिन और पहर कहां पर कैसे बदल रहा है।

किस प्रकार का अपराध किस विशेष एरिया में घटित हो रहा है। कंट्रोल करने में मदद।

चोरी, चेन स्नेचिंग, लूट, मर्डर, रेप सहित का डाटा बेस ऑनलाइन रहता है।

थानों, चौकियों पर पुलिस कर्मचारियों के ट्रांसफर पर एक क्लिक पर पूरी जानकारी।

पुलिस को हाईटेक बनाने का प्रयास ताकि अपने क्षेत्र का पूरा ब्यौरा जा सकें।

अक्षांत और देशांतर फीड होने से क्राइम वाले जगह पर पहुंचना आसान होता है।

क्या हो रही लापरवाही

थानों में रजिस्टर्ड क्राइम की सूचना समय से डीसीआरबी नहीं भेजी जाती।

अपराधों का रिकॉर्ड तलब करने के लिए कई बार पत्राचार करना पड़ता है।

चोरी, स्नेचिंग सहित अन्य मामलों की सूचना पर मौका मुआयना में विलंब।

ट्रेनिंग के अभाव में तमाम पुलिस कर्मचारी क्राइम मैपिंग के नफा-नुकसान से अनभिज्ञ हैं।

थानेदार भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते, सीसीटीएनएस पर एफआईआर के बाद भूल जाते हैं।

नियम है कि हर तरह के अपराध की सूचना डाटा फीडिंग के लिए मुहैया कराई जाएगी।

पिछले तीन साल में हुए अपराध

क्राइम 2018 2017 2016

लूट 163 228 130

डकैती 2 1 4

चोरी 1317 1350 1175

मर्डर 81 78 118 रेप 119 99 109

एफआईआर 7758 7370 6074

दहेज हत्या 49 42 54

अपहरण 618 511 406

बलवा 379 266 434

सेंधमारी 374 371 277

वाहन चोरी 898 982 903

फिरौती 01 01 00

इन बिंदुओं पर होती क्राइम मैपिंग

रेप

दहेज हत्या

महिला अपराध

बच्चों के साथ हुए अपराध

चेन स्नेचिंग

किडनैपिंग

हत्या के प्रयास

हत्या

डकैती

लूट

दंगा-फसाद

कस्टोडियल वायलेंस

चोरी

व्हीकल चोरी

रोड एक्सीडेंट

मल्टीपिल क्राइम

क्या देनी होती जानकारी

अपराध का प्रकार

क्राइम होने का स्थान और समय

स्थान का अक्षांश और देशांतर

पीडि़त व्यक्ति की उम्र

दिन और रात का समय

किस उम्र के साथ अपराध हुआ

अपराध की प्रवृत्ति क्या है। कौन पीडि़त है