आमलोगों की ली जा रही मदद

झारखंड के कमोबेश सभी डिस्ट्रिक्ट्स में नक्सलाइट्स का वजूद है। इस प्रॉब्लम से निपटने के लिए पुलिस तरह-तरह के तरीके का इस्तेमाल कर रही है। उनके खिलाफ ऑपरेशन भी चलाए जा रहे हैं तो सरेंडर करनेवाले नक्सलियों को सरकारी मदद भी दी जा रही है.  लेकिन, आमलोगों को अवेयर करने के बाद नक्सलियों से निपटने में पुलिस को सबसे ज्यादा सफलता मिली है। अब पुलिस का मकसद नक्सलियों के बीच फूट डालने की है। झारखंड पुलिस के मुताबिक, टॉप नक्सलाइट्स लीडर्स भोले-भाले ग्रामीणों को  बहला-फुसलाकर अथवा लालच देकर उनके हाथों में हथियार थमा रहे हैं। ये नक्सली अपने बच्चों को अच्छे स्कूल्स और कॉलेजेज में तो एजूकेशन दिला रहे हैं, ताकि उनका कॅरियर बन सके, पर गांव के बच्चे और यूथ के हाथों में हथियार देकर उनका फ्यूचर बर्बाद कर रहे हैं। अब पुलिस इसी बात से ग्रामीणों को अवगत कराएगी और उनका सपोर्ट लेकर नक्सलाइट्स को मेंटली डिस्टर्ब करने की कोशिश करेगी। इसकी शुरूआत पुलिस कर चुकी है, पर पुलिस ऑफिशियल इसका खुलासा करने से कतरा रहे हैं।

कम्यूनिकेशन का भी सहारा

नक्सल प्रॉब्लम से निपटने के लिए कम्यूनिकेशन मीडियम का भी सहारा पुलिस ले रही है। इन साधनों के जरिए ग्रामीणों को यह बताया जा रहा है कि नक्सलियों के टॉप लीडर्स तो अपनी फैमिली के साथ आराम की जिंदगी जीते हैं, उनके बच्चे बड़े शहरों के बड़े स्कूलों में पढ़ते हैं, पर कैडरों को घर जाने तक का मौका नहीं मिलता है. इन कैडरों के भरोसे

नक्सलियों के टॉप लीडर्स आज ऐशो आराम फरमा रहे हैं। पुलिस का मानना है जब कैडरों को हकीकत मालूम हो जाएगी तो वे खुद-ब-खुद मेन स्ट्रीम में लौट आएंगे और नक्सल ऑर्गनाइजेशंस धीरे-धीरे कमजोर होता चला जाएगा.ड्ड