-एक सप्ताह में दूसरी बार पुलिस पर हुआ हमला,

-खत्म हो रही है पुलिस का हनक, साल भर में आधा दर्जन बार पुलिस पर हुए हमला

केस-वन

छह जून की रात चोलापुर थाना एरिया के अजगरा पुलिस चौकी क्षेत्र स्थित बनसत्ती मंदिर के पास पीआरबी 100 बाइक पुलिस कर्मियों पर पब्लिक ने हमला कर दिया. पान थूकने का विरोध करने पर मनबढ़ों ने सिपाहियों को पीटा. पिस्तौल भी छिनने का प्रयास किया. चौकी इंचार्ज मयफोर्स पहुंचे तो दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.

केस-टू

26 जुलाई 2018 को लोहता थाना के कंहईसराय चौक एरिया में लड़की के अपहरण के आरोपी की तलाश में गए एसआई समेत दो पुलिसकर्मियों को इलाकाई लोगों ने बंधक बना लिया. इस दौरान पुलिसकर्मियों संग मारपीट भी की गई. इस मामले में पुलिस ने 26 लोगों को गिरफ्तार किया था.

केस-थ्री

एक अक्टूबर 2018 को

शिवपुर थाना के लालकुआं इलाके में आपसी विवाद को सुलझाने गए थाने के तीन सिपाहियों पर स्थानीय लोगों ने हमला बोल दिया. मारपीट के बाद पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक युवकों को गिरफ्तार किया था.

मनबढ़ों पर नहीं लगाम

पुलिस की हनक कम हो रही है तीनों केस ये बताने के लिए काफी हैं. कहीं पब्लिक खाकी पर हमला कर रही है तो तो कहीं मनबढ़ ईट-पत्थर चला रहे हैं. यह अलग बात है कि बाद में मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचता है तो फिर पुलिस पाताल से भी हमलावरों को ढूंढ़ निकालती है. कुछ केस में निरीह आम पब्लिक भी पुलिस का कोपभाजन बनती है.

कम्युनिटिंग पुलिसिंग फेल

जो पुलिस सुरक्षा के लिए होती है उसका पब्लिक से रिश्ता बिगड़ना हर किसी के लिए चिंता का विषय है. लेकिन इसके लिए पुलिस खुद जिम्मेदार है. आला अधिकारियों की कोशिश होती है कि पूरे शहर में शांति व्यवस्था कायम रहे वहीं कुछ पुलिसकर्मी अपने हरकतों से माहौल को बिगाड़ देते हैं. जिसका असर पूरे डिपार्टमेंट पर पड़ता है. कुछ मामलों में पुलिस दोषी मानी जाती है तो कुछ मामलों में दबंग हावी भी होते दिखते हैं. सत्ता पक्ष से जुड़े सफेदपोश फोन पर थाना प्रभारी सहित चौकी इंचार्ज पर रौब झाड़ते हैं तो कुछ केस में पीडि़तों को थाना प्रभारी अपने जूते के नोक पर भी रखते है. यही बनारस पुलिस का हाल है.