- आईपीएस वीक के दूसरे दिन डीजीपी जावीद अहमद ने सभी जिलों के कप्तानों को फटकारा

- 15 दिन में लॉ एंड ऑर्डर को कंट्रोल कर असर दिखाने की दी चेतावनी

LUCKNOW: डीजीपी जाविद अहमद ने शनिवार को पुलिस वीक के दूसरे दिन अपने अफसरों की जमकर क्लास लगाई। विधानभवन के तिलक हॉल में पुलिस अधिकारियों के सम्मेलन में उन्होंने पुलिस कप्तानों से कहा, 'जिले में बने रहने की कोशिश मत कीजिए खुद को प्रूव कीजिए। जिले में रहना है तो काम करें। जो टास्क मुख्यमंत्री ने दिये हैं उसमें 15 दिन में असर लाकर दिखाएं.'

क्यों कम हो रहा भरोसा

पुलिस की खोती विश्वसनीयता पर डीजीपी ने कहा कि कानपुर में दलित उत्पीड़न का प्रकरण छह साल से विवेचनाधीन है। जिम्मेदार आईपीएस को जेल भेजना चाहिये। वर्ष 2013 में फैजाबाद के रामबाबू हत्याकांड में अब तक कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस क्या कर रही? बदायूं में सिपाही इलाज के बहाने कैदी को 15 दिन ऐश कराते रहे, अधिकारी कहां थे? ऐसी ही घटनाओं से लोगों का पुलिस पर से भरोसा कम होता जा रहा है।

इन मुद्दों पर भी बोले डीजीपी

उन्होंने कहा कि हर जिले की उनके पास रिपोर्ट है। कुछ जिले ऐसे हैं जहां सम्बद्ध लोगों को एसओ बनाकर काम चला रहे हैं। उन्होंने कई जिलों में सम्बद्ध या कोर्ट से स्टे लेकर थानों पर बैठे एसओ और इंस्पेक्टर पर सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने इलाहाबाद, मेरठ और आगरा जिले का नाम लेकर इंगित किया कि इन जिलों में एसओ और इंस्पेक्टर की पोस्टिंग में बहुत से नाम ऐसे हैं जो नहीं होने चाहिए।

पीएस होम ने बताई चुनौती

प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम देबाशीष पंडा ने कहा कि पब्लिक ट्रस्ट को डेवलप करना होगा। यह चुनौती जरूर है लेकिन असंभव नहीं। इसके लिए हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने कहा कि सीएम साहब भी कह चुके हैं कि लॉ एंड ऑर्डर से कोई समझौता नहीं होगा।

गुजरात पुलिस का प्रजेंटेशन

इस दौरान गुजरात पुलिस के एडीजी राकेश अस्थाना ने अर्बन पुलिसिंग की चुनौतियों पर प्रजेंटेशन दिया और कहा कि गुजरात पुलिस ने ट्रैफिक और क्राइम कंट्रोल के लिए ट्रैफिक एजुकेशन ट्रस्ट का गठन किया है। इसके दो तिहाई मेंबर कारोबारी और समाजसेवी हैं। इस ट्रस्ट में जनता दान भी देती है जो सिर्फ चेक या ड्राफ्ट से लिया जाता है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि बैंक में जमा करायी जाती है। जुर्माने के लिए बैंकों का सर्वर ट्रस्ट के सर्वर से जुड़ा है। निर्धारित अवधि में फंड जमा नहीं होने पर जुर्माना राशि बढ़ा दी जाती है।

क्राइम कंट्रोल का बताया फॉर्मूला

अस्थाना ने बताया कि सूरत में जीआईएस मैपिंग की व्यवस्था है जहां 52 लाख की आबादी के लिए 3800 पुलिसकर्मी तैनात हैं। शहर के प्रवेश द्वारों से लेकर मुख्य चौराहों तक 1634 कैमरे लगे हैं, जिनकी प्रतिदिन चेकिंग होती है और फुटेज को वीडियो मैनेजमेंट सिस्टम में भेजा जाता है। ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो धुंधली तस्वीरों से सही नंबर तलाश लेते हैं। इससे शहर के क्राइम में 27 फीसद की कमी आयी है।

सोशल मीडिया का बढ़ा महत्व

एनआईए के डीआईजी अनिल कुमार शुक्ला ने सोशल मीडिया के बारे में कहा कि इस कम्युनिकेशन का एनालिसिस करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि दिल्ली, हैदराबाद, मुम्बई, चेन्नई पुलिस सोशल मीडिया से जनता से एक संवाद स्थापित कर विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को एकत्र कर उनका निस्तारण करती है। उन्होंने बताया कि किस तरह सोशल मीडिया का यूज करके दिल्ली पुलिस लोगों के लिए फ्रेंडली बन रही है।