GORAKHPUR : जरा सोचिए दो महीने पहले बड़ी मशक्कत से आप ट्रेन का टिकट करवाते हैं। पहले वेटिंग मिलती है। दो महीने तक दिल में उथल-पुथल मची रहती है कि पता नहीं वेटिंग कंफर्म होगी या नहीं। आखिरकार आपकी मन्नत पूरी होती है और सीट कंफर्म हो जाती है। ट्रेन में सीट पाकर मन खुश हो उठता कि अचानक कुछ पुलिसकर्मी आते हैं और आपकी सीट पर कब्जा कर लेते हैं। आपके साथ जा रही महिलाओं को घूरते हैं। बदसलूकी करते हैं। अगर आप शिकायत करने की मुद्रा में आते हैं तो आपको पीटने तक की धमकी दी जाती है। अब शायद आप कहेंगे कि भगवान किसी को ऐसा सफर न करवाए। लेकिन, मंडे नाइट म् ट्रेनों में हजारों पैसेंजर्स ने ऐसा सफर किया है। चलिए इस दर्द-ए-सफर की पूरी स्टोरी आपको बताते हैं।

चुनाव खत्म हुआ और हो गई छुट्टी

इलेक्शन के लिए पूरे प्रदेश से उप्र पुलिस के कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, एएसआई, एसआई की ड्यूटी गोरखपुर में लगाई गई थी। दूर दराज के जिलों से इन्हें बस से गोरखपुर लाया गया था और चुनाव खत्म होने के बाद इन्हें बस से ही जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन मंडे को गोरखपुर में जैसे ही इलेक्शन खत्म हुआ तो अन्य जिलों से आए ये पुलिसकर्मी बेलगाम हो गए। उन्होंने इलेक्शन कमीशन के आदेश को ठेंगे पर रखते हुए सभी नियमों को तोड़ डाला।

यूनिवर्सिटी चौराहे से रेलवे स्टेशन तक पुलिसिया जाम

अन्य जिलों से आए पुलिसकर्मी शाम म् बजे जैसे ही इलेक्शन ड्यूटी से छूटे तो वे घर जाने के लिए चुनावी बस छोड़ तत्काल ट्रेन पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशन को रवाना हो गए। हजारों की संख्या में सड़कों पर निकले इन पुलिसकर्मियों से यूनिवर्सिटी चौराहे से लेकर रेलवे स्टेशन तक पैदल चलने वालों का जाम लग गया। देखने पर ऐसा लग रहा था कि मानों कोई पुलिसिया मेला हो। कुछ पुलिसकर्मियों ने यूनिवर्सिटी चौराहे पर बबाल तक काट डाला। इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर कुछ विवाद करने की शिकायत आई नेक्स्ट को मिली तो तुरंत आई नेक्स्ट टीम रवाना हुई गोरखपुर रेलवे स्टेशन।

अब तो हद ही हो गई

रात के साढ़े नौ बजे थे। प्लेटफार्म नंबर भ् पर राप्तीगंगा एक्सप्रेस देहरादून जाने के लिए खड़ी थी। ट्रेन की सबसे अंतिम बोगी गार्ड के पीछे लगा जनरल डिब्बा था। इस डिब्बे से लेकर इंजन तक ट्रेन में पुलिसवाले ठूंसे हुए थे। चाहे वह एसी हो या स्लीपर या फिर माल ले जाने वाली एसएलआर बोगी। अचानक अवाज आई यहां से चले जाओ वरना ठीक नहीं होगा। तत्काल आई नेक्स्ट टीम इस आवाज के पीछे दौड़ी तो एसी कोच सामने आया। यह आवाज आरपीएफ के इंस्पेक्टर राजेश कुमार की थी। वे एसी में जबरिया घुसे पुलिसकर्मियों को बाहर निकालने में जुटे हुए थे। उसके बावजूद उप्र पुलिस के जवान एसी कोच से बाहर जाने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने पैसेंजर्स की सीट को हाइजैक कर लिया था। बड़ी देर तक चली आरपीएफ और जीआरपी की मशक्कत के बाद पुलिसकर्मियों को एसी कोच से बाहर किया जा सका। इस बवाल के बीच एक बार चली हुई राप्तीगंगा एक्सप्रेस को क्0 मिनट के लिए दोबारा रुकना भी पड़ा।

सभी थे बिना टिकट, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई

यह कहानी केवल राप्तीगंगा एक्सप्रेस की नहीं है। सप्तक्रांति एक्सप्रेस से लेकर अवध आसाम एक्सप्रेस तक कुल म् ट्रेनों में पुलिसकर्मियों का सीट कब्जा करने का सिलसिला जारी रहा। जब आई नेक्स्ट टीम ने इस मामले की और पड़ताल की तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई। इन म् ट्रेनों में हजारों पुलिसकर्मियों ने बिना टिकट गोरखपुर से लखनऊ, बरेली, कानपुर, झांसी जैसे कई दूर-दराज स्टेशन तक सफर किया, लेकिन टीटीई और कोच कंडक्टर ने न तो उन पर कार्रवाई की और न ही बिना टिकट यात्रा करने पर जुर्माना लगाया।

आखिर क्यों पुलिसकर्मियों ने तोड़ा कानून

रेलवे एक्ट के तहत बिना टिकट यात्रा करना एक जुर्म है। हजारों पुलिसकर्मियों ने मंडे को रेलवे के इस कानून को खुलेआम तोड़ा। आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया? जब आई नेक्स्ट ने इस सवाल का जवाब ढूढ़ा तो सामने आया 'समय का गणित'। मामला यह है कि इलेक्शन कमीशन ने इन पुलिसकर्मियों को अपने थाना क्षेत्र तक वापस लौटने के लिए चुनावी बस का बंदोबस्त कर रखा था। ये बसें मंडे की देर रात को गोरखपुर से रवाना होनी थी। यदि दूर-दराज थाना क्षेत्र के पुलिसकर्मी इन बसों से जाते तो वे ट्यूजडे की शाम तक घर पहुंच पाते। ट्रेन से सफर करने पर वे अपने थाना क्षेत्र में सुबह ही पहुंच गए।

खाली गई चुनावी बसें

लोकसभा चुनाव में मतदानकर्मियों के लिए सात सौ से अधिक बसें लगाई गईं थी। इसके अलावा अन्य रीजन से रोडवेज की करीब ख्00 से अधिक बसें गोरखपुर आईं थी। इन बसों से मतदानकर्मियों को वापस लौटना था। लेकिन पुलिसकर्मियों के ट्रेन से जल्दी चले जाने के कारण कई बसें खाली ही रवाना हुई। इससे सरकारी धन का दोहन हुआ।

इन ट्रेनों में किया था कब्जा

- सप्तक्रांति एक्सप्रेस

- शहीद एक्सप्रेस

- राप्तीगंगा एक्सप्रेस

- गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस

- कृषक एक्सप्रेस

- अवध-आसाम एक्सप्रेस

चुनाव समाप्त होते ही अचानक से स्टेशन पर पुलिसकर्मियों की भीड़ हो गई। ज्यादातर ट्रेंस में पुलिसकर्मियों ने यात्रियों के सीट पर कब्जा कर लिया था। काफी मशक्कत के बाद सीट खाली करवाई गई।

आर.सी मिश्रा, प्रभारी, जीआरपी, गोरखपुर जंक्शन

ज्यादातर ट्रेन में चुनाव ड्यूटी से लौटे पुलिसकर्मियों ने सीट पर कब्जा कर लिया था। यात्रियों की सुविधा का ख्याल रखते हुए। पुलिसकर्मियों से सीट खाली कराई गई।

राजेश कुमार, प्रभारी, आरपीएफ, गोरखपुर जंक्शन