- कई शहरों में फैला हुआ है गैंग का नेटवर्क

- मंगलवार को मुक्त कराई थीं कई किशोरी

आगरा। बदनाम बाजार के एक कोठे से मुक्त कराई गई किशोरियों के मामले में कोलकाता के सोनागाछी गैंग का नाम सामने आया है। गैंग का मुख्य काम युवतियों को बहला-फुसलाकर अपने चंगुल में फंसाना है। गैंग का नेटवर्क कई शहरों में फैला हुआ है।

दर्जनों लड़कियों की होती है सप्लाई

मंगलवार को माल के बाजार में पड़े छापे के बाद सोनागाछी का नाम सामने आया है। सोनागाछी एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में शुमार है। पुलिस सूत्रों की मानें तो सोनागाछी गैंग के जरिए ही लड़कियों की सप्लाई हुई थी। यह गैंग एक बार में दर्जनों लड़कियों की विभिन्न शहरों में सप्लाई करता है। यह गैंग फंसाई गई लड़कियों को आगरा, मुम्बई, दिल्ली सहित कई बड़े शहरों में बेच चुका है।

तीन तरीके से फैलाते हैं जाल

पहला: पहले वह युवतियों से दोस्ती करते हैं इसके बाद उन्हें अपने प्यार के जाल में फंसाते हैं। इसके बाद दूसरे शहर घुमाने के बहाने बेच देते हैं।

दूसरा: जरूरत मंदों को फंसाना। यह गैंग ऐसे लोगों की तलाश करता है जहां पर युवतियों को नौकरी की जरूरत होती है। गैंग के लोग उसे अच्छे पेमेंट का झांसा देते हैं। जिससे लड़कियां फंस जाती है। तीसरा: जो लड़कियां परिजनों से नाराज होकर घर छोड़ देती हैं उन्हें गैंग निशाना बना लेता है। उन्हें विश्वास में लेकर दूसरे शहर आकर बेच दिया जाता है।

उम्र के हिसाब से होता है रेट तय

मानव तस्करी का जाल बड़े स्तर पर फैला हुआ है। गैंग की नजर कम उम्र की लड़कियों पर रहती है। गैंग अधिकतर 14 साल से 20 साल तक की लड़कियों को निशाना बनाता है। जितनी उम्र कम होती है, उतना ही अधिक पेमेंट गैंग लेता है। गैंग के सदस्य बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर निगाह बनाए रहते हैं, जैसे ही कोई भटकते बच्चे दिखते हैं, उसे फंसाना शुरू कर देते हैं।

जेल भेजे गए

मुक्त किशोरियों से बात करने के लिए दिल्ली और कोलकाता की एनजीओ पहुंची हैं.पुलिस के मुताबिक 11 महिलाओं व पांच पुरुषों को मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया है, जबकि किशोरियों से एनजीओ अभी बात कर रही है।