असल में, गत फ्राइडे को उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दीपक रावत ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसके अगले दिन सैटरडे को स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने भी दीपक रावत नाम के छात्र को उपाध्यक्ष पद पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पूरी तैयारी के साथ एसएफआई के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार दीपक रावत अपने समर्थकों के साथ नामांकन पत्र दाखिल करने कॉलेज पहुंचे। लेकिन नामांकन पत्र दाखिल करने से पूर्व ही उनकी भिड़ंत निर्दलीय प्रत्याशी दीपक रावत के समर्थकों से हो गई। केमिस्ट्री गैलरी में निर्दलीय प्रत्याशी दीपक रावत के समर्थक ने एसएफआई प्रत्याशी दीपक रावत का नामांकन पत्र फाड़ दिया। जिससे दोनों गुट आमने सामने आ गए। गाली गलौच के साथ नौबत लात घूंसे तक पहुंच गई। घटना की खबर लगते ही मौके पर मौजूद पुलिस ने स्थिति को काबू करने के लिए छात्रों को दौड़ा दौड़ा कर पीटा। निर्दलीय प्रत्याशी दीपक रावत का कहना था कि एसएफआई ने उन्हीं के नाम के कैंडिडेट को उपाध्यक्ष पद के लिए खड़ा किया है। जिससे छात्रों में कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो सकती है। उसके द्वारा पहले ही नामांकन पत्र दाखिल किया जा चुका था। ऐसे में उन्हीं के नाम के दूसरे छात्र को एसएफआई ने उपाध्यक्ष पद पर उतारकर छात्रों को कन्फ्यूज करने के साथ वोट्स को काटने का काम किया है। हालांकि एसएफआई समर्थकों का कहना था कि उपाध्यक्ष पद पर कोई भी खड़ा हो सकता है। छात्र खुद जागरुक हैैं और वे निर्दलीय और एसएफआई के प्रत्याशी में फर्क समझते हैैं एक ही नाम होने से कुछ नहीं होता है।