- दस जून को गुडंबा थाने पर निवेशकों ने किया था प्रदर्शन

- आरोपी प्रियंका सिंह को पुलिस ने पकड़कर दिया था छोड़

- ईडी के छापे में जालसाज कंपनी की दो दर्जन संपत्तियां मिली

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LUCKNOW: निवेशकों के 700 करोड़ रुपये हड़पने के बाद राजधानी में आलीशान इमारतों का निर्माण करने वाली जालसाज कंपनी जेकेवी लैंड डेवलपर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के एमडी राजेश सिंह की पत्‌नी प्रियंका सिंह को लखनऊ पुलिस ने पकड़ने के बाद छोड़ दिया था। इससे आहत निवेशकों ने इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट में जाकर गुहार लगाई जहां कंपनी से असंतुष्ट चल रहे कुछ डायरेक्टर्स ने भी ईडी के अफसरों के सामने राजेश और प्रियंका के कारनामों का पूरा कच्चा-चिट्ठा खोल दिया। इसके बाद ईडी ने इनकी सुरागरसी शुरू की तो पता चला कि राजेश गुरुवार को किसी हॉस्पिटल मालिक के साथ नौ फ्लैट के बदले बीस बीघा जमीन खरीदने का सौदा करने जा रहा है। सूचना मिलते ही ईडी ने तत्काल राजेश और प्रियंका के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया और उनके तीनों ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी जो शुक्रवार तड़के चार बजे तक जारी रही। हालांकि इस दौरान दोनों नदारद मिले।

दो फ्लैट के बदले आरोपी को छोड़ा
दरअसल मऊ में राजेश और प्रियंका के खिलाफ केस दर्ज होने और वारंट जारी होने के बावजूद गुडंबा पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। इससे नाराज सैंकड़ों निवेशकों ने विगत दस जून को गुडंबा थाने पर प्रदर्शन किया। निवेशकों के मुताबिक इसके बाद पुलिस ने सहारा स्टेट से प्रियंका सिंह को पकड़कर थाने ले आई। इसकी खबर मिलते ही राजेश सिंह भी थाने पर आ गया जहां उसकी मुलाकात लखनऊ पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर से हुई जिसने प्रियंका को छोड़ने के एवज में टेढ़ी पुलिया पर बन रही राजेश सिंह की बिल्डिंग जेकेवी मिरेकल्स में दो फ्लैट देने को कहा। राजेश ने इसकी हामी भर दी और प्रियंका को साथ लेकर चला गया। पुलिस के इस रवैये से नाराज निवेशकों ने अशोक मार्ग स्थित ईडी के दफ्तर जाकर पूरा घटनाक्रम बताया जिसे सुनकर अफसर भी हैरान हो गये। मामला सीधे तौर पर निवेशकों से जुड़ा होने पर ईडी ने बिना देरी किए मऊ पुलिस से एफआईआर की कॉपी हासिल कर इस मामले की पड़ताल शुरू कर दी।

कुर्सी रोड पर भी प्रोजेक्ट
ईडी की जानकारी में यह भी सामने आया है कि राजेश सिंह ने जेकेवी इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम से दूसरी कंपनी बनाकर निवेशकों से जुटाई रकम से कुर्सी रोड स्थित बायोटेक पार्क के सामने एक बड़ा भूखंड खरीदा था जिसमें वह बिल्डर एग्रीमेंट के जरिए दूसरी इमारत बनाने की तैयारी में था। ईडी की छापेमारी में इस भूखंड पर हुए एग्रीमेंट के दस्तावेज भी बरामद किए गये है। साथ ही दो दर्जन से ज्यादा अन्य संपत्तियों का भी पता चला है जिनमें से ज्यादातर लखनऊ, जौनपुर, मऊ और यूपी के अन्य कई शहरों में खरीदी गयी है। साथ ही मऊ में आदि शक्ति कॉलेज में भी बड़े पैमाने पर निवेश करने की आशंका है। ध्यान रहे कि ईडी ने गुरुवार को छापेमारी के दौरान राजेश के ऑफिस से 25 लाख रुपये नकद भी बरामद किए थे।

सर्वर से जुटाएंगे डिटेल
राजेश सिंह पर अपना शिकंजा कसने के लिए ईडी ने कंपनी के उस सर्वर को भी तलाशना शुरू कर दिया है जिसमें निवेशकों से जुटाई गयी रकम का पूरा ब्योरा है। पता चला है कि यह सर्वर दिल्ली से ऑपरेट किया जा रहा है जिसे ईडी के अफसर खंगालने की तैयारी में हैं। वहीं जांच में यह भी सामने आया है कि राजेश के खिलाफ कई अन्य जिलों में भी मुकदमा दर्ज हैं जिसके बारे में पता लगाया जा रहा है। साथ ही हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में भी उसके द्वारा निवेशकों को ठगे जाने की बात सामने आ रही है।

कंपनी के डायरेक्टर्स
एमडी राजेश सिंह, प्रियंका सिंह, विक्रांत त्रिपाठी, दीपक शुक्ला, दुर्गेश जायसवाल, आशीष श्रीवास्तव, पवन शर्मा।

ये कंपनियां बनाई
जेकेवी लैंड डेवलपर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, आदि क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, जेकेवी माइक्रो फाइनेंस, जेकेवी एसोसिएट्स, जेकेवी इंफ्रास्ट्रक्चर, रायल लाइफकेयर डायग्नोस्टिक लिमिटेड, यूनीव‌र्ल्ड स्टाफिंग सोल्यूशंस।