गैरकानूनी

मुनादी में अभियुक्तों को कहा जा रहा अपराधी

शहर में सरेआम कानून तोड़ रही पुलिस

- बंदियों के सत्यापन कार्य के दौरान पुलिस कर रही है मुनादी

- सजा मिलने से पहले किसी को बदनाम करना इलीगल

Meerut: कानून की दुहाई और उसका पालन करने वाली पुलिस खुद ही सरेआम कानून को तोड़ रही है। जेल से रिहा अभियुक्तों को अपराधी की संज्ञा दे रही है। मुनादी के दौरान उनको 'अपराधी' कहकर पुकार रही है। जबकि कोर्ट की तरफ से उनको अभी सजा नहीं मिली है। सजा मिलने से पहले ही आरोपियों को सरेआम मुहल्ले में शर्मिदा करने पर तुली है। जो न केवल व्यवहारिक रूप से गलत है बल्कि कानून भी गलत है।

जुटा रहे बंदियों का ब्यौरा

इस दौरान पुलिस जेल से रिहा अभियुक्त बंदियों का ब्यौरा जुटा रही है। उनके निवास स्थान पर जाकर सत्यापन का काम चल रहा है। 1 जनवरी 2012 से 31 दिसम्बर 2015 तक डकैती, लूट, नकबजनी व चोरी के अपराधों में जिला कारागार से जो जमानत पर रिहा हुए हैं उनके सत्यापन का कार्य चल रहा है। इस दौरान करीब 2253 बंदी जमानत पर रिहा हुए हैं। इस पूरी प्रक्रिया का मोटिव इतना है कि वर्तमान में मालूम चल सके कि ये बंदी किस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं। रिहा होकर अपने घर पर ही गए हैं या फिर उन्होंने ठिकाना बदल दिया है। मोहल्ले में उनका चाल-चलन कैसा है। इन सभी बातों का पुलिस ब्यौरा जुटा रही है।

दे रहे अपराधी की संज्ञा

सत्यापन के दौरान पुलिस अपने-अपने थानाक्षेत्र में निवास करने वाले ऐसे बंदियों के घर पर जाकर सत्यापन का कार्य कर रही है। वे घर पर नहीं मिलते हैं तो उनके निवास स्थान पर थाना में हाजिर होने का नोटिस चस्पा किया जा रहा है। यही नहीं पुलिस लाउडस्पीकर लेकर पूरे मोहल्ले में यह मुनादी करती है कि वे अपराधी हैं। जहां कहीं भी हैं थाना में हाजिर हो जाएं। या फिर जिस किसने भी इनको देखा है उसकी जानकारी दें। मोहल्ले में घूम-घूम कर पुलिस इनको अपराधी घोषित कर रही है।

हो चुका है विरोध

अपराधी कहने पर कई लोगों ने विरोध भी जताया है। हिंदू संगठन हिंदू स्वाभिमान संस्था के कार्यकर्ताओं ने इस बात का पुरजोर विरोध जताया था। उनका कहना था कि अभी उनके मामले की विवेचना चल रही है। उनको कोर्ट ने अपराधी घोषित नहीं किया है तो पुलिस कैसे कह सकती है। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने सीओ सिविल लाइंस ऑफिस में जमकर हंगामा किया था।

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आरोपी को अपराधी तभी कह सकते हैं जब किसी मामले में उसका दोष सिद्ध हो जाए और कोर्ट की तरफ से उस मामले की सजा सुना दी जाए। उससे पहले उसे अपराधी नहीं कहा जा सकता। वह केवल उस मामले का आरोपी है।

-साजिद सिद्दीकी, एडवोकेट

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अभियुक्त और अपराधी में बड़ा फर्क है। कानून में संबोधन के दौरान एहतियात बरतने के निर्देश हैं। मेरठ पुलिस यदि मुनादी पिटवाकर अभियुक्तों को अपराधी बता रही है तो ये गलत है। इस प्रकरण को संज्ञान में लिया जाएगा। कानून में मुनादी का भी कोई प्रावधान नहीं है।

एसबी यादव, शासकीय अधिवक्ता, मेरठ।

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ऐसा कुछ नहीं है। मुनादी के दौरान लाउडस्पीकर पर इतना ही कहा जाता है कि वह इस अपराध के मामले में अभियुक्त है। यदि उन्हें बार-बार अपराधी कहा जा रहा है, तो इस मामले में देखते हैं।

- जे। रविंदर गौड़, एसएसपी