आई नेक्सट की 1 दिसंबर को होने वाली मोस्ट अवेटेड बाइकाथन रैली में वो हाईटेक साइकिलें भी दौड़ेंगी जिन्हें हाल ही में सिटी पुलिस ने ऑफिशियली इनक्लूड किया है। एसएसपी यशस्वी यादव ने फ्राइडे को आई नेक्स्ट से इसका प्रॉमिस किया और बाइकाथन ईवेंट को शुभकामनाएं भी दीं। बातों-बातों में उन्होंने इन साइकिलों की खूबियां भी बताईं, और मोटिव भी बताया कि इन साइकिलों को उन्होंने क्यों अपनाया है। आपको जानकर हैरानी होगी ये हाईटेक साइकिल्स कानपुराइट्स की सिक्योरिटी के लिए शहर में दौड़ती हैं।

 

गलियों में गश्त करने के लिए

सिटी में कई घने इलाके हैं। जहां पर कार या जीप से जाना संभव नहीं है। कई केसेज में ऐसा देखा गया है कि क्रिमिनल्स क्राइम करने के बाद गलियों के रास्ते भाग जाते हैं और इन बड़े वेहिकल्स से उनका पीछा कर पाना संभव नहीं हो पाता है। वहीं, कई क्रिमिनल्स ने गलियों को ही अपना अड्डा बना लिया है। ऐसे में इन गलियों की प्रॉपर और रेग्युलर मॉनीटरिंग की जा सके, इसके लिए एसएसपी यशस्वी यादव ने फोर्स में हाईटेक साइकिलों को शामिल करने का फैसला लिया था। फिलहाल उन्होंने सिटी को 104 हाईटेक साइकिलें दिलवा भी दी हैं। इसका रिजल्ट भी पॉजिटिव आया, अब कांस्टेबल्स इन साइकिलों से गलियों में गश्त करते नजर आते हैं। साइकिलों से गश्त करने वालों से जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने भी खुशी जताई। उनके मुताबिक साइकिल से गश्त करने में न सिर्फ उनकी एक्सेसिबिलिटी बढ़ गई है, बल्कि उनकी हेल्थ और फिटनेस भी जबरदस्त हो गई है। अब वो खुद को काफी एक्टिव फील करते हैं।

मिला था तोहफा

सिटी में बीते दिनों पुलिस के हाईटेक कंट्रोल रूम के उद्घाटन पर लखनऊ से सिटी पुलिस को 65 लग्जरी कारों, 75 रेसिंग बाइक्स और 104 हाईटेक साइकिलों का तोहफा मिला था। एक साइकिल की कीमत 15 हजार रुपए है। इसमें मोबाइल चार्जर, वेपंस रखने की जगह भी बनी हुई है। इन साइकिल्स में गियर्स भी हैं जो इनको कमाल की स्पीड प्रोवाइड करते हैं। यानि, जरूरत के समय कांस्टेबल इन्हें तेजी से भगा सकते हैं। सडक़ पर तेजी से चलते वक्त साइकिल स्किड न करे, इसके लिए  इसमें ग्रिप वाले चौंड़े टायर्स फिट हैं। कंट्रोल रूम से लगातार कनेक्टिविटी बनी रहे, इसके लिए इसमें वॉकी-टॉकी रखने के लिए अलग से जगह भी है।  

पब्लिक से जुड़ाव में कारगर

दो दशक पहले कांस्टेबल साइकिल से बीट पर घूमते थे। इससे उनका पब्लिक से जुड़ाव रहता था। जिसके चलते उनका मुखबिर तंत्र मजबूत रहता था। पुलिसिंग एक्सपट्र्स के मुताबिक पुलिस के बेसिक सिस्टम में खामी इसी वजह से आई है क्योंकि इसका पब्लिक से जुड़ाव कम हो गया है। अब कांस्टेबल इलाके में जीप या बाइक से घूमते हैं, इस वजह से उनकी पब्लिक से डायरेक्ट कनेक्टिविटी काफी कम हो चुकी है। साइकिलें इंट्रोड्यूज करने के बाद से इसमें काफी सुधार हुआ है। एक कांस्टेबल ने बताया कि उन्हें साइकिल से चलने का फर्क खुद ब खुद दिखाई दे रहा है। लोगों के बीच रहने से काफी जमीनी खबरें मिल रही हैं जो बेहतर पुलिसिंग के लिए बहुत जरूरी हैं।

ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने और खुद को फिट रखने के लिए साइकिलिंग एक बेहतर विकल्प है। स्टूडेंट्स को तो साइकिल से ही चलना चाहिए। इससे उनकी पॉकेट मनी तो सेव होगी ही, साथ ही साथ ट्रैफिक प्रॉबल्म से भी राहत मिलेगी। इससे एक्सीडेंट्स के चांसेज भी काफी कम रहते हैं। पेरेन्ट्स को अपनेच्बच्चों को बाइक की बजाय साइकिल से स्कूल भेजना चाहिए। अब तो साइकिल के कई मॉडल्स आने लगे हैं, और इन्हें चलाने से आपकी पर्सनाल्टी और निखर सकती है।

यशस्वी यादव, एसएसपी

फीचर्स

-वॉकी-टॉकी रखने की अलग से सुविधा

-मोबाइल, चार्जर रखने के लिए स्लॉट

-वेपंस रखने के लिए अलग से जगह

च्अच्छी स्पीड के लिए कई गियर्स

-स्पोर्टी और वाइड टायर्स

-इन बाइसाइकिल्स से चलने वाले कांस्टेबल्स के लिए अलग से डिजायन की हुई ब्लू कलर की ड्रेस

-हेड प्रोटेक्शन के लिए हेलमेट भी पहनेंगे कांस्टेबल्स