-पुलिस आज से फिर शुरू कर रही है ऑपरेशन स्माइल

-इसमें गुमशुदा हुए बच्चों को परिजनों से मिलाने का किया जाएगा काम

-पुलिस की फाइल में लापता बच्चों की संख्या 45

BAREILLY: बच्चे अगर पल भर के लिए भी आंखों से ओझल हो जाएं तो मां-बाप बैचेन हो उठते हैं, लेकिन सिटी में करीब ऐसे 45 पैरेंट्स हैं जिनकी बैचेनी अब नउम्मीदी में बदलती जा रही है। दरअसल, सालों बाद भी बरेली के 45 बच्चे पुलिस फाइल में लापता हैं। यह आकड़ा 2006 से अब तक का है। एक तरह से कहा जाए तो इन बच्चों को तलाश को पुलिस ने अनआफिशियल तौर पर 'बंद' कर दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह बच्चे कहां हैं?

चंद दिन की तलाश, फिर मामला ठंडे बस्ते में

दरअसल, इन लापता बच्चों की तलाश न हो पाने के पीछे का बड़ा कारण पुलिस की लापरवाही भी रही है। पुलिस गुमशुदा में दर्ज करके खानापूर्ति कर लेती थी। हालांकि 2014 में कोर्ट का आदेश के बाद सभी बच्चों को मामला अपहरण की धाराओं में तो दर्ज हो गया, लेकिन हार्ड क्राइम में उलझी हुई पुलिस इन मासूमों के मां-बाप की फरियाद को नहीं सुन पाई। पुलिस के सोर्स बताते हैं कि लापता बच्चों की जांच को पुलिस ने कभी ज्यादा सीरियसली लिया ही नहीं।

क्या स्माइल ला पाएगा खुशी

लापता होते बच्चों के मामले को बढ़ता देख देशभर में ऑपरेशन स्माइल चलाया जा रहा है। इसका मकसद है कि, जिन-जिन जगहों पर बच्चे काम करते हैं वहां व अन्य जगहों से बच्चों को मुक्त कराके उनका पता व अन्य जानकारी पूछ कर उनके परिजनों को मिलाया जाएगा। एक जुलाई से शुरू हो रहे इस अभियान में अब देखना यह है कि यह ऑपरेशन कितने मां-बाप के चेहरे पर खुशी ला पाएगा।

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पुलिस रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2014 में जिले में कुल 14 बच्चे गायब हुए। इनमें से 11 बच्चों को तो पुलिस ने ढूंढ निकाला लेकिन 3 बच्चे अभी भी ऐसे हैं जिनका कोई सुराग नहीं लग सका है। इसी तरह से वर्ष 2015 में अभी तक 7 बच्चों का कोई सुराग नहीं है। जिनमें से अभी तक दो ही वापस आए हैं। 5 बच्चों का अभी भी कुछ पता नहीं चल पाया है। इसके अलावा कई ऐसे बच्चे भी होंगे जिनका रिकार्ड भी पुलिस के पास नहीं होगा क्योंकि कई गरीब माता-पिता डर के चलते पुलिस के पास पहुंचते ही नहीं हैं। पिछले कई सालों में इसी तरह से गायब बच्चों में कुछ वापस ही नहीं आते हैं।

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बच्चों के पीछे बड़े गैंग का हाथ तो नहीं?

हालांकि बरेली के संदर्भ में स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि यहां पर बच्चों को किडनैप करने के पीछे किसी गैंग का हाथ है। लेकिन, पुलिस अफसर इस बात से साफ इंकार नहीं करते हैं। वह कहते हैं कि इस बात के कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगे हैं। वह बताते हैं कि कई बार नाराजगी में बच्चे भाग जाते हैं तो कई बार इस तरह के गैंग के मेंबर्स के हाथ लग जाते हैं। ऐसे में फिर इन बच्चों तक परिवार वालों व पुलिस का पहुंच पाना टेढ़ी खीर साबित होता है।

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सैकडों बच्चे करते हैं मजदूरी

ज्यादातर गायब बच्चों से होटल, ढाबों व कारखानों में मजदूरी के काम में लगा दिया जाता है। इसके लिए बरेली या अन्य किसी से गायब बच्चों को दिल्ली, मुंबई, या अन्य किसी शहर में कई सौ किलोमीटर दूर भेज दिया जाता है। इसी वजह से बच्चों को तलाशने में पुलिस को भी काफी प्राब्लम होती है। कई मामलों में पुलिस सिर्फ खानापूर्ति कर चुप बैठ जाती है।

सब मिलकर चलाएंगे ऑपरेशन अभियान

शासन के निर्देश पर एक बार फिर से 1 महीने तक विशेष रूप से आपरेशन मुस्कान चलाया जाएगा। इस आपरेशन में श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग अहम भूमिका निभाएगा। क्योंकि चाइल्ड लाइन को ही पता होता है कि किस बच्चों से कहां मजदूरी कराई जा रही है। इस संबंध में 25 जून को पुलिस लाइंस में श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन, एएचटीयू, प्रोवेशन आफिसर, किशोर कल्याण बोर्ड समेत कई डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने मीटिंग कर अभियान का वर्क प्लान तैयार किया।

यहां कर सकते हैं शिकायत

यदि आपके आसपास किसी बच्चे से मजदूरी कराई जा रही है या फिर आपको कोई बच्चा लावारिश हालत में मिलता है तो आप पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दे सकते हैं। इसके अलावा चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर भी फोन कर सकते हैं। आप सीधे एएचटीयू आफिस में भी जाकर शिकायत कर सकते हैं ताकि वह बच्चा अपने घरवालों के पास पहुंच सके। कुछ दिनों पहले एएचटीयू ने किला से 5 बच्चों को मजदूरी करने से मुक्त कराया था।