आंकड़े

-29 थाने डिस्ट्रिक्ट में

-10 थाने शहर और 19 रूरल में

-2 एडीशनल एसपी ऑफिस

-9 सीओ ऑफिस, जिसमें 3 शहर और 5 देहात में

-एसएसपी ऑफिस में रोजाना 100 से अधिक शिकायतें पहुंचती हैं

-पुलिस के व्यवहार से जनता नहीं खुश, रिपोर्ट लिखकर टरका देते

बरेली- मित्र पुलिस का स्लोगन सिर्फ पोस्टरों पर ही दिखता है, उनके व्यवहार में नहीं। हकीकत कुछ ऐसी है तभी तो थानों में निस्तारित होने वाले मामले एसएसपी दफ्तर पहुंच रहे हैं। थानों में पब्लिक की सुनवाई न होने से वह एसएसपी ऑफिस में लाइन लगा रहे हैं। अगर कोई थाने में शिकायत लेकर पहुंचता है तो पहले उसे भगा दिया जाता है और जो नहीं जाता है, बार-बार चक्कर लगाता है तो उसकी एफआईआर लिखकर उसे टरका दिया जाता है। इन्हीं वजहों से एसएसपी ऑफिस में रोजाना सौ से अधिक फरियादी शिकायत लेकर पहुंचते हैं। इनमें बहुत से मामले ऐसे होते हैं, जिनका निस्तारण आसानी से थानों में ही किया जा सकता है, पर होता नहीं है।

थानों से भगा देते हैं

थानों में शिकायतों की सुनवाई के लिए कोई सिस्टम नहीं है, जिससे पब्लिक परेशान होती है और भटकती रहती है। जब वह मुंशी के पास जाता है तो मुंशी उसे एसआई के पास भेज देते है और एसआई वापस मुंशी के पास। ज्यादा चक्कर लगाने वाले को बाद में आने के लिए बोल दिया जाता है या फिर तहरीर लेकर जांच की बात कहकर टरका दिया जाता है।

पुलिस की फौज फिर भी सुनवाई नहीं

थानों में प्रभारी तैनात होता है, जिसे सुबह से 10 से 2 बजे तक थाने में समस्या सुननी होती है। एसएसआई या सेकेंड अफसर की भी पोस्टिंग होती है। जो प्रभारी के जाने पर समस्या सुनने के लिए होता है। वह सुबह 9 से रात 9 बजे तक रहता है। डे और नाइट अफसर के साथ ही अन्य स्टाफ भी होता है फिर भी फरियादियों को थाने से लौटा दिया जाता है।

तो क्या यहां भी नहीं सुनते

थानों के अलावा सीओ व एसपी ऑफिस में भी जनता की समस्याएं सुनी जाती हैं। पब्लिक का कहना है कि यहां पर साहब मिलते ही नहीं है और मिलते भी हैं तो रिपोर्ट लिख ली जाती है। इसीलिए वह एसएसपी ऑफिस में ही अपनी फरियाद लेकर पहुंचते है।

एसएसपी ऑफिस में भीड़

थानों में सुनवाई न होने से एसएसपी ऑफिस में रोजाना भीड़ लगती है। यहां एसएसपी फरियाद सुनते हैं। उनकी गैरमौजूदगी में एडीशनल एसपी फरियाद सुनते हैं। शिकायत प्रकोष्ठ प्रभारी थाने में फोन कर शिकायत से जुड़ी डिटेल लेते हैं, उसके बाद उसे एसएसपी के सामने पेश किया जाता है। एसएसपी शिकायत पर कार्रवाई का आदेश करते हैं, जिस मामले में एफआईआर की जरुरत होती है तो एफआईआर का आदेश किया जाता है। थाना प्रभारी की लापरवाही मिलने पर उस पर कार्रवाई भी की जाती है।

बेटा जबरदस्ती मकान पर कब्जा करना चाहता है। थाने में गई थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 4 महीने से थाने के चक्कर लगा रही हूं।

बलवीर सिंह, सुभाषनगर

पत्नी परेशान करती है। वह सुसाइड करने की धमकी देती है। कांकर टोला चौकी पर शिकायत लेकर पहुंचा तो बोल दिया कि कल आना और कुछ लेकर आना।

अनद उर्फ राजू, बारादरी

पति परेशान करता है। मारपीट कर बच्चों के साथ घर से निकाल देता है। थाने गई थी, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई। आंवला से आकर एसएसपी से शिकायत की है।

मोबीन बेगम, आंवला

दबंगों ने मारपीट की। जब मां बचाने आयी तो उसके साथ भी मारपीट की। थाने गए, लेकिन सिर्फ एनसीआर लिखकर भेज दिया।

आरिफ, भोजीपुरा

एसएसपी मुनिराज जी से बातचीत

सवाल- आपके दफ्तर में इतनी भीड़ क्यों है, क्या थानों में सुनवाई नहीं होती?

जवाब- ऐसा नहीं है कि सुनवाई नहीं होती है, लेकिन कुछ मामलों में शिकायतें मिलती हैं।

सवाल- किस तरह की शिकायतें सबसे ज्यादा आती हैं?

जवाब- सबसे ज्यादा शिकायतें पारिवारिक यानी पति-पत्‍‌नी के विवाद की होती हैं, इसके अलावा जमीनी विवाद और गिरफ्तारी व चार्जशीट न लगाने के आते हैं। कुछ लोग थाने जाते भी नहीं हैं। दो पक्षों में विवाद मामले में आरोपी पक्ष भी शिकायत लेकर पहुंचते हैं।

सवाल- थानों में सुनवाई न होने पर क्या कार्रवाई की जाती है?

जवाब- थाने पर संतुष्ट न होने पर पब्लिक आती है, तो उसकी शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जाती है। यदि पुलिसकर्मी की लापरवाही होती है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाता है।