बीते दिनों दून के कई क्षेत्र में क्राइम का ग्र्राफ तेजी के साथ बढ़ा है। क्रिमिनल बेखौफ हैं। ये संबंधित थाना इंचार्ज या चौकी प्रभारी को भले ही न दिख रहा हो, लेकिन उपर बैठे साहब इसे जरूर मॉनिटर कर रहे हैं। इसके लिए लिस्ट भी तैयार की जा रही है। जो अधिकारी लिस्ट के मानकों पर खरा उतरेगा वो ही थाने और चौकी पर बने रहेंगे।

 

काम रहेगा अहम

कहते हैं काम का कोई विकल्प नहीं होता, लेकिन दून के कई पुलिस कर्मी इस थ्योरी में बिलिव नहीं करते। वह बड़े साहब को मिस गाइड करने का कोई मौका नहीं चूकते। कोई वारदात हुई तो उसे कुछ और ही रंग देकर प्रजेंट किया जाता है। लेकिन ऊपर बैठे साहब तो साहब ठहरे। उनकी निगाह से कुछ भी छिपा पाना संभव नहीं है। इसलिए दून के सभी थाना और चौकियों की मॉनिटरिंग की जा रही है। जिनका वर्क रिकार्ड देखने के बाद ये निर्णय लिया जाएगा कि कौन कब तक अपनी कुर्सी पर बैठेगा और किसकी विदाई होगी।

बन रही है लिस्ट

बीते कुछ समय से सिटी पुलिस का हाल बेहाल है। यहां घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। क्रिमिनल कभी किसी एरिया पर हावी रहते हैं तो कभी कोई अन्य क्षेत्र उनके टारगेट पर होता है। ये सब देखते हुए एक लिस्ट तैयार की जा रही है। जिसमें थाना और चौकी वार परफॉर्मेंस रिकार्ड किया जा रहा है। जिसका रिव्यू स्वयं डीआईजी गढ़वाल रेंज संजय गुंज्याल करेंगे। आलम ये है कि सिटी के कई इंचार्ज को ये ही पता नहीं लगता कि उनके क्षेत्र में किसी वारदात को अंजाम दिया गया है। आलम ये ह कि वारदात की जानकारी उन्हें अपने सीनियर ऑफिसर से मिलती है।

Its first time 

इस तरह का प्रयास दून में पहली बार किया जा रहा है। हालांकि परफॉमेंस पहले भी चेक होती रही है, लेकिन पनिशमेंट की जगह चेतावनी देकर काम चलता था। अब ये देखा जा रहा है कि मातहत एक्स्ट्रा कंफर्ट जोन में आते जा रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि वह हमेशा इसी कुर्सी पर बैठे रहेंगे। ये आरामतलबी दूर करने के लिए इस बार विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मजेदार बात ये है कि रेंज ऑफिस लेवल पर चल रही मॉनिटरिंग की जानकारी फिलहाल किसी को नहीं है। इसका पता रिजल्ट के तौर पर ही सामने आएगा।

Monitoring का काम लगभग पूरा

इलेक्शन के दौरान पुलिस कर्मी काफी बिजी रहे.  काम भी अधिक था, इसलिए कोई एक्शन नहीं लिया गया, लेकिन छह मार्च को इलेक्शन की काउंटिंग समाप्त होने के बाद कार्रवाई तय मानी जा रही है। जिसमें कई थाना व चौकी प्रभारियों के विकेट डाउन हो सकते हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब तक करीब एक दर्जन इंचार्ज की मॉनिटरिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। आने वाले समय में ये काम और जोर पकड़ेगा। डीआईजी इस दौरान कई बार अपने अधिनस्थों को काम करने की नसीहत तक दे चुके हैैं, जो समझा वो सुधार कर रहा है। जिसे उनकी बात समझ में नहीं आई उसकी रवानगी तय मानी जा रही है।