--चप्पे-चप्पे पर थी पुलिस, 351 गिरफ्तार

- ग्रामीण क्षेत्र में रहा मिलाजुला असर

- सर्वाधिक गिरफ्तारी रांची-टाटा मार्ग पर

- शाम में रिहा हुए गिरफ्तार बंद समर्थक

रांची : सीएनटी/एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को विभिन्न संगठनों के झारखंड बंद का रांची में मिला-जुला असर रहा। शहर में बंद बेअसर रहा, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सड़क पर उतरे। हालांकि, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उनकी गिरफ्तारी ली। बंद के दौरान रांची में कुल 351 बंद समर्थक गिरफ्तार किए गए, जिन्हें कैंप जेल में रखा गया था। शाम में उन्हें रिहा कर दिया गया। इस बार बंद पर पुलिस की सख्ती का साफ असर दिखा, जिससे 25 नवंबर के बंद वाला नजारा नहीं दिखा। मालूम हो कि 25 नवंबर को झारखंड बंद के दौरान विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ की थी।

और लोग सड़क पर नजर आए

राजधानी में सुबह से ही विभिन्न इलाकों की कुछ दुकानें खुली रहीं। ऑटो व ई-रिक्शा भी चलते रहे। सड़क पर लोग आसानी से आते-जाते दिखे। दोपहर करीब दो बजे के बाद 50 फीसद से अधिक दुकानें खुल गई थीं। शहर में कहीं से हिंसा या टकराव की खबर नहीं है। रांची-टाटा मार्ग पर नामकुम व दशम फॉल थाना क्षेत्र में सड़क पर बंद समर्थक उतरे, पुलिस ने तत्काल उन्हें गिरफ्तार कर लिया। और सड़क पर आवागमन सुचारू हुआ।

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नजरबंद थे संभावित लॉज-मुहल्ले

रांची पुलिस ने यह आकलन पहले ही कर लिया था कि बंद के दौरान कहां से भीड़ निकल सकती हैं। ऐसे लॉज, मुहल्ले व हॉस्टल को रात में ही पुलिस अपने कब्जे में ले लिया था। हर जगह गेट पर ही पुलिस पदाधिकारी व जवान तैनात थे, ताकि हॉस्टल से कोई बाहर न निकल सके। शहर में ड्रोन, वीडियो कैमरे आदि से निगहबानी की जा रही थी, ताकि हर किसी पर नजर रखी जा सके। ऐसी जगहों से कोई बाहर निकल नहीं सका। जो बाहर था और निकला, उसे वहीं पर पकड़ लिया गया।

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बने थे 16 बैरिकेडिंग, हुई चेकिंग

बंद के मद्देनजर शहर में कुल 16 जगहों पर बैरिकेडिंग की गई थी। प्रत्येक बैरिकेडिंग पर खूब चेकिंग हुई। दो पहिया वाहन, ऑटो सहित सभी वाहनों पर आने-जाने वालों की तलाशी ली जा रही थी। उन्हें रोका-टोका जा रहा था, ताकि उनके आने-जाने के कारणों का पता चल सके। संतुष्ट होने के बाद ही अधिकारी उन्हें जाने की अनुमति दे रहे थे। बैरिकेडिंग पिस्का मोड़, राम मंदिर चौक, कमिश्नरी चौक, सर्जना चौक, हरमू पुल (बाइपास रोड), तिरिल, चांदनी चौक, डंगराटोली चौक, जेल चौक, रेडियम चौक, मिशन चौक, विशप स्कूल (कांटाटोली से बहुबाजार रोड), सुजाता चौक, शहीद चौक, ब्लॉक मोड़ (मांडर) और टेड़ी पुल (सोनचीपी, चान्हो) के पास बनाए गए थे।

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इनकी थी प्रतिनियुक्ति

- नेतरहाट जंगल वारफेयर से : 200 लाठी बल।

- जैप वन डोरंडा से : 100 लाठी पार्टी।

- पीटीसी, पद्मा से : 200 लाठी पार्टी।

- आइआरबी-3, गोविंदपुर गुमला से : अश्रु गैस का दस्ता।

- जैप टेन महिला बटालियन से : रैप की चार बटालियन।

- अधिकारियों के हाउस गार्ड्स।

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कैंप जेल में थी कड़ी सुरक्षा

कैंप जेल में गिरफ्तार कर भेजे गए बंद समर्थकों के अलावा किसी दूसरे को जाने की इजाजत नहीं थी। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। उन्होंने सख्त निर्देश था कि कैंप जेल में लाए गए बंद समर्थक के अलावा कोई प्रवेश नहीं करेगा। वही हुआ।

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पांच जगहों पर बने थे कैंप जेल

बंद समर्थकों के लिए अलग-अलग जगहों पर होने वाली गिरफ्तारी को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से रांची जिला में पांच अस्थायी कैंप जेल बनाए गए थे। बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम(मोरहाबादी), एचईसी स्टेडियम(धुर्वा), डकरा स्टेडियम (एनके ऐरिया, खलारी), प्राथमिक विद्यालय(सिल्ली) और सोसई आश्रम(मांडर) में गिरफ्तार लोगों को रखने की व्यवस्था थी।