- भूमि विवाद में एक पक्ष के बन रहे पैरोकार

- पब्लिक के आरोप, जांच में अटकते मामले

GORAKHPUR: शहर में भूमि विवादों को लेकर रार बढ़ती जा रही है। एक पक्ष की मददगार बनकर कार्रवाई करने के आरोप में पुलिस भी बदनाम हो रही है। भूमि विवादों में शामिल लोग इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारियों पर दूसरे पक्ष के प्रभाव में आकर काम करने का आरोप लगाते हुए शिकायत कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इंस्पेक्टर, दरोगा ने ईमान बेच दिया है। शिकायतों के सामने आने पर एसएसपी सख्त तेवर अपना रहे हैं। लेकिन भूमि विवादों से निपटने के किसी कारगर उपाय के अभाव में बात नहीं बन पा रही। एसएसपी ने कहा कि भूमि विवादों में एक पक्ष के फेवर में काम करने के सबूत मिलने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। शाहपुर में भूमि विवाद के मामले में जांच के निर्देश दिए गए थे।

जिसका लेते फेवर, उसका करा देते काम

आमतौर पर दो पक्षों के बीच भूमि विवादों में न पड़ने के दावे पुलिस करती है। लेकिन अक्सर यह सामने आता है कि किसी न किसी के पक्ष में पुलिस काम करती है। निर्माण संबंधी कोई के आदेश के अभाव में भी थानों-चौकियों की पुलिस कार्रवाई कर देती है। कई बार सभी कागजात होने के बावजूद दरोगा और सिपाही कोई संज्ञान नहीं लेते हैं। ऐसे में माना जाता है कि जिसके फेवर में पुलिस होती है। उसके पक्ष में निर्माण कार्य की मूक सहमति दे दी जाती है। शिकायत होने पर निर्माण कार्य पूरी न होने पर पुलिस मौके पर नहीं जाती। यह भी सामने आया है कि जिन मामलों में पुलिस की रूचित होती है। वहीं पर पुलिस मनमानी करती है।

केस एक:

घर में घुसकर मचाया उत्पात, तोड़फोड़

भूमि विवादों के बीच में बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के कोई दखल न देने के दावे करने वाली पुलिस जमकर मनमानी कर रही है। चिलुआताल एरिया में सोमवार की रात फोर्स के साथ पहुंचे दरोगा और सिपाहियों ने एक पक्ष के घरों में तोड़फोड़ की। आरोप है कि पुलिस ने परिवार की महिलाओं संग बदसलूकी की। करीमनगर के पोखरभिंडा निवासी संतोष राजभर का बगल के एक व्यक्ति से भूमि का विवाद चल रहा है। उसने सीओ कैंपियरगंज को एप्लीकेशन देकर कोर्ट का स्टे होने के बावजूद निर्माण होने का आरोप लगाया। सोमवार की रात आठ बजे फर्टिलाइजर चौकी प्रभारी वीरेंद्र यादव तीन सिपाहियों और अकबर को लेकर उनके घर पहुंचे। पुलिस के उत्पीड़न से तंग आकर पीडि़त पक्ष सोमवार की रात करीब 10 बजे एसएसपी से मिलने पहुंचा। तब दरोगा और सिपाहियों की हरकत सामने आई।

केस दो:

एसएसपी से शिकायत पर एक घंटे रोका काम

झंगहा के कोना, सोनबरसा मोहल्ले के राघवेंद्र प्रताप जायसवाल भूमि पर कुछ लोग जबरन कब्जा करा रहे थे। 27 अक्टूबर की सुबह 10 बजे भू माफियाओं ने निर्माण कार्य कराना शुरू कर दिया। उन्होंने एसओ से शिकायत दर्ज कराई तो वह स्टे आर्डर मांगने लगे। राघवेंद्र का कहना है कि स्टे आर्डर दिखाने के बावजूद एसओ ने काम नहीं बंद कराया। उन्होंने एसएसपी को मामले की जानकारी दी। एसएसपी ने झंगहा एसओ को फोन करके काम रोकने के लिए कहा। कुछ देर तक काम रुका रहा। आरोप है कि बाद में एसओ की अनदेखी से दूसरे पक्ष ने निर्माण करा लिया।

बॉक्स

कोई नहीं उपाय, कैसे कसे जाए लगाम

शहर में भूमि विवाद के मामले फिर से बढ़ते जा रहे हैं। दो दिन पूर्व शाहपुर एरिया में रेलवे कर्मचारी की पत्‍‌नी अपनी भूमि पर निर्माण करा रही थीं। तभी ब्लाक प्रमुख सुधीर सिंह ने निर्माण कार्य रोक दिया। दोबारा बाउंड्री चलाने पर जानमाल की धमकी दी। इससे परेशान होकर उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। एसएसपी के निर्देश पर मुकदमा दर्ज हुआ तो कुछ दरोगा और सिपाही रेलवे कर्मचारी को मैनेज करने में जुट गए। आरोप है कि रेलवे कर्मचारी के परिवार पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। उधर मामले की जानकारी होने पर सीनियर आफिसर्स ने हर हाल में ब्लाक प्रमुख को अरेस्ट करने का निर्देश दिया है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि पूर्व में गठित टीमों के बीच सामंजस्य के अभाव से मामलों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। तहसील और थाना समाधान दिवसों पर आने वाले ज्यादातर मामलों में लेखपाल और कानूनगो कोई रुचि नहीं दिखाते। जबकि कोर्ट में लंबित मामलों में एक पक्ष किसी न किसी को प्रभाव में लेकर अपनी मनमानी कर लेता है।

वर्जन

भूमि से संबंधित मामलों में पुलिस और राजस्व विभाग की टीम संयुक्त रूप से कार्रवाई करती है। तहसील और थाना समाधान दिवस पर आने वाले मामलों की जांच कराई जाती है। किसी मामले में इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाहियों के शामिल होने की शिकायत पर जांच होगी। यदि कोई भू माफियाओं के पक्ष में काम करता पाया गया तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।

- शलभ माथुर, एसएसपी