बदनाम करने की धमकी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट मां-बेटी अपने साथ हुए जुल्म को डर-डर के बता रही हैं। मां ने बताया कि उनकी 6 बेटियां और एक बेटा है। दो बेटियों की शादी हो गई है। एक बेटी गुड्डू उर्फ मोहम्मद आसिफ के घर और एक गुड्डू की बहन फैजुल के घर में काम करती है। दोनों करीब आठ साल से उन्हीं के घर रहकर काम कर रही हैं। उन्होंने बेटियों की शादी कराने का आश्वासन भी दिया था। आसिफ के घरवाले जब मर्जी होती, बेटियों को घर से ले जाते थे। अगर काम पर जाने का मन नहीं हो तो बदनाम करने की धमकी देते।

उर्स में जाने नहीं दिया

बेटी ने बताया कि 2 नवंबर को वह उर्स में जाना चाहती थी, लेकिन आसिफ के घर वाले उसे जबरन अपने घर ले गए। फिर उससे फैजुल के घर अलमारी में रखे जेवर की चोरी के बारे में पूछने लगे। उसने जब चोरी से इंकार किया, तो पिटाई की। उसे कमरे में बंद कर पेट्रोल पिलाया गया। मिर्च के बोरे में बंद कर दिया। फिर तलवों को मोमबत्ती से दागा। सभी उससे जबरन चोरी कुबूल करवाना चाहते थे। जब वह घर नहीं पहुंची, तो उसकी मां वहां गईं। उसे भी बंधक बना लिया गया और यही बर्बरता की गई। जब घर में ही ज्वैलरी मिल गई तो दोनों को पुलिस स्टेशन ले गए। वहां कोरे कागज पर अंगूठा लगवाकर समझौता करवा लिया गया। जब उन्हें वापस ठेले पर डालकर लाया जा रहा था, तब गांव वालों ने देखा और विरोध किया। तब कहीं जाकर उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।

डीआईजी का सख्त रुख

ट्यूजडे को इस मामले में बहेड़ी से पहुंचे एसआई ने लड़की और मां का बयान लिया। हॉस्पिटल में वूमेन क्लब और अन्य संस्थाओं के लोग भी हेल्प के लिए पहुंचे। दोपहर में फैजुल के पति लईक हसन और अन्य ने डीआईजी से मुलाकात की। उन्होंने डीआईजी को एक मोबाइल क्लिप दिखाकर खुद पर लगे आरोपों से इंकार किया। हालांकि डीआईजी के सवालों में वह फंस गए और मारपीट की बात स्वीकार कर ली। डीआईजी ने उन्हें एसएसपी से बात करने को कहा और चोरी की एफआईआर लिखने का आश्वासन दिया। वहीं पीडि़त पक्ष की तरफ से कई पड़ोसी महिलाओं ने डीआईजी से मुलाकात कर इंसाफ की मांग की। डीआईजी ने एसएसपी को दोनों की सिक्योरिटी के लिए पुलिसकर्मी तैनात करने का आदेश दिया है।