नैनी में जलाकर फेंकी गई महिला को अपनो ने ही उतारा था मौत के घाट

राज खुले न इसके लिए बॉडी को फेंक दिया था स्कूल के समीप

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ALLAHABAD: औद्योगिक क्षेत्र थाना क्षेत्र के सड़वा गांव में पिछले हफ्ते प्राइमरी स्कूल के निकट जली हुई महिला के कातिल उसके अपने ही थे। बेटे और पोते ने मिलकर उसे मौत के घाट उतारने के बाद मिट्टी का तेल छिड़क कर जला दिया था ताकि इसका राज कभी न खुलने पाए। मृतका की बेटी की पहल पर पुलिस ने छानबीन की तो यह सनसनीखेज खुलासा हुआ। तीनो आरापियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना का कारण बेहद मामूली था।

दो बेटे और एक पोता था शामिल

शुक्रवार को एसपी यमुनापार ने मीडिया के सामने तीन लोगों मुनीम, खिन्नी लाल और शुभम को पेश किया। इसी के आधार पर उन्होंने घटना का खुलासा होने का दावा किया। एसपी यमुनापार दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि सड़वा गांव निवासी 75 वर्षीय शांति देवी के पति श्रीराम की काफी साल पहले मौत हो चुकी थी। वह अपने घर में बेटे मुनीम व खिन्नीलाल के साथ रहती थी। शांति देवी जिस कमरे में सोती थी, उसी में खिन्नीलाल का बेटा शुभम भी रहता था। आरोपियों ने बताया कि शांति देवी अक्सर रात में चिल्लाती और शोर मचाती थीं। यह उनकी व्यवहारिक समस्या थी। इसे लेकर अक्सर मुनीम लड़ाई कर लेता था। घटना वाले दिन चार जुलाई की रात भी वह जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। इससे पोते शुभम की नींद खुल गई। वह तैश में आ गया और पिता व चाचा को जगाया। शांति देवी के शब्द सुनकर तीनों का पारा चढ़ गया और और वे खून का रिश्ता भूल बैठे। तीनों ने मिलकर शांती देवी का गला घोंट दिया। इसके बाद उन पर चापड़ से हमला किया गया और फिर मिट्टी का तेल डालकर उन्हें आग के हवाले कर दिया गया।

बेटी की पहल पर खुला मामला

इसके बाद लाश को सभी मिलकर घर से कुछ दूरी पर स्थित प्राइमरी स्कूल के पास ले गए और वहीं छोड़कर घर आ गए। घटना के बाद जांच में जुटे इंस्पेक्टर औद्योगिक क्षेत्र रमेश सिंह रावत को सीसीटीवी फुटेज के जरिए घटना से जुड़े कई क्लू हाथ लगे। पुलिस ने पूछताछ के लिए सभी को उठाया तो तीनों गोलमोल जवाब देने लगे। इसी बीच मुनीम की बहन घर आई तो मां को न पाकर परेशान हुई। उसने भाईयों से पूछा तो उल्टा सीधा जवाब देते हुए उन्होंने मरने की बात कह डाली। इस पर बहन ने पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने दोबारा सभी को उठाकर कड़ाई से पूछताछ की तो वे टूट गए और पूरी घटना बयां कर दी।

लावारिस हुआ था अंतिम संस्कार

शांति देवी पति की मौत के बाद अशांत हो चली थीं। यह शायद उम्र का तकाजा भी था। लेकिन, अंतिम समय में उन्हें अपने ही बेटे-पोते का कंधा नसीब नहीं होगा? इसकी कल्पना भी शायद उन्होंने नहीं की रही होगी। पांच जुलाई को उनकी बॉडी लावारिस मिली थी। बॉडी बुरी तरह से जली हुई थी तो यह पता भी नहीं चला था कि उसकी उम्र कितनी है। लावारिस बरामद होने के चलते बॉडी तीन दिनो तक पोस्टमार्टम हाउस में पड़ी रही। कोई पहचान करने वाला भी नहीं आया। यह स्थिति तब थी जबकि शांति देवी के बेटा-बेटी, नाती-पोते सब थे। बॉडी बुरी तरह से डैमेज हो जाने के चलते पुलिस ने फाइनली पोस्टमार्टम कराकर डिस्पोज कर दिया। उन्हें मुखाग्नि देना तो दूर की बात है, न अर्थी न नसीब हुई और न कोई कंधा देने वाला मिला। उनका क्रिया कर्म भी नहीं हुआ। बेटी सामने आकर पुलिस को सूचना न देती तो शायद यह भी पता न चलता कि शांती देवी के साथ यह क्रूरता करने वाला था कौन?