RANCHI : पुलिस लाइन में बने चार जेनरल मेस में से दो बंद हो चुके है। अब दो ही मेस चल रहे है। ऐसे में तीन हजार पुलिसकर्मियों को भूखे सोना पड़ रहा है। वहां चालू दो मेसों में जवानों को जो खाना परोसा जाता है, वह घटिया स्तर का होता है। मेस इंचार्ज बाहर का नहीं बल्कि पुलिस लाइन में पदस्थापित पुलिसकर्मी ही है। जिसने जवानों को खाना खिलाने का ठेका ले रखा है। जवानों का आरोप है कि भोजन में उनलोगों को घटिया चावल, दाल और सब्जी दी जाती है। जिसे खाकर जवान पेट तो भर लेते है, लेकिन उन्हें खाने का स्वाद नहीं मिल पाता। जबकि, जवान प्रतिमाह मेस इंचार्ज के पास क्भ् सौ रुपए जमा कराते है।

विरोध करने पर दो टूक जबाब

जब पुलिसकर्मियों द्वारा इसका विरोध किया जाता है तो उन्हें दो टूक जबाब दिया जाता है। कहा जाता है खाना है खाइए नहीं तो जाइए। पुलिसकर्मी मजबूरी में ऐसा खाना खाते है। पुलिसकर्मियों ने बताया कि मेस में सुबह चावल, दाल और सब्जी खिलाया जाता है, जबकि रात में सब्जी और रोटी। खाना ऐसा परोसा जाता है जो घटिया स्तर का होता है। जवानों को खाना सुबह आठ बजे से दस बजे और रात में आठ बजे से नौ बजे तक ही दिया जाता है। उसके बाद आने वालों को भूखे ही रहना पड़ता है या बाहर से खाना मंगाकर खाना पड़ता है।

चुनाव बाद से नहीं खुला है मेस

बताया जाता है कि पुलिस विभाग ने पुलिस लाइन में जवानों की सुविधा के लिए चार मेस खोले थे। जब इलेक्शन होने लगा तो पुलिसकर्मी इलेक्शन ड्यूटी में चले गए। इसके बाद से दो मेस बंद हो गए, जो आज तक बंद है। बताया जाता है कि रांची के विभिन्न थानों में सिपाहियों की ड्यूटी देर रात लगी रहती है। जबतक वे थाने से छूटकर जाते हैं, तबतक मेस बंद हो जाता है। मजबूरी में उन जवानों को प्रतिदिन रात में होटलों से खाना खरीदना पड़ता है। ज्यादा समय जवानों को होटल बंद भी मिलते हैं, ऐसे में उन जवानों को भूखे सोना पड़ता है। बताया जाता है कि दोनों मेस में प्रतिदिन क्80 जवान खाना खाते है। ये वैसे जवान हैं जो दिन भर ड्यूटी करने के बाद शाम में आते हैं और मेस में खाना खाते है। जबकि अन्य जवानों को खाने के लिए तरसना पड़ता है।

इलेक्शन की वजह से दो मेस बंद हुए थे जो अभी तक चालू नहीं हुए है। जहां तक घटिया खाना परोसे जाने का मामला है तो इसकी जांच की जाएगी।

टीके झा

सार्जेट मेजर, न्यू पुलिस लाइन केंद्र