इस बार के इलेक्शन में आगे-पीछे की बात नहीं होनी चाहिए, इस बार किसी भी तरह का मुद्दा मसलन परिवारवाद, जातिवाद काम नहीं करने वाला है, न ही कोई सुनने वाला भी। कोई किसी की पार्टी में चला जाए या न जाए, इस बार की वोटिंग में पार्टी से अधिक उसका नेता इंपॉर्टेट माना जाएगा। अगर नेता ठीक नहीं है, तो वह पार्टी भी ठीक नहीं मानी जाएगी। इसी थीम पर इस बार वोटिंग होने वाला है। इस बार शराब के नशे पर या फिर बंदूक गोलियों की ताकत नहीं दिख पाएगी और न ही इस बार जाति की दुहाई ही काम आएगी। अगड़ा-पिछड़ा का कोई केमिकल मिल नहीं पाएगा, इस बार जो भी होगा वो सब रिएक्शन होगा, यानी इस बार पिछली बात नहीं होगी। वोटर को इस बार कुछ पाना है। अगले पांच साल के लिए खुद को सेफ रखना है। अगर इसमें फेल होते हैं, तो फिर पांच क्या दस साल और भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। जो अब तक होते आया है। इस बार वह नहीं होगा। वोटर्स इस बार सुनकर फौरन रिएक्शन देने वाले नहीं हैं, बल्कि अपना जवाब बैलेट बॉक्स में डालने वाले हैं। इसका असर इलेक्शन में खड़े कैंडिडेट्स को पता चल जाएगा कि उन्हें आखिर किन वजहों से वोट नहीं मिल पाया है।

सौरभ कुमार, स्टूडेंट