- दूसरे की पार्टी में पहुंच जा रहे हैं नेता और समर्थक, वहीं पर सज जा रहा है मंच

- बीते मंगलवार को एक रेलवे अधिकारी की पार्टी में नेताओं ने सजा दिया मंच

GORAKHPUR: 'यह तेरी मेरी यारी, ये दोस्ती हमारी..' दाता मूवी का यह सॉन्ग तो आपने सुना ही होगा. इस चुनावी समर में दोस्ती की जगह अब पार्टी ने ले ली है. दोस्त के बुलावे पर नेता इन दिनों पार्टियों में तो पहुंच रहे हैं, लेकिन पार्टी में बजाए एंज्वॉय करने के उस पार्टी को टेकओवर करने से नहीं चूक रहे हैं. ताजा मामला केंद्र सरकार के एक अधिकारी की पार्टी का है, जहां न सिर्फ एक पॉलिटिकल लीडर के पहुंचने पर मंच सज गया, बल्कि पार्टी में भाषणबाजी भी शुरू हो गई. वहां मौजूद लोग इसे देखकर हैरतजदा रह गए. चुनावी माहौल में सभी दोस्ती गांठने में लगे हुए हैं और जरा सा मौका मिलने पर इसे कैश कराने से नहीं चूक रहे हैं.

नहीं छोड़ रहे हैं पार्टी

चुनावी माहौल में पार्टी कैंडिडेट्स और कार्यकर्ता का ध्यान लोगों को साधने पर है. किसी तरह उन्हें मौके की तलाश है कि वह लोगों के सामने अपने कैंडिडेट्स का गुणगान कर सकें. इसके लिए वह कोई भी पार्टी, बर्थडे पार्टी या शादी नहीं छोड़ रहे हैं. वहीं अगर मौका मिल रहा है तो घर में ऑर्गनाइज होने वाले दूसरे छोटे-बड़े इवेंट्स में भी हिस्सा लेने से नहीं चूक रहे हैं. हालत यह हो गई है कि यह बिन बुलाए मेहमान से हैं, जिनके पहुंचने पर लोगों को प्रॉब्लम भी हो रही है, लेकिन कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.

बड़ी गैदरिंग, बेहतर ऑप्शन

चुनाव में भीड़ से मुखातिब होने के लिए जगह-जगह मंच सज रहे हैं. कैंडिडेट्स और उनके समर्थक हजारों खर्च कर एक-एक जगह मंच लगाकर लोगों से संवाद का कार्यक्रम रख रहे हैं. मगर शादी-विवाह जैसे ऑप्शन उनके लिए बेहतर ऑप्शन बनकर सामने आया है. जहां उन्हें बिना कोई पैसा खर्च किए और बिना मेहनत के ही भीड़ मिल जा रही है. खर्च के नाम पर उन्हें सिर्फ शगुन देना पड़ रहा है. वहीं कार्यकर्ताओं को खाने-खिलाने की भी टेंशन दूर हो जा रही है. चुनावी सीजन में ऐसा नजारा आम हो गया है और जो नेता साल पर किसी के दर पर उनका हाल पूछने नहीं पहुंचता था, अब वह छोटे से छोटे कार्यक्रम में शिरकत के लिए पहुंच जा रहा है.