- अमर सिंह ने जनेश्वर मिश्र पार्क के उद्घाटन के समय अपनी जुबान में बतायी समाजवाद की परिभाषा

- बोले मैंने पूरी कर ली समाजवादी की परिभाषा

- अलग-थलग पड़े आजम खां

LUCKNOW: जनेश्वर मिश्रा पार्क लोकार्पण के मौके पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह की मौजूदगी में अमर सिंह की दोबारा हुई इंट्री ने एक बार फिर सियासी हल्कों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। लगातार दूसरे दिन उस प्रोग्राम से आजम खां गायब रहे जिसमें उनका आना पहले से तय माना जा रहा था। अखबारों में छपे विज्ञापनों में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं के साथ आजम खां की भी फोटो छपी थी। बाकी सभी नेता मंच पर पहुंचे। लेकिन आजम खां इस पूरे एपीसोड से ही गायब रहे। यहां तक कि मंच पर मौजूद लोगों में आजम खां का नाम लेने वाला भी कोई नहीं था।

खूब गूंजी अमर वाणी

अमर सिंह ना सिर्फ मेहमान बनकर यहां मौजूद थे बल्कि उनको बोलने का मौका भी दिया गया। जब वह बोलने पहुंचे तो अमर सिंह जिंदाबाद के नारे भी गूंजने लगे। अमर सिंह ने भी अपने चिर परिचित अंदाज में शेरो शायरी के जरिये अपनी बीती व्यथा सुनाई और इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह गये।

मैं मुलायम वादी हूं।

जनेश्वर मिश्र के जन्म दिन के मौके पर उनके नाम समर्पित लगभग चार सौ एकड़ पार्क के उद्घाटन के मौके पर मुलायम सिंह के निवेदन पर आये अमर सिंह ने मुलायम का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि जनेश्वर मिश्र इमानदार और सच्चे समाजवादी के साथ एक अच्छे आलोचक भी थे। उनको जब किसी की आलोचना करनी होती थी तो वह भी मुंह पर करते थे और अगर तारीफ करनी होती थी वह सार्वजनिक सभाओं में तारीफ करते थे। अमर सिंह ने कहा कि जनेश्वर मिश्र ने उनसे कहा था कि तुम सच्चे समाजवादी नहीं हो सकते। क्योंकि तुमने ना तो संघर्ष किया है, ना जेल गये हो, ना गरीबों के बीच में रहे हो और ना ही कभी चुनाव लड़े हो और जीत हार को करीब से देखा है। इस पर उनका जवाब था कि हम समाजवादी की परिभाषा में खरे भले ही ना उतरें लेकिन हम मुलायम वादी हैं। अमर सिंह कहने लगे कि अब मैं जेल भी हो आया किसी भ्रष्टाचार के मामले में नहीं, बल्कि राजनैतिक कारणों से। चुनाव भी लड़ चुके, गरीबों के बीच भी रह चुका। शायद अब मैं समाजवाद की परिभाषा पूरी कर रहा हूं।

शायराना अंदाज

अमर सिंह ने इशारों इशारों में सपा में आमद की आहट भी दे दी। कुछ पंक्तियों के जरिये उन्होंने कई लोगों पर वार किया। उन्होंने कहा कि ।

कौन कहता है कि जिस्म अता है मुझको,

एक रूठा हुआ किरदार मिला है मुझको।

चंद लम्हे मेरी उम्र में ऐसे आये,

दूसरों से भी बहुत प्यार मिला है मुझको।

मुझको इनाम मिले या मेरी रुस्वाई हो।

इसकी फिक्र या इस बात से क्या है मुझको।

फ्लैश बैक

ख्009 के इलेक्शन में रामपुर से जया प्रदा को टिकट दिये जाने से आजम खां नाराज हो कर पार्टी से अलग हो गये थे। मुलायम सिंह और अमर सिंह के लिए आजम खां ने जमकर जहर उगला। आजम के अलग होने की वजह मुलायम का अमर प्रेम माना गया था। कुछ ही दिनों बाद फिरोजाबाद में उपचुनाव हुआ और उसमें मुलायम की बहु डिंपल यादव चुनाव हार गयीं। इसका ठीकरा अमर सिंह के सिर फूटा और अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। आजम खां की वापसी हुई। अब बारी अमर सिंह की थी। उन्होंने कई बार मुलायम सिंह की पोल पट्टी खोलने की धमकी दी। अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी को बर्बाद करने की ठान ली। उन्होंने अपनी एक पार्टी बना लिया। लेकिन मुंह की खानी पड़ी। फिर अमर सिंह ने सोनिया और राहुल गांधी के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिये। वहां इंट्री नहीं हुई तो राष्ट्रीय लोकदल के साथ हो लिये। बीते चुनाव में लाख कोशिशों के बाद भी वह खुद और जया प्रदा अपनी जमानत तक नहीं बचा पाये। इस दौरान अमर सिंह बीमार भी हुए और सिंगापुर में काफी टाइम तक एडमिट भी रहे। अमर सिंह समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं। नवंबर में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में उनको दोबारा राज्य सभा जाने के लिए समाजवादी पार्टी ही जैसी पार्टी के सहारे की जरूरत पड़ेगी।